Monday, December 23, 2024
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जिन कपिल मुनि के कारण गंगा धरती पर आईं, मकर संक्रांति के दिन हिंदुओं को मिलता है मोक्ष… खतरे में उनका मंदिर, सो रही बंगाल सरकार

अब इस समस्या को हल करने के लिए बंगाल सरकार ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) मद्रास और नीदरलैंड के विशेषज्ञों की मदद लेने का फैसला किया है। विश्व बैंक भी इस प्रयास में आर्थिक सहयोग करेगा।

पश्चिम बंगाल के गंगासागर में स्थित विश्व प्रसिद्ध कपिल मुनि मंदिर पर समुद्र के बढ़ते पानी का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। यह मंदिर हिंदुओं के लिए अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल है, जहाँ हर साल मकर संक्रांति पर लाखों श्रद्धालु गंगासागर मेले में आते हैं। लेकिन अगले 2 सालों में ये प्रसिद्ध मंदिर समंदर में समा सकता है, क्योंकि आध्यात्मिक आस्था के इस प्रसिद्ध केंद्र को बचाने के लिए राज्य सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में आए चक्रवात ‘दाना’ ने मिट्टी के कटाव को तेज कर दिया है। अब समुद्र और मंदिर के बीच सिर्फ एक किलोमीटर का फासला रह गया है। इससे पहले भी गंगासागर तट पर तीन मंदिर समुद्र में समा चुके हैं। अगर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो अगले दो साल में यह मंदिर भी जलसमाधि ले सकता है।

हालाँकि, अब इस समस्या को हल करने के लिए बंगाल सरकार ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) मद्रास और नीदरलैंड के विशेषज्ञों की मदद लेने का फैसला किया है। विश्व बैंक भी इस प्रयास में आर्थिक सहयोग करेगा। जल्द ही विशेषज्ञों की टीम गंगासागर का दौरा कर मिट्टी कटाव रोकने के प्रभावी उपाय सुझाएगी। राज्य के सिंचाई मंत्री मानस भुइयां ने इस गंभीर स्थिति पर अधिकारियों की लापरवाही पर नाराजगी जताई। मिट्टी कटाव रोकने के लिए बनाए गए बैरियर पर्याप्त साबित नहीं हो रहे हैं। चक्रवात “यास” और “दाना” से तट को भारी नुकसान हुआ है।

गंगासागर का कपिल मुनि मंदिर: आस्था और महत्व

कपिल मुनि मंदिर का इतिहास भी बेहद रोचक है। गंगासागर, जो बंगाल की खाड़ी में स्थित एक द्वीप है, हिंदुओं के लिए धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है। माना जाता है कि इसका पहला निर्माण रानी सत्यभामा ने 430 ईस्वी में करवाया था। आधुनिक मंदिर 1974 में बनाया गया, लेकिन समुद्र के बढ़ते जलस्तर और चक्रवातों के कारण इसे लगातार खतरा बना हुआ है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह पर्यावरणीय संरक्षण की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। सरकार और विशेषज्ञों के प्रयासों के जरिए मंदिर को बचाने की कोशिश की जा रही है ताकि यह स्थल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना रहे।

हिंदू ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु ने कपिल मुनि के रूप में इस स्थान पर अवतार लिया और तपस्या की। इसी दौरान, राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया और उनके यज्ञ का अश्व इंद्र ने चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के पास छोड़ दिया। राजा सगर के 60,000 पुत्रों ने कपिल मुनि पर घोड़े की चोरी का आरोप लगाया, क्योंकि देवराज इंद्र ने ये घोड़ा यहाँ बाँधा था, आरोप कपिल मुनि पर आया। ऐसे में झूठे आरोपों से क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के सभी पुत्रों को भस्म कर दिया।

जब राजा सगर ने क्षमा माँगी, तो कपिल मुनि ने सुझाव दिया कि गंगा को धरती पर लाने से उनके पुत्रों को मोक्ष मिलेगा। राजा भगीरथ ने घोर तपस्या कर गंगा को धरती पर लाने में सफलता पाई। गंगा के स्पर्श से राजा सागर के पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ।

गंगा नदी यहीं बंगाल की खाड़ी में मिलती है। मकर संक्रांति के दिन यहाँ स्नान करने का विशेष महत्व है, क्योंकि यह दिन गंगा के धरती पर अवतरण का प्रतीक माना जाता है। लाखों श्रद्धालु इस दिन पवित्र स्नान कर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन पवित्र स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कपिल मुनि मंदिर इस ऐतिहासिक और पौराणिक घटना का प्रतीक है। माना जाता है कि यहीं पर उन्होंने तपस्या की थी। मंदिर का वर्तमान स्वरूप 1974 में बना था, लेकिन समुद्र के बढ़ते जलस्तर और मिट्टी के कटाव के कारण इसे खतरा बना हुआ है। गंगासागर हिंदू तीर्थस्थलों में विशेष स्थान रखता है और कुम्भ मेले के बाद दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक मेला यहीं लगता है। श्रद्धालुओं की गहरी आस्था और पौराणिक महत्व इसे एक विशिष्ट तीर्थस्थल बनाते हैं।

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

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