पीरियड एक ऐसी मासिक प्रक्रिया है जो युवावस्था में कदम रखने वाली हर लड़की की सच्चाई है। फिर भी समाज ने इस आइने को हमेशा से पर्दे में रखने का प्रयास किया। नतीजन इस पर्दे के पीछे असहाय दर्द और परेशानियों से कराहती महिलाएँ न किसी से अपनी शिकायत कर पाईं और न ही अपने लिए कोई कदम उठा पाईं।
भारत में महिलाओं की इसी स्थिति का आकलन करते हुए एक भारतीय फिल्म प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने ‘Period. End of sentence’ नाम की फिल्म प्रोड्यूस की। इसे बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट कैटेगरी फिल्म के लिए ऑस्कर अवार्ड (2019) मिला। इसका निर्देशन मैलिसा बर्टन और रयाक्ता जहताबची ने किया है।
And the #Oscars winner is… pic.twitter.com/tvMiXH9hto
— The Academy (@TheAcademy) February 25, 2019
इस अवार्ड के मिलने पर अपनी खुशी को ज़ाहिर करते हुए रयाक्ता ने कहा कि उन्हें यकीन ही नहीं हो पा रहा है कि पीरियड्स पर बनी फिल्म ने अवार्ड जीत लिया है। साथ ही गुनीत ने ट्वीट करते हुए लिखा, “हम जीत गए। धरती पर मौजूद हर लड़की इस बात को जान ले कि वह देवी है…”
WE WON!!! To every girl on this earth… know that you are a goddess… if heavens are listening… look MA we put @sikhya on the map ❤️
— Guneet Monga (@guneetm) February 25, 2019
क्या है फिल्म में
यह फिल्म भारतीय महिलाओं की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म है। इसमें पीरियड्स के मुद्दे को उजागर किया गया है। 26 मिनट की इस शॉर्ट फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के पास पैड का विकल्प न होने के कारण वो बीमारियाँ की चपेट में आ जाती हैं और मासिक धर्म उनकी मौत का कारण बनता है। साथ ही छोटी बच्चियों को कैसे इस दौरान स्कूल जाने में दिक्कत होती है, जिससे उनकी पढ़ाई पर असर पड़ता है।
इस फिल्म की कहानी हापुड़ में स्थित गाँव की महिलाओं पर केंद्रित है। जिन्हें पैड की सुविधा उपलब्ध नहीं है और उपर्युक्त परेशानियों से उन्हें गुजरना पड़ रहा है। इन परेशानियों को मद्देनजर नजर रखते हुए वहाँ एक पैड मशीन लगाई जाती है, जिसके बाद से महिलाओं को पैड के बारे में पता भी चलता है और वह उसे स्वयं बनाने का फैसला भी करती हैं।
हालाँकि कुछ रूढ़िवादी लोगों द्वारा इस पर आपत्ति जताई जाती है, लेकिन महिलाएँ अपने इरादे से पीछे नहीं हटतीं और परेशानियों का डटकर सामना करती हैं। पैड निर्माण के इस प्रोजेक्ट को विदेश से भी सहायता मिलती है। गाँव में बनने वाली इस सैनिटरी नैपकिन को फ्लाई (Fly) का नाम दिया जाता है। जो दर्शाता है कि सैनिटरी पैड्स के साथ ही महिलाओं को मासिक धर्म से होने वाली परेशानियों से आजादी मिलती है और वो खुल कर बुलंदियों को हासिल कर सकती हैं।
गुनीत मोंगा द्वारा प्रोड्यूस की गई इस फिल्म का ऑस्कर में बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट कैटिगरी अवॉर्ड के लिए ‘ब्लैक शीप’, ‘एंड गेम’, ‘लाइफबोट’ और ‘अ नाइट ऐट दी गार्डन’ फिल्मों से मुकाबला था। लेकिन सबको पछाड़ते हुए उनकी इस फिल्म ने अवार्ड अपने नाम किया। बता दें कि इससे पहले गुनीत ‘लंच बॉक्स’ और ‘मसान’ जैसी फिल्मों को भी प्रोड्यूस कर चुकी हैं।