आर्यों को लेकर कई दावे किए गए लेकिन फिर भी सवाल ज्यों का त्यों रहा कि आर्य बाहर से आए थे या यहीं (भारत) के ही निवासी थे? इस सवाल के जवाब में वामपंथियों ने कई दावे किए जिसका मकसद भारतियों को शायद हीन साबित करना रहा हो लेकिन अब इस सवाल का जवाब स्पष्ट नज़र आने लगा है।
दरअसल, हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी में हुई हड़प्पाकालीन सभ्यता की खोदाई में कई ऐतिहासिक राज से पर्दा उठ गया है। बता दें कि राखीगढ़ी में मिले 5000 साल पुराने कंकालों के डीएनए टेस्ट के बाद जारी की गई रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि आर्य कहीं बाहर से नहीं आए बल्कि यहीं अर्थात भारत के ही के मूल निवासी थे। डीएनए स्टडी से यह भी खुलासा हुआ है कि भारत के लोगों के जीन में पिछले हजारों सालों में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखने को मिला है।
इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के एक अंश में यह दावा किया गया है कि इस अध्ययन में सामने आया है कि आर्यन्स भारत के ही मूल निवासी थे। इसे लेकर वैज्ञानिकों ने राखीगढ़ी से प्राप्त नरकंकालों के अवशेषों का डीएनए टेस्ट किया था। डीएनए टेस्ट से स्पष्ट पता चला है कि यह रिपोर्ट प्राचीन आर्यन्स की डीएनए रिपोर्ट से मेल नहीं खाती है। ऐसे में जाहिर आर्यों के बाहर से आने की थ्योरी ही गलत साबित होती है। वैसे पहले भी कई इतिहासकारों का कहना था कि वामपंथियों की आर्यन थ्योरी मनगढंत कल्पना पर आधारित है। जिसकी परतें इस नए शोध से उघड़ती नज़र आ रही हैं।
Our results also contradict the hypothesis that the shared ancestry between early Iranians and South Asians reflects a large-scale spread of western Iranian farmers east.
— Vagheesh Narasimhan (@vagheesh) September 5, 2019
रिसर्च में यह भी सामने आया है कि 9000 साल पहले भारत के लोगों ने ही कृषि की शुरुआत की थी। इसके बाद ये ईरान व इराक होते हुए पूरी दुनिया में पहुँची। भारत के विकास में यहीं के लोगों का योगदान है।
यहाँ यह ध्यान देने वाली बात है कि इतिहास के लिए तथ्य महत्वपूर्ण होते हैं, इन तथ्यों में भी वैज्ञानिक सबूतों का ज्यादा महत्व होता है। राखीगढ़ी में मिले 5000 साल पुराने कंकालों के अध्ययन के बाद जारी की गई रिपोर्ट में ऐसी कई बातें सामने आई है जिनके अभी तक कयास ही लगाए जा रहे थे।
बता दें कि हिसार के राखीगढ़ी में हड़प्पा खोदाई का काम कर रहे पुणे के डेक्कन कॉलेज के पुरातत्वविदों के अनुसार, खोदाई के वक्त युवक (कंकाल) का मुँह युवती की तरफ था। और यह पहली बार है कि जब हड़प्पा सभ्यता की खुदाई के दौरान किसी युगल की कब्र मिली है।
Our work, sequencing >100 libraries from a single sample to recover ancient DNA from an extremely challenging environment (the Indus Valley Civilization) is now out in @CellCellPress https://t.co/CVJrz9nrhr pic.twitter.com/n75AHbnxtD
— Vagheesh Narasimhan (@vagheesh) September 5, 2019
यहाँ हैरानी की बात यह भी है कि अब तक हड़प्पा सभ्यता से संबंधित कई कब्रिस्तानों की जाँच की गई थी लेकिन आज तक किसी भी युगल के इस तरह दफनाने का मामला सामने नहीं आया था।
राखीगढ़ी में खोदाई करने वाले पुरातत्वविदों के अनुसार, युगल कंकाल का मुँह, हाथ और पैर सभी एक समान है। इससे साफ है कि दोनों को जवानी में एक साथ दफनाया गया था। बता दें के ये निष्कर्ष हाल ही में अंतरराष्ट्रीय पत्रिका, एसीबी जर्नल ऑफ अनैटमी और सेल बायॉलजी में प्रकाशित किए गए थे।
इस नए शोध और प्रमाणों के साये में इतिहास को देखने और समझने की एक नई दृष्टि मिलती है। और वामपंथियों की हीनता भरे इतिहास को एक चपत भी लगती है। आप इस स्टडी पर एक रिपोर्ट यहाँ Opindia पर भी पढ़ सकते हैं।