जिस जल्लीकट्टू (Jallikattu) को राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) की पार्टी कॉन्ग्रेस (Congress) और न्यायपालिका ने कभी क्रूर बताकर उस पर रोक लगाने की बात कही थी, उस पर आधारित फिल्म सफलता के नित-नए झंडे गाड़ रही है। फिल्म कांतारा (Kantara) ने बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के मामले में KGF-2 को भी पीछे छोड़ दिया है।
कर्नाटक में अपने दूसरे मंगलवार को फिल्म ने 4 करोड़ से अधिक का बिजनेस किया। दूसरे सोमवार की तरह ही दूसरा मंगलवार को कांतारा का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन KGF चैप्टर 2 से अधिक रहा। केजीएफ ने इस दिन 3 करोड़ रुपए का व्यापार किया था। फिल्म की सफलता को देखते हुए इसे हिंदी में भी रिलीज किया जाएगा।
कांतारा ने कमाई के मामले में अपने पहले सप्ताह को पीछे छोड़ते हुए दूसरे हफ्ते के सिर्फ पाँच दिनों में लगभग 26.50 करोड़ रुपए की कमाई की है। पूरा दूसरा हफ्ता रुपये की ओर बढ़ रहा है। इस पूरे सप्ताह में फिल्म के 33.50-34 करोड़ रुपए कमाने की उम्मीद है, क्योंकि दर्शकों के बीच फिल्म का जलवा बरकरार है।
इस फिल्म का कुल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 52.75 करोड़ रुपए है, जिसमें से अकेले कर्नाटक से 50.50 करोड़ रुपए कमाए हैं। अभी तक की कमाई के आधार पर कांतारा KGF 2 (171.50 करोड़ रुपए), RRR (86 करोड़ रुपए) और 777 चार्ली (51 करोड़ रुपए) के बाद यह फिल्म राज्य में चौथी सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म है।
फिल्म की कहानी
इस फिल्म की कहानी जल्लीकट्टू जैसे दक्षिण भारत के खेल पर आधारित है, जो आधुनिक और सांस्कृतिक विरासत के बीच एक टकराव को दिखाती है। फिल्म की कहानी में राजा ने देवता माने जाने वाले एक पत्थर के बदले अपनी कुछ जमीन गाँव वालों को दे दी थी। राजा को देवता ने पहले ही बता दिया था कि अगर उसने जमीन वापस ली तो अनर्थ हो जाएगा।
दूसरी तरफ एक वन विभाग के अधिकारी को लगता है कि गाँव के लोग अंधविश्वास के कारण जंगल को नुकसान पहुँचा रहे हैं और पशुओं के साथ क्रूरता कर रहे हैं। यही टकराव फिल्म की कहानी है। फिल्म में गाँव वालों के जंगल और जानवरों से जुड़े अपने विश्वास हैं और उनका मानना है कि जब वो जंगल की सेवा करते हैं तो जंगल पर सिर्फ उनका अधिकार है।
कॉन्ग्रेस ने किया था जल्लीकट्टू का विरोध
2011 में कॉन्ग्रसे के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने उत्सव में सांडों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। साल 2009 के जल्लीकट्टू अधिनियम संख्या 27 के तमिलनाडु विनियमन के तहत त्योहार जारी रहा। वहीं, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के कानून को रद्द कर दिया और जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था।
हालाँकि, तमिलनाडु में जल्लीकट्टू का आयोजन जारी रहा। साल 2017 में तमिलनाडु सरकार ने भारत के प्रधानमंत्री के समर्थन से एक विधेयक पारित किया, जिसमें जल्लीकट्टू को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (1960) से छूट दी। पहला कानूनी जल्लीकट्टू उत्सव 1 फरवरी 2017 को मदुरै जिले में आयोजित किया गया था। हालाँकि, साल 2021 के जलीकट्टू आयोजन में शामिल होने राहुल गाँधी खुद गए।
साल 2014 में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध का स्वागत किया था और कहा था, “मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूँ। यह एक बर्बर प्रथा को समाप्त कर देगा।” मीडिया से बात करते हुए रमेश ने बाद में उत्सव को जारी रखने के भाजपा के प्रयासों की भी आलोचना की थी। उन्होंने इसे एक ‘बर्बर प्रथा’ कहा था और कहा था कि भाजपा चुनाव से पहले कुछ स्थानीय नेताओं को खुश करने के लिए उनका समर्थन कर रही है।
इसके पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह से लेकर कॉन्ग्रेस के कई नेताओं तक पार्टी ने हमेशा जल्लीकट्टू का विरोध किया। ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल के एनजी जयसिम्हा को संबोधित एक पत्र में डॉ सिंह ने त्योहार को मनोरंजन का एक क्रूर रूप बताया। उन्होंने कहा, “हमें बुलफाइट्स को हतोत्साहित करना होगा, जो मनोरंजन का एक क्रूर रूप प्रदान करते हैं।”