नसीरुद्दीन शाह की पत्नी रत्ना पाठक ने ‘Hauterrfly’ को दिए गए इस इंटरव्यू में घरेलू हिंसा के लिए पुरुषों को जिम्मेदार ठहरा दिया। इस दौरान उन्होंने अपनी शादी को लेकर भी बात की। इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि पहले उन्हें कभी सड़कों पर चलने में डर नहीं लगा, रात की फिल्म का शो देख कर वो आराम से घर आते थे। उन्होंने दिल्ली और मुंबई की तुलना करते हुए कहा कि दिल्ली में गलती करने वाले पुरुष उलटा पलट कर बोलते हैं। उन्होंने बताया कि उनके जन्म के समय दादी ने कहा था कि अब तक बेटियाँ ही हुई हैं, पाठक खानदान का नाम कौन चलाएगा।
उन्होंने कहा कि उनके पिता लिबरल थे, व्हिस्की के ग्लास के साथ किचन में कुकिंग करते थे। उन्होंने बताया कि नसीरुद्दीन शाह से शादी को लेकर उनके पिता राज़ी नहीं थे, लेकिन इससे पहले उनकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि उनकी माँ के साथ भी नसीरुद्दीन शाह के साथ अच्छे संबंध नहीं थे, लेकिन बाद में सब ठीक हो गया। उनका कहना है कि नसीरुद्दीन शाह या उनके परिवार की तरफ से धर्मांतरण के लिए कोई दबाव नहीं आया। उन्होंने कहा कि नसीरुद्दीन शाह रूढ़िवादी माहौल से आते हैं।
बकौल रत्ना पाठक शाह, उन्होंने किताबों से सेक्स एजुकेशन के बारे में पढ़ा, उन्होंने अपनी बेटी (पहली शादी से नसीरुद्दीन शाह की बेटी हिबा) को कभी मेंस्टुरेशन छिपाने के लिए बाध्य नहीं किया। पुरुषों को कमाने वाला का टैग मिलने को लेकर उन्होंने कहा कि मुंबई में कामवाली बाई सबके घरों में काम करती हैं, वो अपना घर चलाती हैं। उन्होंने बताया कि ऐसी कई महिलाओं के साथ उनके पति या परिवार द्वारा धोखा किया गया। ‘साराभाई vs साराभाई’ के संबंध में उन्होंने कहा कि सतीश शाह को उनसे ज़्यादा पैसे मिलते थे।
उन्होंने कहा कि वो उस स्थिति में नहीं थीं कि इसे लेकर आवाज़ उठा सकें, लेकिन उन्हें इससे समस्या थी। उन्होंने कहा कि आजकल फिल्मों के सेट पर काफी सेक्स होते हैं, लेकिन वो सहमति के साथ होते हैं तो क्या समस्या है? उन्होंने कहा कि अब लोग सेक्स को लेकर खुले विचार रखते हैं। अभिनेत्री ने इस दौरान घेरलू हिंसा के लिए परितृसत्तात्मक संरचना को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इसका कारण ये है कि पुरुष नियंत्रण में रखना चाहते हैं।