रवि तेजा की फिल्म ‘टाइगर नागेश्वर राव’ का टीजर आ गया है। फिल्म में अनुपम खेर और मुरली शर्मा जैसे वरिष्ठ कलाकार भी महत्वपूर्ण किरदार में दिखाई दे रहे हैं। बता दें कि ‘Tiger Nageswara Rao’ के निर्माता अभिषेक अग्रवाल हैं, जो 2022 में आई फिल्मों ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘कार्तिकेय’ के निर्माता भी थे। दोनों ही फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई थीं। अब अभिषेक अग्रवाल तेलुगू फिल्मों में ‘मास महाराजा’ कहे जाने वाले रवि तेजा की पहली पैन-इंडिया फिल्म के निर्माता भी हैं।
अभिषेक अग्रवाल द्वारा निर्मित ‘टाइगर नागेश्वर राव’ का टीजर जारी
‘टाइगर नागेश्वर राव’ के टीजर में दिखाया जाता है कि कैसे एक चोर चेन्नई की सेन्ट्रल जेल से फरार हो जाता है। इसके बाद एक बड़े अधिकारी की भूमिका में दिख रहे अनुपम खेर भारत के नक़्शे पर ‘टाइगर जोन’ दिखाते हैं। टीजर में दिखाया गया है कि ये फिल्म ‘सत्य अफवाहों’ पर आधारित है। ये कहानी स्टुअर्टपुरम के एक चोर की है, जिसने कई वर्षों तक पुलिस की नाक में दम किए रखा। टीजर में पुलिस अधिकारी की भूमिका में दिख रहे मुरली शर्मा कहते हैं कि अगर नागेश्वर राजनीति में जाता तो अपने तेज दिमाग से चुनाव जीत जाता।
साथ ही वो आगे बताते हैं कि अगर वो स्पोर्ट्स में जाता तो दौड़ कर भारत के लिए मेडल जीत जाता, अगर सेना में जाता तो अपनी बहादुरी से देश के लिए युद्ध जीत जाता। फिर वो बताते हैं कि दुर्भाग्य से वो एक अपराधी बन गया। वो आगे उसके बारे में बताते हैं, “शेर-बाघ जैसे जानवर भी एक उम्र तक दूध पीते हैं, लेकिन उसने 8 साल की उम्र से ही खून पीना शुरू कर दिया था।” फिल्म में चोर नागेश्वर राव के बचपन को भी दिखाया गया है। टीजर के एक दृश्य में ‘नागेश्वर राव’ की भूमिका में दिख रहे रवि तेजा को रस्सी से खुद को बाँध कर पुल पर चलती ट्रेन में जाते हुए देखा जा सकता है।
फिल्म के टीजर में एक अधिकारी पूछता है कि बिहार में हमने ओंकार सिंह यादव जैसे क्रिमिनल देखे हैं, ये इससे भी बड़ा डाकू है क्या? ‘टाइगर नागेश्वर राव’ को ‘अभिषेक अग्रवाल आर्ट्स’ के बैनर तले बनाया गया है और ये 20 अक्टूबर, 2023 को तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी भाषा में सिनेमाघरों में दस्तक देगी। GV प्रकाश कुमार इस फिल्म का संगीत दे रहे हैं। बतौर अभिनेत्री फिल्म में नूपुर सेनन हैं। ये रवि तेजा की अब तक की सबसे बड़ी बजट की फिल्म है।
क्या है स्टुआटपुरम के चोर की कहानी
असल में ‘नागेश्वर राव’ नाम के सचमुच एक चोर हुआ करता था, जिसे लोगों ने ‘टाइगर’ नाम दे दिया था। उसके इलाके में उसकी छाव ‘रॉबिनहुड’ की थी। वहाँ के लोग कहते थे कि वो उन अमीरों को लूटता था जो गरीबों का शिक्षण करते थे, इसके बाद उस धन को गरीबों में बाँट देता था। नागेश्वर राव का गाँव स्टुअर्टपुरम को आज भी उसी के नाम से पहचाना जाता है। कुछ लोग कहते हैं कि वो गरीबों के अधिकार के लिए लड़ता था। 80 के दशक में उसे जानने वाले लोग कहते हैं कि वो एक काफी दयालु व्यक्ति था, जो हमेशा गाँव के ज़रूरतमंदों की मदद करता था।
वो अपनी चीजें भी किसी ज़रूरतमंद को देने से हिचकता नहीं था। लोगों का कहना है कि अपनी दयालुता और उदारता के कारण वो गाँव में लोकप्रिय हो गया था। अंग्रेजों के ज़माने में कई इलाकों के चोर-डाकुओं को एक साथ बसाने के लिए तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के सदस्य हेरोल्ड स्टुअर्ट के नाम पर इस गाँव को स्थापित किया गया था। ऐसे में ब्रिटिश सरकार को उन और एक साथ नजर रखने में आसानी होती थी। इसी गाँव में 70 के दशक में और उसके बाद 15 वर्षों तक नागेश्वर राव का दबदबा रहा। आंध्र प्रदेश , तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक – आज जो ये 4 राज्य हैं, इन चारों के इलाकों में वो चोरी करता था।