फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर ने कहा कि साल 2014 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नरेंद्र मोदी का समर्थन किया था। इसके बाद उनके दोस्तों और साथियों ने उनसे किनारा कर लिया था। उन्हें सांप्रदायिक कहना जाने लगा था। यहाँ तक कि उन्हें गालियाँ दी गईं। उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में हर किसी की किसी ना किसी पार्टी या विचारधारा की ओर झुकाव है। कुछ लोग इसे एक्प्रेस करते हैं और कुछ लोग उसे अपने मन में रखते हैं।
दरअसल, भंडारकर मीडिया संस्थान ABP की कार्यक्रम ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ में अपनी बात रख रहे थे। इस कार्यक्रम के एक सेशन में मधुर भंडारकर, विपुल शाह और लीना यादव को आमंत्रित किया गया था। इस दौरान इन लोगों में फिल्म इंडस्ट्री और राजनीति के साथ-साथ राम मंदिर एवं धर्मनिरपेक्षता पर अपनी-अपनी बात रखी।
इसी दौरान एक सवाल के जवाब में मधुर भंडारकर ने कहा कि उन्होंने चाँदनी बार, ट्रैफिक सिग्नल जैसी फिल्में बनाई हैं और गरीबी को करीब से दिखाया है। उन्होंने कहा कि समाज की जिम्मेदारी को उन्होंने भली-भाँति निभाया है। उनकी फिल्मों को लोग पसंद भी करते हैं। उनके हर समुदाय के दोस्त-मित्र इसकी तारीफ भी किया करते थे।
उन्होंने आगे कहा, “मेरी बहुत सैक्युलर पर्सनैलिटी है। हर धर्म के लोगों से मेरी दोस्ती है। साल 2014 में मैंने पीएम पद के लिए मिस्टर नरेंद्र मोदी जी का खुलकर समर्थन किया। अचानक मुझे रातों-रात साइडलाइन कर दिया गया। अचानक मेरी सेक्युलर आवरण झीना हो गया कि अरे ये ऐसे कैसे कर सकता है। इतनी मुझे गालियाँ पड़ीं। इतने लोगों में मुझे साइडलाइन किया।”
भंडारकर ने कहा, “जब मैं जब फिल्में बनाता था तो इन लोगों को अच्छा लगता था। मैं ऐसा व्यक्ति हूँ जो मकदूम शाह बाबा, हाजी अली, अजमेर शरीफ सब जगह जाता हूँ। मैं चर्च भी जाता हूँ। इसके साथ ही मैं प्राउड हिंदू भी हूँ। मुझे गर्व है। मैं अपने हिंदुत्व को प्यार भी करता हूँ। अचानक आपको लगा कि इसने (पीएम मोदी को) सपोर्ट कर दिया तो तो कम्युनल हो गया।”
राम मंदिर को लेकर पूछे गए एक सवाल पर भंडारकर ने कहा, राम मंदिर में क्या कम्युनल है? किसी को बुलाया गया है (प्राण प्रतिष्ठा के दौरान) और कोई वहाँ जा रहा है, तो आप उसे अलग नजरिए से नहीं देख सकते। मैं इफ्तार पार्टी में शामिल हुआ हूँ तो मुझे किसी ने कहा कि अब तुम पक्का मुस्लिम बन गए हो। मैंने क्रिश्चियन पार्टी अटेंड की है। मुझे किसी ने नहीं बोला कि अब तुम क्रिश्चियन बन गए हो।
उन्होंने आगे कहा, “ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आप राम मंदिर में जाते हो.. आस्था है इस देश की… देश भर के लोगों का विश्वास है इसमें…. तो ये लोग चले गए राम मंदिर में तो आपको इस नजर से देखना ही नहीं चाहिए। जिनको बुलाया वो गए। उनकी आस्था थी, वो चले गए। मैं दुबई होकर आया हूँ कि BAPS स्वामीनारायण मंदिर के उद्घाटन में शामिल होेने। मुझे बुलाया गया तो मैं चला गया।”
भंडारकर ने कहा कि चीजों को अलग-अलग नजरिए से नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा, “अब लोग काफी सेलेक्टिव हो गए हैं। आपने ऐसा किया तो आप कम्युनल हो गए, लेकिन उन्होंने किया तो ठीक है उनके लिए। सेक्युलर हैं वो। इंडस्ट्री में जो उनको शूट करता है तब तो ठीक है, लेकिन जो उन्हें शूट नहीं करता है उसे कम्युनल बोल देंगे।” आप इस बयान को 16:00 से 18:35 मिनट के बीच सुन सकते हैं।
वहीं, इस डिस्कशन में मौजूद विपुल शाह ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “अगर मैं अपने धर्म के लिए कहीं जाता हूँ तो मैं कम्यूनल हूँ। ये कितनी वाहियात थ्योरी है। ये एक चेंज है कि एक वातावरण बन गया था कि हिंदू कहना शर्म की बात थी। अब ऐसा माहौल बन गया है कि हिंदू कहना ‘कूल’ हो गया है।”
विपुल शाह ने आगे कहा, “इसे एक दायरे में बाँधने की कोशिश की जा रही है कि ये हाइपर हिंदूइज्म है।” उन्होंने सवाल किया, “किसी और को हक है कि वो किसी पॉलिटिकल पार्टी को सपोर्ट करे तो मुझे क्यों नहीं है।” उन्होंने साफ कहा कि अब माहौल बदल रहा है।