भगवान श्री राम का विवाह राजा जनक की पुत्री माता सीता के साथ हुआ था। राजा जनक जनकपुर के निवासी थे, जो नेपाल में है। विश्व प्रसिद्ध कथा वाचक जगद्गुरु रामभद्राचार्य हाल ही में जनकपुर (नेपाल) पहुँचे थे, जिसका एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में जनकपुर की महिलाएँ पारंपरिक अंदाज में गाली सुनाकर उनका स्वागत करती नजर आ रही हैं। महिलाएँ उनको ‘समधी’ के रूप में संबोधित कर उनसे हास्य-विनोद करती दिख रही हैं।
जनकपुरी की माताओं ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य का इस तरह से स्वागत कर लगभग विलुप्त हो चुकी विधाओं को जैसे जीवंत कर दिया। जगतगुरु रामभद्राचार्य ने भी इस कलयुग में त्रेता युग के गुरु वशिष्ठ के परंपराओं का निर्वहन किया। यहाँ रामभद्राचार्य स्वयं को भगवान राम (लड़के वाले) की ओर से मानते हैं और सीताजी नेपाल की थीं, इस तरह से नेपाल भगवान राम का ससुराल है। इसीलिए नेपाल की महिलाएँ इन्हें ‘समधी’ मानकर यह गीत सुना रही हैं।
हास्य व्यंग करने की चली आ रही है परंपरा
महिलाएँ जगद्गुरु को समधी कह संबोधित कर रही हैं, इसके पीछे भी एक प्रसंग है। दरअसल रामचरित मानस में वर्णन है कि जब भगवान श्री राम की बारात मिथिला पहुँची तो साथ में गुरु वशिष्ठ भी थे, तो वहाँ की महिलाओं ने बारातियों और गुरु वशिष्ठ से हास्य-व्यंग्य किया और उनको ‘गालियाँ’ सुनाईं। हालाँकि यह प्रथा विलुप्त सी होती जा रही है, लेकिन मिथिला में अभी भी बारातियों, दूल्हे और समधियों को ‘गाली’ दिए बिना विवाह को संपन्न नहीं माना जाता है।
शादी के लिए आए बाराती को गाली देना शुभ शगुन माना जाता है और घर में भी रौनक बनी रहती है। बाराती भी इसे गलत तरीके से नहीं लेते हैं। वह भी इसका आनंद लेते हैं। इसके पीछे उनका अपार प्रेम छुपा होता है। मिथिला में जमाइ (दूल्हा) और समधी (दूल्हे के पिता) को सम्मान भी उतना ही दिया जाता है।
नेपाल स्थित जनकपुर में परम् पूज्य गुरुदेव जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी पहुंचे..!
— सूरज सिंह/Suraj Singh 🇮🇳 (@SurajSolanki) May 8, 2022
वहां की माताओं को जैसे ही सूचना प्राप्त हुई तो पहुंचीं और समधी (गुरुदेव वसिष्ठ) के भाव से पारम्परिक गारी “समधी साला है” सुनाने लगीं. गुरुवर भी प्रसन्न हैं.
आप सभी इस मधुर संबंध का आनंद लीजिये..! pic.twitter.com/V1CXz3txK7
जनकनगरी मिथिला ये परंपरा आज तक चली आ रही है। यही वजह है कि जब गुरु रामभद्राचार्य जनकपुर पहुँचे तो वहाँ की महिलाएँ उनका स्वागत करने पहुँचीं और समधी (गुरुदेव वशिष्ठ) के भाव से पारंपरिक गाली ‘समधी साला है’ सुनाने लगीं। गुरुवर भी वीडियो में प्रसन्न मुद्रा में दिख रहे हैं।
जिस अंदाज में माताओं ने जगदगुरु रामभद्राचार्य के सामने पारम्परिक गारी (गाली को ही गारी कहते हैं उस क्षेत्र में) ‘समधी साला है’ गाया, उसको सुनने के बाद उनके चेहरे पर जो भाव उभरे, वो अपने आप में अद्भुत है। एक बार तो वो हल्का सा शर्माते हुए भी दिखाई देते हैं। इस पर वो अपने दोनों हाथों से चेहरे को ढक लेते हैं। रामभद्राचार्य जी का यह वीडियो ट्विटर और फेसबुक पर खूब तेजी से वायरल हो रहा है। इस पर मशहूर कवि कुमार विश्वास सहित कई यूजर्स ने कमेंट किए हैं।
अनिर्वचनीय आनंद।पूज्य महाराज जी मुख पर वैसी ही सलज्ज मंद मुस्कान है जैसी गुरु वशिष्ठ के मुख पर रही होगी 😂😍🙏।महाराज जी के साथ हम जैसे कोई लखन लाल गए होते तो देते जमकर ऐसा जवाब 😂🙈❤️🙏
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) May 8, 2022
“कोउ नहिं उपजे मात पिता बिन अस है जग की नीति,
तुम्हरी बिटिया महि ते उपजीं अस हमरी नहिं रीति।” https://t.co/96qSP3AIqu
उन्होंने लिखा, “अनिर्वचनीय आनंद। पूज्य महाराज जी मुख पर वैसी ही सलज्ज मंद मुस्कान है जैसी गुरु वशिष्ठ के मुख पर रही होगी। महाराज जी के साथ हम जैसे कोई लखन लाल (भगवान लक्ष्मण) गए होते तो देते जमकर ऐसा जवाब। “कोउ नहिं उपजे मात पिता बिन अस है जग की नीति, तुम्हरी बिटिया महि ते उपजीं अस हमरी नहिं रीति।”
कौन हैं कथा वाचक रामभद्राचार्य
जगद्गुरु रामभद्राचार्य एक विश्व विख्यात कथा वाचक हैं और मूल रूप से जौनपुर (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले हैं। रामभद्राचार्य भारत के चार प्रमुख जगद्गुरु में से एक हैं और उनको 1988 में इस उपाधि से नवाजा गया।
राम भद्राचार्य तुलसीपीठ के संस्थापक और प्रमुख हैं। तुलसीपीठ संत तुलसीदास के नाम पर चित्रकूट में एक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान है। रामभद्राचार्य चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन चांसलर भी हैं।