Thursday, October 3, 2024
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इंतजार करते-करते माता-पिता, पत्नी-पुत्र सबकी हो गई मौत… 56 साल बाद घर आया बलिदानी जवान का शव: पौत्र ने दी मुखाग्नि, मजदूरी कर जीवनयापन कर रहे परिजन

30 सितंबर 2024 को सियाचिन ग्लेशियर में 56 साल बाद भारतीय वायुसेना के जवान मलखान सिंह का शव खोजा गया तो इसकी सूचना परिवार तक पहुँची। लोग समझ ही नहीं पाए कि वो इस खबर को सुन कैसी प्रतिक्रिया दें। उनकी एक पीढ़ी खत्म हो चुकी थी। पोते-पोती थे जिन्होंने सिर्फ मलखान सिंह की लोगों से कहानियाँ सुनी थीं।

देश के लिए बलिदान होने वाले हर सैनिक के परिवार को अंतिम दर्शन के लिए शव का इंतजार होता है, लेकिन ये इंतजार हर बार पूरा हो जरूरी नहीं। कई दफा बलिदानी के परिवार को उनके शव की अंत्येष्टि करने का मौका भी नहीं मिलता। धीरे-धीरे उम्मीद टूट जाती है।

आईएएफ में तैनात मलखान सिंह के परिवार को भी यही लगा था जब 56 साल पहले 1968 में एक प्लेन क्रैश के बाद मलखान का कहीं कोई पता नहीं चला। 56 सालों में सबका इंतजार खत्म था, किसी ने सोचा भी नहीं था कि उस हादसे के 5 दशक बाद शव ससम्मान घर आएगा और उन्हें अंतिम संस्कार का मौका मिलेगा।

कुछ दिन पहले 30 सितंबर को ग्लेशियर में 56 साल बाद जब भारतीय वायुसेना के जवान मलखान सिंह का शव खोजा गया तो इसकी सूचना परिवार तक पहुँची। लोग समझ ही नहीं पाए कि वो इस खबर को सुन कैसी प्रतिक्रिया दें। उनकी एक पीढ़ी खत्म हो चुकी थी। पोते-पोती थे जिन्होंने सिर्फ मलखान सिंह की लोगों से कहानियाँ सुनी थीं।

उनके अलावा सबसे छोटा भाई था जिनकी आँख में ये खबर सुनते ही आंसू आ गए। उन्होंने बस यही कहा किसी को यकीन ही नहीं था ऐसा हो सकता है। ये शव कुछ साल पहले मिल गया होता तो शायद उनकी पत्नी और बेटे उनका अंतिम संस्कार कर पाते।

वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पोते गौतम और मनीष, जो मजदूरी करके अपना परिवार पालते हैं, उन्होंने कहा, “दादा को देखा तो नहीं है, लेकिन उन्हें दादा पर गर्व है। इस बात का संतोष है कि देश की खातिर दादा बलिदानी हुए और उनका अंतिम संस्कार विधि-विधान से परिवार के लोग कर पाएँगे।”

शहीद मलखान सिंह का जन्म 18 जनवरी 1945 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के थाना नानौता क्षेत्र के फतेहपुर गाँव में हुआ था। जिस समय वह बलिदान हुए तब उनकी उम्र मात्र 23 साल थी। हादसे के बाद से ही उनका कोई पता नहीं चल पाया था। बाद में उनकी गर्भवती पत्नी की शादी मलखान सिंह के छोटे भाई चंद्रपाल सिंह से करवा दी गई थी। परिवार उनकी राह देखता रहा। आखिर तक मलखान सिंह को मृतक नहीं माना गया और परिवारजन उनका इंतजार करते रहे। कुछ समय बाद माता-पिता का देहांत हो गया, फिर पत्नी का, भाइयों का और फिर बेटे और बेटी का भी। अब उनके परिवार में सिर्फ छोटे भाई और पोते-पोती बचे हैं जिनकी मौजूद में उनका अंतिम संस्कार विधि विधान से हुआ।

56 साल पहले हुई दुर्घटना

बता दें कि साल 1968 में इंडियन एयर फोर्स का AN-12 विमान क्रैश हो गया था। दुर्घटना 7 फरवरी 1968 को हुई थी। उस दिन भारतीय सैनिकों को लेह ले जाने के लिए सेना का विमान उड़ा लेकिन ये रोहतांग दर्रे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में तब 102 सैनिक सवार थे। लगातार भारतीय सेना तभी से बलिदानी सैनिकों के शव खोजने का प्रयास कर रही थी।

बाद में 2003 में वाजपेई सरकार के कार्यकाल में सेना ने यहाँ पर सर्च अभियान शुरू किया था, जिसके बाद भारतीय सेना, खासकर डोगरा स्काउट्स ने सालों तक कई सर्च ऑपरेशन चलाए। डोगरा स्काउट्स ने 2005, 2006, 2013 और 2019 में शवों की छानबीन जारी रखी।

अधिकारियों ने बताया कि दुर्घटना स्थल की कठोर परिस्थितियों और चुनौतीपूर्ण भू-भाग के कारण 2019 तक केवल 5 शव बरामद किए गए थे और अब 30 सितंबर को 4 बलिदानियों का शव मिला है जिनमें एक मलखान सिंह का भी है। बताया जा रहा है कि बर्फ में रहने के कारण शव को नुकसान नहीं हुआ था। उनके शव के साथ केरल के थॉमस चेरियन का शव भी मिला है। वो भी उस समय मात्र 22 साल के थे। उनके परिवार ने भी सेना के प्रयासों के लिए उनका आभार व्यक्त किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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