Sunday, November 17, 2024
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‘निराशा का बड़ा स्रोत है ट्विटर’: हाईकोर्ट ने विवेक अग्निहोत्री के खिलाफ बंद किया अवमानना का मामला, भीमा-कोरेगाँव केस में अर्बन नक्सल को जमानत पर किया था ट्वीट

"देश के प्रत्येक नागरिक को पता होना चाहिए कि आपको सावधान रहना चाहिए। हम न्यायपूर्ण और निष्पक्ष आलोचना का स्वागत करते हैं। हम इसी तरह कार्य करते हैं।"

फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और विकास महाजन की खंडपीठ ने सोमवार (10 अप्रैल, 2023) को विवेक अग्निहोत्री को अवमानना मामले में बरी कर दिया। सुनवाई के दौरान जस्टिस मृदुल ने कहा, “ट्विटर निराशा का सबसे बड़ा स्रोत है।”

दरअसल, विवेक अग्निहोत्री ने 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस और उड़ीसा हाईकोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर पर भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में आरोपित कार्यकर्ता गौतम नवलखा को पक्षपात करके जमानत देने का आरोप लगाया था। अग्निहोत्री ने इसको लेकर एक पोस्ट को रीट्वीट किया था। तब इस मामले में अदालत में अवमानना का मामला शुरू हुआ था। फिलहाल अदालत ने अग्निहोत्री के माफी माँगने के बाद इस मामले को बंद कर दिया है।

सुनवाई के दौरान विवेक अग्निहोत्री कोर्ट में मौजूद रहे। इस दौरान जस्टिस मृदुल ने वैज्ञानिक और लेखक डॉ आनंद रंगनाथन को भी पेश होने के लिए कहा। अदालत ने अपने आदेश में कहा, “उन्होंने (विवेक अग्निहोत्री) ट्विटर पर कथित रूप से आपत्तिजनक बयान के लिए बिना शर्त माफी माँग ली है। उनको भविष्य में ऐसी गलती दोबारा नहीं करने की हिदायत दी जाती है।” 6 दिसंबर, 2022 को हुई सुनवाई में अग्निहोत्री ने अपनी टिप्पणी के लिए बिना शर्त माफी माँग ली थी।

रंगनाथन की ओर से पेश हुए एडवोकेट जे साई दीपक ने कोर्ट में कहा कि रंगनाथन को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का कोई आदेश नहीं था। हालाँकि, वकील ने अदालत को भरोसा दिलाया कि वह 24 मई, 2023 को सुनवाई की अगली तारीख पर उपस्थित रहेंगे।

वहीं, आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति के खिलाफ दायर एक अन्य अवमानना मामले का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा, “देश के प्रत्येक नागरिक को पता होना चाहिए कि आपको सावधान रहना चाहिए। हम न्यायपूर्ण और निष्पक्ष आलोचना का स्वागत करते हैं। हम इसी तरह कार्य करते हैं।”

कोर्ट ने आगे कहा, “उन्होंने (गुरुमूर्ति) खेद व्यक्त किया और बिना शर्त माफी माँगी है…जस्टिस गोगोई के फैसले में कहा गया है कि अदालतें अपनी गरिमा की रक्षा के लिए अवमानना के लिए सजा नहीं देती हैं। लोगों के कहने से हमारी गरिमा नहीं आती है। यह उन कर्तव्यों से आता है, जिनका हम निर्वहन करते हैं।”

आनंद रंगनाथन ने माफी माँगने से किया था इनकार

बता दें कि दिसंबर 2022 में आनंद रंगनाथन ने जस्टिस एस मुरलीधर के खिलाफ टिप्पणी करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय से माफी माँगने से इनकार कर दिया था। दरअसल, 2018 में जस्टिस एस मुरलीधर ने अर्बन नक्सल और भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में आरोपित गौतम नवलखा को जमानत दे दी थी। इसके बाद, देश कपूर ने दृष्टिकोन नामक एक वेबसाइट के लिए एक लेख था। इस लेख में उन्होंने जस्टिस मुरलीधर पर पक्षपात करने के आरोप लगाए थे।

इस लेख को आनंद रंगनाथन (अन्य लोगों ने भी) द्वारा रीट्वीट कर उनका समर्थन किया गया था। इस पर, कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट की अवमानना करने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था। अवमानना मामले में, कोर्ट ने फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री, न्यूज पोर्टल स्वराज्य और आनंद रंगनाथन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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