‘मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई, जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई…’ मीराबाई के इस भजन को आज के युग में सार्थक कर दिखाया है यूपी में अलीगढ़ की रहने वाली यमुना ने। भक्ति रस में सराबोर यमुना बचपन से ही भगवान कृष्ण की पूजा में तल्लीन थीं। समय के साथ-साथ उनका कृष्ण प्रेम इस क़दर बढ़ गया कि उन्होंने सांसारिक मोह से दूरी बनाते हुए भगवान कृष्ण की मूर्ति से शादी कर ली।
कृष्णमय हुईं यमुना ने बक़ायदा पूरे हिन्दू रीति-रिवाज़ से भगवान कृष्ण के साथ सात फेरे लिए। यमुना के इस निर्णय से उनकी माँ लज्जावती समेत घर के अन्य सदस्य बेहद ख़ुश हैं और उन्होंने इस विवाह में सभी आयोजनों में यमुना का पूरा साथ दिया। पुराणों के अनुसार, यमुना कृष्ण की प्रेयसी हैं, तो यह यमुना भी बचपन से ही कृष्ण भक्ति में तल्लीन रहती हैं।
यमुना का कहना है कि वो जीवनभर भगवान श्री कृष्ण (विग्रह) के साथ रहेंगी। बता दें कि बनारस निवासी उनके बहनोई उमेश शर्मा ने सारी व्यवस्थाओं का संचालन किया, देर रात फेरों की रस्म हुई। वहीं, इस अनूठे विवाह में वर पक्ष बांके बिहारी मंदिर को बनाया गया। इसके लिए मंदिर समिति को विवाह का कार्ड भी दिया गया। इस विवाह के कार्ड पर दूल्हे का पता वृंदावन लिखवाया गया। वहीं, लड़की पक्ष की सारी ज़िम्मेदारियाँ दुल्हन के जीजा ने निभाई। इस विवाह में किसी प्रकार का कोई विघ्न उत्पन्न न हो, इसके लिए नज़दीकी गाँधीपार्क पुलिस को अवगत कराया गया और उन्हें भी विवाह में शामिल होने का न्यौता दिया।
विवाह सम्पन्न होने के बाद मीरा बनीं यमुना ने अपना पारिवारिक जीवन त्यागकर वृंदावन जाने का फ़ैसला किया है। जानकारी के अनुसार, यमुना चार बहनों में सबसे छोटी हैं। उनकी तीनों बहनों की शादी हो चुकी है। और वो ख़ुद पेशे से एक प्राइवेट कंपनी में सहायक मैनेजर के पद पर हैं। लेकिन, अब यमुना ने सब कुछ छोड़कर वृंदावन में कृष्ण भक्ति में जीवन बिताने का संकल्प ले लिया है।
यमुना ने बताया कि कृष्ण भक्त मीराबाई से उन्हें काफ़ी प्रेरणा मिली है। भगवत गीता के अलावा उन्होंने गरुण पुराण का भी अध्ययन किया है। जब वो बचपन में अपने परिवार के साथ वृंदावन जाया करती थीं, तभी से उनके मन यह प्रबल इच्छा उठती थी कि वो भगवान कृष्ण से विवाह करें। जैसे-जैसे वो बड़ी हुईं, उनकी यह इच्छा और प्रबल होती गई, जिसे अब उन्होंने साकार कर दिखाया।
बता दें कि इस अनोखे विवाह के दौरान जिस किसी ने भी दूल्हे के रूप में भगवान कृष्ण की मूर्ति को विराजमान देखा, उसने भक्ति-भाव के साथ उन्हें नमन किया और आगे चला गया।