देश के हजारों मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों में पूजा-अर्चना दोबारा चालू हो सकती है। इसके लिए संसद की एक समिति ने सरकार से एक्शन लेने को कहा है। समिति ने ऐसे मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों में पूजा-पाठ दोबारा चालू करने के प्रयास करने के सुझाव दिए हैं जो वर्तमान में ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण’ (ASI) की देखरेख में हैं।
समिति का कहना है कि देश भर के अलग-अलग हिस्सों में ASI संरक्षित हजारों ऐसे स्मारक या मंदिर मौजूद हैं जिनमें लोगों की अगाध आस्था है। ऐसे में उन्हें पूजा ना करने देना ठीक नहीं है। समिति का कहना है कि लोगों को पूजा का अधिकार देने से उनकी इच्छाएँ पूरी होंगी। यह सभी सुझाव YSR कॉन्ग्रेस के सांसद वी विजय साई रेड्डी की अध्यक्षता वाली टूरिज्म, ट्रांसपोर्ट और स्मारकों से सम्बंधित संसदीय समिति ने दिए हैं। इस समिति ने 6 दिसम्बर, 2023 को संसद में ‘भारत में संरक्षित स्मारकों और स्मारकों के संरक्षण से संबंधित मुद्दे’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में यह सुझाव दिए हैं।
दरअसल, ASI द्वारा सुरक्षा में लिए गए स्मारकों (मंदिरों/मस्जिदों/दरगाहों) में से बड़ी संख्या ऐसे स्मारकों की है जहाँ अभी पूजा-अर्चना की अनुमति नहीं है। इसके पीछे ASI का एक नियम है, जिसके अनुसार ASI अभी उन्हीं स्मारकों (जिनमें बड़ी संख्या में मंदिर शामिल हैं) में पूजा की अनुमति देता है जहाँ ASI को जिम्मेदारी मिलने के समय तक वहाँ ऐसा हो रहा हो।
उदाहरण के लिए ASI द्वारा संरक्षित लाल किले के भीतर स्थित मोती मस्जिद में नमाज होती है लेकिन गुजरात के सिधपुर में स्थित रूद्र महालय मंदिर में पूजा नहीं हो सकती। इसी तरह महाबलीपुरम, तमिलनाडु में स्थित विजय चोलेश्वरम मंदिर और अन्य कई ऐसे धार्मिक स्थलों में पूजा की अनुमति नहीं है। ASI का कहना है कि जो भी स्मारक उसे पूजा ना किए जाने की स्थिति में दिए गए वह निर्जीव माने जाते हैं और ऐसी स्थिति में पूजा -र्चना की अनुमति यहाँ नहीं दी जा सकती। ASI का कहना है कि वह ऐसा इसलिए करता है कि जर्जर अवस्था के इन स्मारकों की सुरक्षा की जा सके।
ऐसे में वह मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल जहाँ ASI के चार्ज लेने पर पूजा-अर्चना ना हो रही हो, वहाँ नए सिरे से इसकी अनुमति नहीं दी जाती। अब समिति ने पर्यटन मंत्रालय से इस बात पर काम करने के लिए कहा है। पर्यटन मंत्रालय ने भी इस सुझाव को गंभीरता से लेने की बात कही है।
एक रिपोर्ट बताती है कि ASI वर्तमान में देश में 3693 स्मारकों की देखरेख करता है। इनमें से 2873 में पूजा/नमाज नहीं होती। हालाँकि, कई जगह पर स्थानीय लोगों की आस्थाएँ इन धार्मिक स्थलों से जुड़ी हैं, ऐसे में बराबर इसकी माँग होती रही है कि यहाँ पूजा की अनुमति दी जाए। जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में 8वीं शताब्दी में बना मार्तण्ड सूर्य मंदिर ASI के पूजा की अनुमति ना देने का एक बड़ा उदाहरण है। बीते वर्ष कश्मीर में हालात सामान्य होने के बाद यहाँ पूजा चालू हुई थी। यहाँ जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी पूजा की थी।
इस मंदिर में पूजा होने के चलते ASI ने इस पर आपत्ति जताई थी, उसका कहना था कि यहाँ उसके चार्ज लेते समय पूजा नहीं हो रही थी, ऐसे में नए सिरे से इसे चालू नहीं किया जा सकता। हालाँकि, इस मंदिर में अब नियमित तौर पर पूजा होती है। अब अगर इस समिति के सुझावों पर अमल होता है तो बड़ी संख्या में ऐसे मंदिरों में घंटे-घड़ियालों की आवाज दुबारा सनाई देगी जहाँ दशकों और कहीं-कहीं सदियों से पूजा नहीं हुई है लेकिन उनका धार्मिक महत्व काफी बड़ा है।