अयोध्या विवाद पर इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई चल रही है। दलीलों से दूर रामलला अभी भी जन्मस्थान पर एक टेंट में विराजमान हैं। वहाँ साथ में लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की प्रतिमाएँ भी हैं। राम जन्मभूमि अयोध्या में स्थापित इस मंदिर में रामलला व उनके भाइयों को सरकार से मिलने वाले पेमेंट में बढ़ोतरी की गई है। प्रतिमाओं को प्रतिदिन नहलाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। चन्दन और पुष्पहारों से की जाने वाली इस पूजा प्रक्रिया में कुल 16 चीजों का प्रयोग किया जाता है।
मंदिर में एक कूलर और ब्लोअर भी लगा है, जिसे मौसम के हिसाब से चलाया जाता है। प्रत्येक वर्ष रामनवमी के अवसर पर सभी प्रतिमाओं के लिए नए कपड़े ख़रीदे जाते हैं। कुल मिला कर देखें तो रामलला के लिए पूरी व्यवस्था करने में प्रतिदिन 1000 रुपए का ख़र्च आता है। कई वर्षों से मंदिर के कर्मचारी और पुजारी पेमेंट बढ़ने की माँग कर रहे थे। पिछले महीने उत्तर प्रदेश सरकार ने पेमेंट राशि को 26,200 रुपए से बढ़ा कर 30,000 रुपए कर दिया।
आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि मात्र 3,800 रुपए की यह बढ़ोतरी 1992 के बाद पिछले 27 सालों में अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास के वेतन में भी 1,000 रुपए का इजाफा किया गया है। अब उन्हें प्रति महीने 13,000 रुपए मिलेंगे। वह 1992 से ही इस पद पर हैं। उन्होंने कहा कि अब रामलला की पूजा प्रक्रिया और बेहतर तरीके से हो पाएगी। मंदिर में अन्य 8 कर्मचारियों की सैलरी 7,500 रुपए से 10,000 रुपए के बीच है। उनकी सैलरी में भी 500 रुपए का इजाफा किया गया है।
Ram Lalla expense:Rs 1,000/day
— Ritu (सत्यसाधक) #EqualRightsForHindus (@RituRathaur) September 23, 2019
Priests say a little more could help buy clothes for God
This brings tears to my eyes,our ram lalla is struggling with clothes while govts r looting 1000’s of crores of Hundi money
How can hindus take this?No self respect? https://t.co/MSgkz8Vayl
महंत दास ने कहा कि पेमेंट बढ़ाए जाने से रामलला मंदिर के लिए प्रसाद, भोजन, पानी, बिजली की व्यवस्था सही से हो पाएगी। उन्होंने बताया कि पहले मिलने वाली राशि पर्याप्त नहीं थी और कई बार उन्हें अपनी जेब से रुपए लगाने पड़ते थे। उन्होंने बताया कि उनके पास पूजा व अन्य प्रक्रिया के लिए सामान ख़रीदने के लिए फण्ड नहीं होते हैं। महंत ने जानकारी दी कि उन्हें राशन की दुकानों, माली और मिठाई वगैरह में भी रुपए ख़र्च करने पड़ते हैं।
महंत सत्येंद्र दास ने सरकार से माँग करते हुए कहा कि रामलला व अन्य प्रतिमाओं के लिए साल में 4 बार नए कपड़े ख़रीदे जाने चाहिए, लेकिन ऐसा वर्ष में एक बार सिर्फ़ रामनवमी के अवसर पर ही होता है। विश्व हिन्दू परिषद के स्थानीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि बहुत सारे श्रद्धालु अब रामलला को कपड़े चढ़ा रहे हैं, जिससे अब पुजारियों के लिए काम आसान हो गया है।
एक और जानने लायक बात यह है कि मंदिर को प्रत्येक महीने 6 लाख रुपए दान में मिलते हैं, जो सरकार द्वारा संचालित बैंक खाते में जाते हैं। मंदिर रोज सुबह 7 बजे खोला जाता है और 11 बजे तक श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं। इसके बाद रामलला को भोग लगाया जाता है। दोपहर 2 बजे से 6 बजे तक मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद रहता है और फिर इसे शाम 8 बजे तक के लिए खोला जाता है और पूजा होती है।
सोशल मीडिया पर श्रद्धालुओं ने माँग करते हुए कहा कि जब मंदिर को मिलने वाले दान का प्रबंधन सरकार के हाथों में है तो रामलला की पूजा और व्यवस्था के लिए इतने कम रुपए क्यों दिए जाते हैं? लोगों ने रामलला की पेमेंट बढ़ाने की माँग की। सवाल यह भी है कि जब मंदिर को दान में प्रति महीने 6 लाख रुपए मिलते हैं तो इसे रामलला और मंदिर की व्यवस्था में ख़र्च क्यों नहीं किया जाता?