“यह अत्यंत हर्ष और सौभाग्य का विषय है कि वर्ष के आरम्भ में 15 जनवरी से 4 मार्च, 2019 तक प्रयागराज में संगम तट पर पवित्र कुम्भ मेले का आयोजन हो रहा है। प्रयागराज की पवित्र धरती भारत की समृद्ध सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत की पहचान रही है। प्रयागराज ही वह एकमात्र पवित्र स्थली है, जहाँ देश की तीन पावन नदियाँ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती मिलती हैं।
कुम्भ को भारतीय संस्कृति का महापर्व कहा गया है। प्रयागराज के इस संगम में कुम्भ के समय कई परम्पराओं, भाषाओं और लोगों का भी अद्भुत संगम होने वाला है। संगम तट पर स्नान और पूजन का तो विशिष्ट महत्व है ही, साथ ही कुम्भ का बौद्धिक, पौराणिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक आधार भी है। एक प्रकार से कहें तो कुम्भ स्नान और ज्ञान का भी अनूठा संगम सामने लाता है।” नरेन्द्र मोदी
कुम्भ को भव्य, सुरक्षित और सुखद बनाने में पीएम मोदी किसी भी प्रकार का कसर नहीं छोड़ना चाहते। पीएम मोदी की दूरदृष्टि अब प्रयागराज में नज़र आने लगा है।
दशकों बाद ऐसा होगा, जब कुम्भ को गौरवशाली बनाने एवं सकुशल सम्पन्न कराने के लिए, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभी गतिविधियों पर सीधी नज़र होगी।
इसकी झलक तैयारियों से स्वतः मिल जाती है। सुरक्षा पर व्यापक इन्तज़ाम के साथ ही कुम्भ पुलिस लाइन में एडिशनल एसपी नीरज पाण्डेय व ओपी सिंह ने पुलिस कर्मियों को विशेष ट्रेनिंग भी दी है। मेला प्राधिकरण की तरफ से मेले के लिए निर्धारित क्षेत्रों और विभागों में बाँटा गया है। साथ ही श्रद्धालुओं के साथ कब और कैसा व्यवहार करना है, इसके बारे में भी बताया गया है।
किसी तरह का कोई हादसा न हो इसके लिए, मुख्य स्नान पर्व पर सर्वाधिक स्नानार्थियों वाले मार्गों, चौराहों पर होने वाली व्यवस्था और सेवा व सुरक्षा के महत्पूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की गई है।
उत्तर प्रदेश शासन की ओर से बनवाई गई डॉक्यूमेंट्री फिल्म के द्वारा मेले का विस्तार, विकास, पुलिस की व्यवस्था में होने वाले परिवर्तन व दूसरे तथ्यों से परिचित कराया गया। विश्व प्रसिद्ध कुम्भ मेले में किसी तरह की चूक न हो, इसके लिए पुलिस हर तरह से प्रयासरत है। ड्यूटी पर आई कुम्भ पुलिस को 1954 और 2013 के कुम्भ मेले की डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गई है। पुलिस कर्मियों को यह भी बताया गया कि 1954 में हाथी के कारण ही भगदड़ हुई थी, जिसके बाद से मेले में हाथी का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है।
ऐसा ही साल 1954 में तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सीधे निर्देश दिए थे कि मेले की तैयारियों में किसी तरह की कोताही ना बरती जाए। सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि 1954 में मेले की तैयारियों के लिए एक उच्च स्तरीय कमिटी बनाई गई थी। मेले की हर जानकारी सीधे पुलिस हेडक्वॉर्टर को भेजी जाती थी। इसके बाद वहाँ से ये सारी जानकारी पीएम नेहरू को भेजी जाती थी। फिर भी उस साल के कुम्भ में मची भगदड़ में कई लोग हताहत हुए थे।