ऐसी ही एक परंपरा हमारे समाज में भैया दूज को मनाने की सदियों से चलती चली आई है। जीवन में तमाम व्यस्तता के बाद भी अगर आज इस त्योहार का लोग महत्व समझते हैं, इसे मनाने के लिए उत्सुक रहते हैं, तो यही इस परंपरा की जीत है।
भैया दूज हर वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन भाई के माथे पर तिलक करके बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है, लेकिन सिर्फ तिलक से लंबी उम्र का क्या संबंध है ये कई लोग सोचते हैं तो चलिए आज एक पौराणिक कथा के जरिए इस तिलक के महत्व के बारे में जानते हैं और समझते हैं कि इसका संबंध कैसे भाई की दीर्घायु से जोड़ते हैं।
यम और यमुना से जुड़ी कथा
ये कथा है यमराज और उनकी बहन यमुना मैया की। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यमराज और यमुना मैया दोनों ही भगवान सूर्य की संताने हैं लेकिन सूर्य देव की तेज किरणों के कारण वो अपनी माता संज्ञा के साथ अलग रहे। बाद में यम देव ने अपनी यमपुरी बसाई जहाँ दुष्टों को उनके कर्मों के लिए दंड दिया जाता था।
Bhaiya Dooj::
— HASHIRAMA (@Thesage_lord) November 14, 2023
Bhaiya Dooj is a festival celebrated on the second day of Kartik Shukla Paksha which is related to Dharamraj and Yamuna Devi.
According to beliefs, on this day a brother should go to his sister's house and have food by her hands pic.twitter.com/BZaowwwgjr
यमुना मैया निर्मल स्वभाव की थीं। उनसे ज्यादा दिन ये सब देखा नहीं गया और आखिर में वह गोलोक चली गईं। समय बीता। एक दिन यमराज को अपनी बहन की बहुत याद आई। उन्होंने अपने दूतों को भेज कहा कि वो जाकर यमुना जी का पता लगाएँ। बहुत खोजने के बाद जब किसी को यमुना जी का पता नहीं चला, तब यम देव खुद गोलोक के लिए चले और इस तरह बहुत वर्ष बाद भाई-बहन की आपस में भेंट हुई।
यमुना जी अपने भाई को देख इतनी प्रसन्न थीं कि उन्होंने यम देव का तिलक कर उनका स्वागत किया और उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया। बहन का प्रेम देख यमराज भी भावुक हो गए। उन्होंने अपनी बहन से कहा कि वो उनसे कुछ भी वरदान माँग लें। इस पर यमुना मैया को यमपुरी में लोगों को दी जाने वाली यातनाओं की याद आई और उन्होंने कहा – “मुझे ये वर दें कि जो कोई मेरे जल में स्नान करे वो यमपुरी में न जाए।”
Even in Narad Purana, there is a provision of eating food at the hands of sister on this date. pic.twitter.com/VVAoQsBDDz
— HASHIRAMA (@Thesage_lord) November 14, 2023
यमराज इस वरदान को सुन सोच में पड़ गए कि अगर ऐसा हुआ तो यमपुरी में आएगा ही कौन। तभी बहन यमुना ने फिर कहा कि आप चिंता न करें, मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन से तिलक कराएँ और मेरे जल में स्नान करे वो कभी यमपुरी न जाए।
इसी वरदान के बाद द्वादशी तिथि को भाई दूज मनाने की परंपरा चली और हर बहन ने अपने भाई के माथे पर तिलक करके उनकी लंबी उम्र की कामना करनी शुरू की।
In Skanda Purana Kartik month mahatmanya you will be able to find more about this festival pic.twitter.com/JNYKHSG3nV
— HASHIRAMA (@Thesage_lord) November 14, 2023
माना जाता है कि जो भाई इस दिन अपनी सगी बहन के हाथ से भोजन को स्नेहपूर्वक करता है, उसके उपहार देता है उसके बल में वृद्धि होती है। वह एक साल तक किसी कलह एवं शत्रु के भय का सामना नहीं करता। उसके धन, यश, धर्म, काम में बढोतरी होती है।
भगवान कृष्ण और सुभद्रा की कहानी
इस कथा के अलावा एक कथा और मशहूर है जिसका संबंध भगवान कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा से जुड़ा है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने जब नरकासुर का वध किया तो उसके बाद वो अपनी बहन से मिलने गए।इसके बाद सुभद्रा ने उनका स्वागत तिलक करके और आरती करके किया। इस दौरान भगवान ने अपनी बहन को आशीर्वाद दिया कि वो हमेशा अपनी बहन की रक्षा करेंगे।
Śrī Krishna visited his beloved sister Subhadra after slaying Narakasura.
— Lokagatha (@Lokagatha_) November 16, 2020
Subhadra applied tilak on her brother's forehead and congratulated him by feeding him sweets and giving him gifts.
This exchange have lead to the origin of Bhai Dooj. #BhaiDooj #भाई_दूज pic.twitter.com/Qe9AfJnCI3
भाई दूज का भारत में महत्व
आज इस त्योहार को मनाने का तरीका जगह-जगह अलग हो सकता है लेकिन इस त्योहार को लेकर विश्वास सबका एक ही है। ये केवल एक भाई दूज केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का अवसर भी प्रदान करता है। पूरे भारत में इसे विभिन्न नामों से मनाया जाता है। कहीं इसे भाई दूज कहते हैं तो कहीं पर भाई तीज कहा जाता है। विदेशों में भी धीरे-धीरे भारतीय संस्कृति के प्रति रूचि रखने वाले लोग इस उत्सव को मनाते हैं।