हर साल की तरह गणेश चतुर्थी को लेकर तैयारियाँ जोरों पर है। मुंबई की गणेश चतुर्थी के तो क्या ही कहने! पंडाल की भव्यता को लेकर इस बार लेकिन पुणे बाजी मार सकता है। यहाँ का श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई सार्वजनिक गणपति ट्रस्ट का ‘अयोध्या के राम मंदिर’ वाला पंडाल खास है। महाराष्ट्र के पुणे में इस साल ‘गणेश उत्सव’ का 131वाँ साल भव्य तरीके मनाया जाएगा।
#WATCH | Maharashtra: A Ganesh pandal themed on Ayodhya's Ram Temple is being constructed in Pune ahead of Ganesh Chaturthi.
— ANI (@ANI) September 16, 2023
The pandal is being set up by Shreemant Dagdusheth Halwai Sarvajanik Ganpati Trust. (15.09) pic.twitter.com/iFfwlG0y9K
जहाँ एक ओर अयोध्या राम मंदिर में 22 जनवरी, 2024 के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जोरों से चल रही है, वहीं इस भव्य मंदिर की रेप्लिका में पुणे में विध्नहर्ता-मंगलकर्ता भगवान गणेश विराजेंगे। इसके साथ ही मंगलवार 19 सितंबर से सब मंगल होने का ये सिलसिला चल पड़ेगा।
द्वार पर बजरंगबली करेंगे गणपति का स्वागत
अयोध्या के राम मंदिर की ये प्रतिकृति (रेप्लिका) बहुत भव्य और शानदार है। इसकी लंबाई 125 फीट, चौड़ाई 50 फीट और ऊँचाई 100 फीट है। इसको बनाने में लकड़ी, प्लाईवुड और अन्य कई तरह की चीजों का इस्तेमाल किया गया है। इस मंदिर रेप्लिका में 24 खंभे और 24 मेहराब हैं। इसमें एक शानदार मुख्य गुंबद 100 फीट से अधिक ऊँचा है और कुल ऊँचाई 108 फीट है।
ट्रस्ट के अध्यक्ष माणिक चव्हाण ने मीडिया को बताया था कि इस पंडाल की सजावट टीम में 100 कुशल कारीगर हैं। इसे बनाने का काम आर्ट डॉयरेक्टर अमन विधाते के पास, जबकि लाइटिंग का काम वाईकर बंधु के जिम्मे है। मंडप व्यवस्था की काले मांडववाले कर रहे हैं।
प्रवेश द्वार पर भगवान श्री राम और हनुमान जी की प्रतिकृतियों के अलावा वानरसेना की प्रतिकृतियाँ भी आकर्षक होंगी। इसमें बजरंग बली को हाथों में श्रीराम लिखा पत्थर उठाए बनाया गया है। इस रेप्लिका के साथ आप भी 19 सितंबर को बप्पा के स्वागत के लिए तैयार हो जाइए।
आपको बता दें कि इस उत्सव की शुरुआत छत्रपति शिवाजी महाराज के बचपन में उनकी माँ जीजाबाई के पुणे के ग्रामदेवता कसबा गणपति से हुई थी। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में इसे आजादी के आंदोलन से जोड़ दिया था। उन्होंने लोगों में एकता, देशभक्ति की भावना और आजादी की लड़ाई का अलख जगाने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव मनाया था, जिसका सिलसिला आज तक चल रहा है।