एक बार फिर पाकिस्तान को अपने किये के लिए मुँह की खानी पड़ी है, अड़ोस-पड़ोस के देशों में आतंकवाद की सप्लाई करने वाला पाकिस्तान आर्थिक तंगी से इस कदर बेहाल है उसने फाईनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) में भी गुहार लगाई थी मगर वहाँ से भी जनाब को खाली हाथ ही लौटना पड़ा है।
FATF एक अंतर-सरकारी निकाय है जो 1989 में आया, इस संगठन ने पाकिस्तान को आर्थिक सहायता देने से साफ़ इंकार कर दिया है क्योंकि उनके मुताबिक पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग को रोकने पूरी तरह विफल रहा है। इसीलिए इस निकाय ने पाकिस्तान को फ़रवरी 2020 तक ग्रे-लिस्ट में रखने का निश्चय किया है।
दरअसल FATF वह अंतर-सरकारी निकाय है जिसे मनी लॉन्ड्रिंग तथा आतंकी फंडिंग को रोकने के उद्देश्य से बनाया गया था, बता दें कि मंगलवार को पेरिस में हुई बैठक में एफएटीएफ ने ऐसे कई उपायों की समीक्षा की जिनके बल पर पकिस्तान आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम करने का दावा करता है। पेरिस स्थित टास्क फोर्स ने पाकिस्तान से आतंकी फंडिंग को पूरी तरह रोकने के लिया अतिरिक्त उपाय करने के आदेश दिए हैं।
बता दें कि कुछ ही दिन पहले 10 अक्टूबर को जब इमरान खान को इस बात का अंदेशा होने लगा था कि FATF से पैसे माँगने पर पाकिस्तान को बेईज्ज़त होना पड़ सकता है तो आनन-फानन में दुनिया की नज़र में खुदको पाक-साफ दिखाने के लिए इमरान खान की सरकार ने टॉप 4 आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया था जिससे दुनिया के सामने यह ढोंग किया जा सके कि पाकिस्तान में आतंक-विरोधी माहौल है और वे इसका समर्थन बिलकुल नहीं करते।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कितनी ही रफ़्तार से क्यों न गिर जाए मगर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपने रुख से यह तो स्पष्ट कर दिया है कि वह अब अपना अगला और अंतिम फैसला फरवरी 2020 में ही लेगा। इससे पहले पाकिस्तान को कड़े शब्दों में चेतवानी देते हुए FATF ने पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए यह निर्देश दिए हैं कि टास्क फ़ोर्स की सारी सिफारिशों को कायदे से लागू किया जाए अन्यथा पाकिस्तान को अपनी इस फटेहाल अर्थव्यवस्था को सुधरने के लिए निकाय से एक कौड़ी की मदद भी नसीब नहीं होगी तब तक के लिए निकाय की ओर से समयावधि में चार महीने की राहत दी गई है। बता दें कि इस मामले की औपचारिक घोषणा सत्र के आखिरी दिन की जाएगी।