प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अमेरिका के सफल दौरे बाद रविवार (सितंबर 26, 2021) को वापस स्वदेश लौट गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को जब स्वदेश लौटें, तब अपने साथ 157 प्राचीन कलाकृतियाँ व वस्तुएँ लेकर आए। अमेरिका ने इन कलाकृतियों व वस्तुओं को प्रधानमंत्री को भेंट किया है, जिस पर प्रधानमंत्री ने आभार जताया।
अमेरिका द्वारा भारत को सौंपी गई कलाकृतियों में सांस्कृतिक पुरावशेष, हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म से संबंधित मूर्तियाँ शामिल हैं। बता दें कि, भारत रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी यूएन में भाषण देने के बाद न्यूयॉर्क में भारतीय समुदाय के लोगों से मिले और सेल्फी के साथ-साथ ऑटोग्राफ भी दिया।
The motifs incl religious sculptures from Hinduism, Buddhism & Jainism as well as secular motifs (Amorphous couple in Samabhanga, Chowri Bearer, Female playing drum etc).
— ANI (@ANI) September 25, 2021
इनमें से अधिकतर कलाकृतियाँ व वस्तुएँ 11वीं से 14वीं शताब्दी के बीच की हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इन कलाकृतियों को लौटाने के लिए अमेरिका का धन्यवाद किया। प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चोरी, अवैध व्यापार और सांस्कृतिक वस्तुओं की तस्करी को रोकने के प्रयासों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।
इन 157 कलाकृतियों व वस्तुओं में 10वीं शताब्दी की बलुआ पत्थर से तैयार की गई डेढ़ मीटर की नक्काशी से लेकर 12वीं शताब्दी की उत्कृष्ट काँसे की 8.5 सेंटीमीटर ऊँची नटराज की मूर्ति शामिल है। लगभग आधी कलाकृतियाँ सांस्कृतिक हैं, जबकि अन्य आधे में हिंदू धर्म, बौद्ध और जैन धर्म से संबंधित मूर्तियाँ हैं।
मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने ट्वीट करते हुए लिखा, “दुनिया भर से देश की विरासत को वापस लाने की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका से अपने साथ 157 कलाकृतियाँ वापस ला रहे हैं जो कॉन्ग्रेस के शासनकाल में चोरी और तस्करी के ज़रिए देश के बाहर चली गई थीं।”
दुनिया भर से देश की विरासत को वापस लाने की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री @narendramodi अमेरिका से अपने साथ 157 कलाकृतियां वापस ला रहे हैं जो कांग्रेस के शासनकाल में चोरी और तस्करी के ज़रिये देश के बाहर चली गई थीं। pic.twitter.com/IFEdHY05dj
— Vishvas Kailash Sarang (@VishvasSarang) September 26, 2021
यह सभी धातु, पत्थर और टैराकोटा से बनी हैं। काँसे की वस्तुओं में लक्ष्मी नारायण, बुद्ध, विष्णु, शिव-पार्वती और 24 जैन तीर्थंकरों की भंगिमाएँ शामिल हैं। कई अन्य कलाकृतियाँ भी हैं जिनमें कम लोकप्रिय कनकलामूर्ति, ब्राह्मी और नंदीकेसा शामिल है। यह कलाकृतियाँ और पुरावशेष तस्करी और चोरी करके कभी अमेरिका ले जाए गए थे। मोदी सरकार ने दुनिया भर से भारत की प्राचीन वस्तुओं और कलाकृतियों को वापस लाने की मुहिम छेड़ रखी है। ये 157 कलाकृतियाँ उसी मुहिम के तहत वापस लाई गईं हैं।
Over the last few days, have had productive bilateral and multilateral engagements, interaction with CEOs and the UN address. I am confident the India-USA relationship will grow even stronger in the years to come. Our rich people-to-people linkages are among our strongest assets.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 25, 2021
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने यूएन में संबोधन के बाद एक ट्वीट में कहा, “पिछले कुछ दिनों में हुई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकें, अमेरिकी कंपनियों के सीईओ के साथ मुलाकात और यूएन में संबोधन जैसे कई परिणाम देने वाले कार्यक्रम हुए। मुझे विश्वास है कि भारत और अमेरिका के रिश्ते आने वाले सालों में और ज्यादा मजबूत होंगे। हमारे बीच व्यक्ति से व्यक्ति के संपन्न रिश्ते हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हैं।”
उल्लेखनीय है कि अमेरिका दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने उप राष्ट्रपति कमला हैरिस को उनके दादा पीवी गोपालन की सरकारी नियुक्तियों और सेवानिवृत्ति से जुड़े गजट नोटिफिकेशन को लकड़ी की फ्रेम में सजा कर भेंट किया था। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने कमला हैरिस को गुलाबी मीनाकारी शतरंज का सेट भी उपहार में दिया। वहीं पीएम मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा (Yoshihide Suga) को चंदन की बुद्ध की मूर्ति ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison) को चाँदी का गुलाबी मीनाकारी जहाज भेंट किया।