Tuesday, November 19, 2024
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कभी UP सरकार से अनुराग कश्यप को हर महीने मिलते थे ₹50000, योगी बने CM तो बंद हुआ बॉलीवुड वालों का पेंशन

साल 1994 में मुलायम सिंह यादव द्वारा शुरू किए गए यश भारती सम्मान को मायावती सरकार ने सत्ता में आने के बाद बंद कर दिया था। अखिलेश यादव ने इसे साल 2013 में फिर से शुरू कर दिया। अखिलेश सरकार ने अक्टूबर 2015 में घोषणा की कि इस सम्मान को पाने वाले लोगों को मासिक पेंशन भी दी जाएगी।

बॉलीवुड के सितारे इन दिनों गर्दिश में हैं। कई बड़े बजट और बैनर की फिल्मों को बॉयकॉट का सामना करना पड़ रहा है। हाल में रिलीज हुई आमिर खान (Aamir Khan) की फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ (Laal Singh Chaddha) के बॉयकॉट का सीधा असर फिल्म के बिजनेस पर दिखा और यह फ्लॉप हो गई। आमिर ने न सिर्फ देश विरोधी बयान दिए थे, बल्कि PK फिल्म के जरिए हिंदुओं की आस्था का मजाक का भी उड़ाया था।

इसी तरह की मानसिकता वाले लोगों को कभी उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार प्रोत्साहित करती थी और उन्हें पेंशन देती थी। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार में दर्जनों बॉलीवुड अभिनेता और निर्माता मासिक पेंशन का लाभ उठाते रहे। हालाँकि, योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने मुख्यमंत्री बनने के बाद इस पेंशन को बंद कर दिया।

योगी आदित्यनाथ ने पेंशन देने पर लगाई रोक

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो साल पहले दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि राज्य ने अब खैरात बाँटना बंद कर दिया है। जिन लोगों का पेंशन बंद किया गया था, उनमें फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) भी शामिल हैं।

एक सवाल के जवाब में सीएम योगी कहते हैं, “हमने खैरात बाँटने की व्यवस्था बंद कर दी है, फिर चाहे वो अनुराग कश्यप हों या कोई और। इन लोगों की आदतें खराब हो चुकी थीं। स्वाभाविक रूप से ये 23 करोड़ जनता का पैसा है। इस पैसे का उपयोग 23 करोड़ लोगों के ही ऊपर किया जाना चाहिए।”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह इंटरव्यू 15.52 मिनट का है। इसमें अनुराग कश्यप से जुड़े सवाल पर सीएम योगी के जवाब को 11.40 से लेकर 15.52 मिनट के बीच सुना जा सकता है।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी कहा हैं, “हम अपने यहाँ हर फील्ड से जुड़े हुए उन कर्मियों को, जो वास्तव में प्रेरणादायी कार्य कर सकें, उनके बारे में सोचेंगे। उत्तर प्रदेश के लिए काम करिए, देश के लिए काम करिए। अगर आप देश के विभाजन की मंशा रखने वाले तत्वों को प्रमोट करते हैं और शासन की सुविधा का लाभ उठाना चाहते हैं तो ये कतई नहीं चलेगा।”

उन्होंने आगे कहा, “इन लोगों को गलतफहमी अपने दिल से निकाल देनी चाहिए। ये एक्सपोज हो जाएँगे। हमने ‘तानाजी’ फिल्म को इसलिए टैक्स-फ्री किया, क्योंकि वह प्रेरणादायी है। वहीं, विभाजन की मानसिकता के साथ जो इस प्रकार का कार्य करेंगे, उत्तर प्रदेश में उनके लिए कोई जगह नहीं होगी।”

बता दें कि विधानसभा चुनावों से एक साल पहले यानी साल 2016 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य में यश भारती सम्मान पुरस्कार (Yash Bharti Samman awardees) विजेताओं को 50,000 रुपए की मासिक पेंशन देने की घोषणा की थी। योजना के अनुसार, फरवरी 2017 तक 172 लाभार्थियों को पेंशन मिली।

मासिक पेंशन के अलावा पुरस्कार पाने वाले को 11 लाख रुपए, एक शॉल और एक प्रमाण पत्र मिला। साल 1994 में मुलायम सिंह यादव द्वारा शुरू किए गए यश भारती सम्मान को मायावती सरकार ने सत्ता में आने के बाद बंद कर दिया था।

हालाँकि, अखिलेश यादव ने इसे साल 2013 में फिर से शुरू कर दिया। अखिलेश सरकार ने अक्टूबर 2015 में घोषणा की कि इस सम्मान को पाने वाले लोगों को मासिक पेंशन भी दी जाएगी। इस सम्मान को पाने वाले लाभुकों ने फरवरी 2017 तक इस पेंशन का लाभ उठाया।

इस योजना का लाभ जिन्हें मिला, उनमें राज बब्बर, उनकी पत्नी नादिरा राज बब्बर, फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप, विशाल भारद्वाज और नवाजुद्दीन सिद्दीकी लाभान्वित शामिल थे। योगी आदित्यनाथ ने 21 अप्रैल 2017 को सांस्कृतिक विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान राज्य के सबसे बड़े यश भारती पुरस्कारों की जाँच के आदेश दिए थे। उन्होंने कहा था कि पुरस्कार के मानदंडों की गहनता से समीक्षा की जाए। पुरस्कार सिर्फ काबिल लोगों को मिलना चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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