फिल्मों की दुनिया में स्वरा भास्कर और राजनीति की दुनिया में राहुल गाँधी का ‘प्रदर्शन’ एक जैसा रहा है। अनिल कपूर के शब्दों में कहें तो- झकास। उनका अभिनय झकास है। इनकी नेतागिरी झकास है। इसलिए उनकी फिल्में चलती नहीं है, ये चुनाव में चलते नहीं हैं। दोनों में एक और समानता हैं। दोनों ही नामचीन लिबरल-सेकुलर माता-पिता के संतान हैं।
लेकिन, स्वरा भास्कर की मानें तो केवल वही नहीं, पूरा बॉलीवुड ही राहुल गाँधी हो गया है। उनका यह भी कहना है कि कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ‘पप्पू’ नहीं हैं। वे खुद उनसे मिली हैं और उन्हें ‘इंटेलिजेंट’ भी पाया है। वैसे पार्ट टाइम एक्ट्रेस फुल टाइम एक्टिविस्ट स्वरा भास्कर की गिनती उन लोगों में होती है जो हर चीज के ‘विशेषज्ञ’ हैं। जाहिर है कि इंटेलिजेंसी मापने का उनका पैमाना भी सबसे अलग होगा।
इंडिया टुडे से बात करते हुए स्वरा भास्कर ने कहा, “मुझे नहीं पता कि इस तरह की तुलना जायज होगी, लेकिन मुझे राहुल गाँधी की याद आ रही है। उन्हें हर कोई पप्पू कहने लगा। इसके कारण धीरे-धीरे लोगों को यकीन होने लगा कि वे पप्पू हैं। लेकिन मैं उनसे मिली हूँ। वे बेहद ही बुद्धिमान और मुखर इंसान हैं। इसी तरह बॉलीवुड का भी पप्पूकरण कर दिया गया है।”
दरअसल, इस समय कई हिंदी फिल्मों को लेकर बायकॉट ट्रेंड चर्चा में है। इसको लेकर ही स्वरा अपने विचार रख रही थीं। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि जिस सुशांत सिंह राजपूत की ‘आत्महत्या’ के बाद बॉलीवुड को जिस तरह प्रोजेक्ट किया गया उसके कारण ही इस तरह की स्थिति पैदा हुई है। ऐसा माहौल बना दिया गया जिससे लोगों को लगने लगा कि बॉलीवुड ऐसी जगह है जहाँ शराब, ड्रग्स और सेक्स ही होता है। लाल सिंह चड्ढा, रक्षा बंधन और दोबारा जैसी फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ने की वजह को लेकर स्वरा ने अनुराग कश्यप की बात से भी सहमति जताई। अनुराग ने कहा था कि दम तोड़ महँगाई के कारण लोगों के पास पैसा नहीं और वे फिल्में देखने थिएटर में नहीं आ रहे हैं।
कुल मिलाकर स्वरा ने इस इंटरव्यू के दौरान बॉलीवुड को पाक साफ बताने और उसकी दुर्गति के लिए उनलोगों को प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार ठहराने की पूरी कोशिश की जिन्हें वह हर मामले में विलेन बताने की आदी रही हैं। लेकिन इस पूरे मामले में उन्होंने जिस तरह राहुल गाँधी को खींच लिया है, उसकी हम कड़ी निंदा करते हैं!