सोशल मीडिया पर फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ के बॉयकॉट अभियान के बीच मॉडल मिलिंद सोमन ने कहा है कि ट्रॉल्स अच्छी फिल्मों को नहीं रोक सकते। उन्होंने किसी फिल्म का नाम नहीं लिया और न ही कोई हैशटैग लगाया, लेकिन लोग अंदाज़ा लगा रहे हैं कि उन्होंने आमिर खान की फिल्म के समर्थन में ये ट्वीट किया है। उधर कंगना रनौत ने कहा है कि खुद आमिर खान ने ही अपनी फिल्म के बहिष्कार का अभियान चालू किया है।
कंगना रनौत ने कहा कि सोशल मीडिया पर ‘Boycott Laal Singh Chaddha’ ट्रेंड के मास्टरमाइंड खुद आमिर खान ही हैं। उनका कहना है कि मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के तहत आमिर खान ने खुद अपने फिल्म के बॉयकॉट का अभियान चालू करवा दिया। उन्होंने कहा कि फिल्म की नकारात्मकता फैलाने के पीछे आमिर खान की सोची-समझी योजना है। बकौल कंगना, इस साल एक कॉमेडी फिल्म के सीक्वल (भूल भुलैया 2) के अलावा कोई हिंदी फिल्म नहीं चली है।
अभिनेत्री ने कहा कि लोगों ने सिर्फ दक्षिण भारत की फिल्मों को पसंद किया है, या फिर हमारी संस्कृति पर आधारित फ़िल्में ही चली हैं। उन्होंने कहा कि एक हॉलीवुड रीमेक वैसे भी नहीं चलेगी। कंगना रनौत ने कहा कि अब ये लोग भारत को असहिष्णु बताएँगे। उन्होंने हिंदी फिल्मों को दर्शकों के नब्ज समझने की सलाह देते हुए कहा कि हिन्दू-मुस्लिम होने से फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने आमिर खान को उनकी हिन्दू विरोधी फिल्म PK की भी याद दिलाई।
उन्होंने इसे धर्म एवं विचारधारा से न जोड़ने की सलाह देते हुए कहा कि उनकी खराब एक्टिंग और बुरी फिल्मों से अलग बात है। उधर लोगों ने मिलिंद सोमन के ट्वीट का भी करारा जवाब दिया है। ‘द स्किन डॉक्टर’ ने कहा कि मिलिंद सोमन भी करीना कपूर जैसा ही दंभ दिखा रहे हैं, अगर वो चाहते हैं कि फिल्म चले तो उन्हें विनम्र होना चाहिए। ऋषि बागरी ने कहा कि उन्होंने कोशिश तो की, लेकिन ‘रॉकेट्री’ और ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्मों को नहीं रोक पाए।
Milind, unless you actually want movies to suffer, try to be humble in the face of resistance. You're showing Kareena Kapoor kind of arrogance. Don't challenge the audience by namecalling. At least Aamir is smart in this matter by projecting a humble face despite boycott calls.
— THE SKIN DOCTOR (@theskindoctor13) August 2, 2022
डॉ उदिता त्यागी ने पूछा कि क्या मिलिंद सोमन ने ‘लाल सिंह चड्ढा’ को फ्लॉप करवाने की सुपारी ले ली है? एक महिला ने कहा कि पुरानी एक्टिंग को ही बार-बार दोहराने से ज़रूर तथाकथित अच्छी फिल्म रुक जाएगी। एक ने तो मिलिंद सोमन से ही पूछ डाला कि क्या उन्होंने कभी अपने पूरे जीवन में एक भी अच्छी फिल्म की है? एक व्यक्ति ने लिखा कि हिन्दू धर्म को भला-बुरा कहने वाले ‘बुद्धिजीवी’ कहे जाते हैं, जबकि बॉलीवुड की आलोचना कर रही जनता ‘ट्रॉल्स’ कहलाती है।