‘बाहुबली’ फिल्म सीरीज से लोकप्रियता बटोरने वाले निर्देशक एसएस राजामौली की अगली फिल्म ‘RRR’ को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। भारत में ब्रिटिश शासन के दौर में आदिवासी योद्धाओं पे आधारित इस फिल्म में रामचरण तेजा और जूनियर एनटीआर प्रमुख भूमिकाओं में हैं। फिल्म में जूनियर एनटीआर कोमाराम भीम का किरदार निभा रहे हैं, जिन्होंने ‘जल, जंगल और जमीन’ का नारा देते हुए निजाम व उसकी फ़ौज से लोहा लिया है। उन्हें स्कल कैप पहले दिखाया गया है।
कोमाराम भीम ने हैदराबाद को निजाम की सत्ता से आज़ादी दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी थी, लेकिन फिल्म में उन्हें ही इस्लामी ‘स्कल कैप’ पहने हुए दिखाया गया है। लोगों ने इस पर आपत्ति जताई है कि आदिवासी योद्धा कोमाराम भीम ने जिन इस्लामी आक्रांताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी, उन्हें इस्लामी स्कल कैप में कैसे दिखाया जा सकता है? गुरिल्ला युद्ध कला के धनी भीम ने निजाम राज के जमींदारों के अत्याचार के विरुद्ध हथियार उठाया था।
आदिवासी युवाओं ने शनिवार (अक्टूबर 24, 2020) को आदिलाबाद जिले के उदनूर में गोंड योद्धा कोमाराम भीम की प्रतिमा का अभिषेक किया। वे इस बात से नाराज हैं कि भीम के किरदार को निभाने वाले जूनियर एनटीआर को ‘RRR’ के टीज़र में स्कल कैप में दिखाया गया है। आदिवासी संगठनों का कहना है कि एसएस राजामौली को इतिहास की समझ के साथ फिल्म बनानी चाहिए। उन्होंने चेताया है कि अगर इस्लामी टोपी नहीं हटाई गई तो वो आंदोलन करेंगे।
Horrible distortion:
— True Indology (@TIinExile) October 22, 2020
Bahubali director Rajamouli is making a 400 crore budget film on great freedom fighter Komaram Bheem.
Komaran Bheem fought against Islαmist Nizam & his Jihαdi Razakar army.Why is he shown wearing a skull cap?
Such blatant falsehood in the name of history! pic.twitter.com/4tzaXSAOcZ
इसी तरह से उनकी फिल्म ‘बाहुबली’ में भी आदिवासियों के अपमान को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था। आदिलाबाद के आदिवासी संगठनों का कहना है कि कोमाराम भीम पर फिल्म बनने से उनकी कहानी ज्यादा लोगों तक पहुँचेगी, लेकिन इस तरह से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। 20 साल पहले भी उन पर फिल्म बन चुकी है। इस फिल्म में भीम के अलावा अल्लुरी सीताराम राजू की भी कहानी दिखाई गई है।
वहीं सोशल मीडिया पर इतिहास को लेकर ट्वीट करने वाले ‘ट्रू इंडोलॉजी’ ने लिखा कि कोमाराम भीम की बेटी का ही निजाम के तालुकदार अब्दुल सत्तार ने अपहरण कर लिया था और जबरन इस्लामी धर्मान्तरण करा दिया था। उसने पूछा कि 400 करोड़ रुपए के भारी बजट में बनाई जा रही फिल्म में ऐसा झूठ क्यों दिखाया जा रहा है? साथ ही कहा कि असलियत में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि भीम ने इस्लाम का अनुसरण किया हो।
बता दें कि हैदराबाद सल्तनत ने सन 1799 में टीपू सुल्तान के ख़िलाफ़ लड़ाई में ईस्ट इंडिया कम्पनी की मदद की थी। इसके बदले में अंग्रेजों ने निज़ाम को टीपू के राज्य का एक टुकड़ा दिया। टीपू सुल्तान की अंग्रेजों के हाथों हार हुई और वह मारा गया। मराठों के ख़िलाफ़ युद्ध में भी हैदराबाद के निज़ाम ने अंग्रेजों का साथ दिया और बदले में सिंधिया के राज्य सहित कई मराठा जिले उसे इनाम के रूप में मिले। मीर अली उस्मान ख़ान बहादुर हैदराबाद का अंतिम निज़ाम था।