‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)’ ने हरियाणा के प्राचीन स्थल राखीगढ़ी में एक 5000 साल पुरानी आभूषणों की फैक्ट्री ढूँढ निकालने में सफलता पाई है। पिछले 32 वर्षों से चल रहे इस खुदाई कार्यक्रम की ये सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है। हरियाणा के हिसार जिले में स्थित राखीगढ़ी का सम्बन्ध सिंधु घाटी सभ्यता से माना जाता है। ये गाँव एक पुरातात्विक स्थल है। इसके साथ ही प्राचीन काल में घर बनाने की उत्कृष्ट कला भी दिखी है।
7000 वर्ष पहले लोगों के पास इस तरह के घर होना और उसमें एक पूरा का पूरा किचन परिसर का बनाया जाना, विशेषज्ञों को भी अचंभे में डाल रहा है। यहाँ ज्वेलरी फैक्ट्री का मिलना बताता है कि हजारों वर्ष पूर्व ये जगह व्यापार और कारोबार का एक महत्वपूर्ण स्थल रहा होगा। ताम्र और सोने से बने कई ऐसे आभूषण भी मिले हैं, जो हजारों वर्षों से अब तक छिपे हुए थे। ये वैसा ही है, जैसे उत्तर प्रदेश के सिनौली में कांस्य युग की चक्कियाँ (व्हील डिस्क) मिले थे।
साथ ही वहाँ एक रथ भी खोजा गया था, जो प्राचीन उन्नत योद्धाओं की एक संस्कृति की ओर इशारा करता है। 2018 में इस जगह पर हुई खोजों में एक कब्रिस्तान भी मिला था, जो बताता है कि इस संस्कृति के लोगों का मृत्यु पर्यन्त जीवन पर विश्वास था। ASI ने राखीगढ़ी में पिछले दो महीनों में जो खोज की है, उससे एक सभ्यता के विकास की ओर बढ़ने के क्रम का पता चलता है। इसमें हजारों मिट्टी के घड़ों के अलावा रॉयल सील्स और बच्चों के खिलौने भी शामिल हैं।
ये सभी चीजें खुदाई में मिली हैं। ASI के एडिशनल डायरेक्टर जनरल (ADG) डॉक्टर संजय मंजुल ने कहा कि पिछले दो दशकों में सुनौली, हस्तिनापुर और राखीगढ़ी में संस्था ने काफी काम किया है और फ़िलहाल ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि राखीगढ़ी के लोग ही हस्तिनापुर वासियों के पूर्वज थे। उनका कहना है कि यहीं सर संस्कृति और सभ्यता का विकास हुआ। वहाँ आज से 7000 वर्ष पूर्व भी योजनाबद्ध तरीके से मकान बनते थे। इससे पहले एक कंकाल के साथ तांबे का दर्पण मिला था। माना जा रहा है ये 5000 वर्ष पुराना है। जाँच के बाद सही आकलन सामने आएगा।
इतना ही नहीं, उन घरों में पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था होती थी। सड़कों से मिलती हुई गालियाँ बनाई जाती थीं। सड़कों और गलियों में मोड़ पर कच्ची मिट्टी को जला कर ईंट का रूप दिया जाता था और निर्माण को नुकसान न पहुँचे, इसकी व्यवस्था की जाती थी। यहाँ कई मुहर, मृदभांड, हाथी दाँत, सोने और मानव की हाड़ियों की वस्तुएँ भी मिली हैं। फ़िलहाल यहाँ खुदाई जारी रहेगी। सितंबर 2022 से अगली खुदाई शुरू होगी।
Copper & gold objects were also found, along with artifacts, beads, sealed scripts with motifs, & ceilings with Harappan script & elephant depictions. This shows their cultural diversity. Our motive is to develop this site iconically: Sanjay K Manjul, Joint Director General, ASI pic.twitter.com/dEJ6bcbNlD
— ANI (@ANI) May 8, 2022
वर्तमान खुदाई इस महीने के अंत तक ख़त्म हो जाएगी। हरियाणा सरकार ने ASI के साथ एक समझौता भी किया है, जिसके तहत यहाँ से मिली प्राचीन वस्तुओं को वहाँ के एक संग्रहालय में रखा जा रहा है। राखीखास और राखीशाहपुर में ये स्थल 350 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जिसमें कुछ गाँव और कृषि क्षेत्र हैं। यहाँ 7 टीले हैं। 1998-2001 में ASI ने पहली खुदाई की थी। पुणे के डेक्कन कॉलेज ने 2013-16 रिसर्च किया। यहाँ महिलाओं की 60 कब्रें भी मिली थीं, जिन्हें मिट्टी के बर्तन, शेल चूड़ियों और सजे हुए गहनों के साथ दफनाया गया था।
भारत सरकार ने इसे पाँच प्रतिष्ठित स्थलों में से एक के रूप में विकसित किए जाने की योजना भी तैयार की है। बड़ी मात्रा में पत्थरों के अवशिष्ट मिले हैं, जो कीमती हुआ करते थे। सड़कों की चौड़ाई सामान्यतः 2.6 मीटर हुआ करती थी। पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण दिशा में 18 मीटर तक इसकी गलियाँ जाती हैं। मिट्टी की ईंटों के 15 भाग अब तक दिखे हैं। जली हुई ईंट की दीवार मिली है। नालियाँ भी हैं। बड़ी मात्रा में टेराकोटा और स्टील से बनी कुत्ते-बैल व अन्य पशुओं की मूर्तियाँ, मालाएँ और पत्थरों के मोती भी मिले हैं।