पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार लगातार जारी है। कट्टरपंथियों ने सिंध के घोटकी इलाक़े में न सिर्फ़ एक मंदिर को तोड़ डाला बल्कि एक हिन्दू शिक्षक की भी पिटाई की। सिंध में जबरन इस्लामिक धर्मान्तरण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं और ख़ुद पाकिस्तान की मानवाधिकार एजेंसी ने माना है कि अकेले दक्षिणी सिंध में सिर्फ़ 2018 में ही 1000 से ऊपर जबरन धर्मान्तरण के मामले सामने आ चुके हैं। अभी तक पाकिस्तान सरकार की तरफ से इसके रोकथाम के लिए कोई कार्य नहीं किया गया है।
ताज़ा मामले की बात करें तो लोगों ने हाईस्कूल के एक हिन्दू शिक्षक पर ईशनिंदा का ग़लत आरोप लगाया। शिक्षक पर यह आरोप उसी के द्वारा पढ़ाए जाने वाले एक छात्र ने ही लगाए थे। जैसे ही इलाक़े के अन्य कट्टरपंथियों को इसकी ख़बर लगी, उन्होंने भीड़ की शक्ल में मंदिर पर हमला बोल दिया। मंदिर में हिन्दू प्रतीक चिह्नों को अपमानित किया गया और जम कर तोड़फोड़ मचाई गई।
इस हमले में कट्टरपंथी नेता मियाँ मिट्ठू का हाथ सामने आया है। उसने न सिर्फ़ मंदिर बल्कि स्कूल को भी नुक़सान पहुँचाया। मियाँ मिट्ठू के नेतृत्व में भीड़ ने पुलिस के सामने शिक्षक की पिटाई की, मंदिर में तोड़फोड़ किया और स्कूल को नुक़सान पहुँचाया।
आश्चर्य की बात यह है कि ये सबकुछ पुलिस के सामने ही हुआ। जब मजहबी भीड़ शिक्षक की पिटाई कर रही थी और मंदिर में तोड़फोड़ कर रही थी, तब पुलिस भी वहाँ पर मौजूद थी। पुलिस तमाशबीन बन कर यह सब देखते रही। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों और उनकी धार्मिक आस्था पर लगातार हो रहे हमलों के बीच वहाँ के प्रधानमंत्री ख़ुद को दुनिया भर में रह रहे समुदाय विशेष वालों का नुमाइंदा बताते हैं। वह भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होने का झूठा आरोप भी लगाते हैं।
Horrible !
— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) September 15, 2019
Hindu teacher Nautan kumar beaten, his school burnt & nearby SSD temple is vandalised by jihadi extremist in Ghotki,Pakistan today.
All Hindus in area are confined to their homes due to violence & fear.@ImranKhanPTI क्या हो रहा है ये ?@Malala अपने भाइयों को समझाओ ? pic.twitter.com/cZZqeNta0n
पाकिस्तान में मंदिर की तोड़फोड़ वाली घटना के बाद घोटकी में तनाव पसरा हुआ है। हिन्दू परिवार डरे हुए हैं। प्रशासन की मिलीभगत के कारण वे शिकायत भी नहीं कर सकते। ख़ौफ़ का आलम यह है कि पाकिस्तान में इमरान ख़ान की सत्ताधारी पार्टी के पूर्व विधायक भी शरण लेने के लिए भारत आ चुके हैं।