नित्यानंद राय लोकसभा सांसद हैं। 2014 के चुनावों में इन्होंने बिहार की उजियारपुर संसदीय सीट से जीत हासिल की थी। बिहार की राजनीति में यह साल 2000 से ही विधायक के रूप में अपनी सशक्त भूमिका निभाते आए हैं। वर्तमान में यह बिहार भाजपा के अध्यक्ष हैं। राजनैतिक रूप से हमेशा सजग रहने वाले इस राज्य के मुखिया (सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर) से ऑपइंडिया ने की बातचीत। आइए जानते हैं लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र पार्टी की अपेक्षाएँ और विश्वास:
सवाल- आपके मुख्य प्रतिद्वंद्वी कौन हैं?
जवाब- कोई नहीं है, टक्कर में। मोदीजी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने और यहाँ नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने इतना काम किया है कि जनता हमें 40 की 40 सीटें जितवाएगी। यहाँ कोई हमारे आसपास भी नहीं है।
सवाल-फिर भी, राजद का तो दावा है ही!
जवाब- राजद का क्या दावा है? वहाँ तो कुनबे में ही घमासान है। आप देखिए, तेजप्रताप किस तरह की भाषा बोल रहे हैं। उनके माताजी-पिताजी के राज में ही बिहार अंधकार युग में चला गया। बड़ी मुश्किल से एनडीए इसे विकास के रास्ते पर लौटा कर लाया है।
तेजस्वी यादव जी पर क्या राय देनी है?
जवाब- अभी-अभी तो सारी दुनिया ने देखा ही कि उनके बंगले का हाल कितना न्यारा है। गुंडागर्दी और कानून से खिलवाड़ राजद के लिए नई बात नहीं है और तेजस्वी यादव इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। अभी देखा न आपने, आरजेडी के एक विधायक को नई दिल्ली के हवाई अड्डे पर ज़िंदा कारतूस के साथ पकड़ा गया है। उनको बताना चाहिए कि आखिर बिहार की जनता के पैसों की यह बर्बादी उन्होंने क्या सोच कर की है?
लालूजी ने अपनी यात्रा वेटनरी कॉलेज के चपरासी क्वार्टर से शुरू की और महलों तक पहुँच गए, फिलहाल जेल भुगत रहे हैं। तेजस्वी तो 26 वर्षों में 26 संपत्तियों के मालिक बन चुके थे, वह भी तब जबकि उनका कोई ज्ञात-अज्ञात धंधा भी नहीं है। यही बात जब मीडिया ने दिखा दी, तो वे उल्टा पत्रकार बंधुओं पर ही बरस पड़े कि वे उनके बेतुके बयान क्यों नहीं छापते हैं, उनके हसीन बंगले की तस्वीरें क्यों दिखा रहे हैं?
सवाल-कीर्ति आज़ाद, शत्रुघ्न सिन्हा और जीतनराम मांझी पर आपकी राय?
जवाब- (हंसते हैं)। देखिए, कीर्ति जी ने तो खुद ही अपना ढोल पीट दिया है। उन्होंने कांग्रेसी संस्कृति का सच भी सबको बताया है कि बूथ लूटने और लुटवाने वाले लोग हैं ये। साथ ही वे उन भाजपा कार्यकर्ताओं का भी अपमान कर रहे हैं, जिन्होंने पूरी मेहनत कर उनको जितवाया, उनके लिए काम किया।
जहाँ तक शत्रुघ्न सिन्हा जी की बात है, तो वे अब अप्रासंगिक हो चुके हैं। वे अब यू-टर्न लें या वी-टर्न, भाजपा किसी को भी मात्र टिकट के लिए इंटरटेन नहीं करती है। वे अगर सोच रहे हैं कि वापस आकर उनको टिकट मिल जाएगा, तो उनकी भूल है।
जीतनराम मांझी को राजद और कांग्रेस वाले समुचित सम्मान नहीं दे रहे हैं और इस वजह से मांझीजी की नाराजगी वाजिब है। उनको एनडीए में लौट जाना चाहिए।
सवाल-भाजपा ही क्यों?
जवाब- मैं इतिहास का छात्र रहा हूँ मेरा कॉलेज जीवन करीब-करीब ख़त्म हो रहा था और मैं इतिहास की दृष्टि से ना भी देखता तो मुझे चीज़ें अलग दिखती थीं। भारतीय जनता पार्टी की बैठकें जहाँ “भारत माता की जय” से शुरू होती थीं, वहीं दूसरी पार्टियों में कोई अपने वंश-परिवार का तो कोई व्यक्ति का नारा लगा रहा होता था।
भारत के प्रति पार्टी के दृष्टिकोण ने ही मुझे सबसे ज्यादा आकृष्ट किया। पुराने जनसंघ के दौर का चिंतन ही कहता है कि कोई घर बना है पक्के का और सामने झोपड़ी बनी है, तो महल का सम्मान हो और झोपड़ी को भी अवसर मिले। हम महल को तोड़ने की बात नहीं करते बल्कि झोपड़े को अवसर देने की बात करते हैं।
सवाल- बिहार में चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा?
जवाब- हम देश में चुनाव आदरणीय मोदी जी को लेकर लड़ रहे हैं और बिहार में हमारे नेता नीतीश कुमार जी हैं। देश भर के चुनावों के लिए हमारे पास नरेंद्र मोदी जी का नाम और काम है तो बिहार में नीतीश कुमार जी का विकास और भ्रष्टाचार मुक्त बिहार का नारा और उनका नेतृत्व है। राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ-साथ हम बिहार में नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में भी हैं।
सवाल- पुलवामा हमले पर पूरे देश में अभी आक्रोश का माहौल है, इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
जवाब- अभी हाल में जो घटना हुई पुलवामा में उसे लेकर बिहार में और पूरे देश में आक्रोश का माहौल है जो जायज़ भी है। भारत सबकुछ बर्दाश्त कर सकता है लेकिन जब भारत की सेना पर, देश के सम्मान, देश की संप्रभुता पर हमला होता है तो हर हिन्दुस्तानी अपनी पूरी शक्ति समेटकर एकजुट होकर सामने आता है। हमारे प्रधानमंत्री जी ने ये स्पष्ट कह दिया है कि सेना समय, तिथि और स्थान चुन ले और दोषियों पर उन्हें कार्रवाई करने की पूरी छूट है।
सवाल- बिहार में अगर देखें तो गठबंधन में भाजपा की सीटें पिछली बार की जीती हुई सीटों से भी 5 कम हैं| क्या इसका कोई नुकसान झेलना पड़ेगा?
जवाब- राजनीति में जब व्यक्ति आता है तो कभी-कभी उसकी कुछ महत्वाकांक्षाएँ भी होती हैं। इच्छाएँ अगर पूरी ना हो तो थोड़ा कष्ट तो होता है, लेकिन भाजपा का कार्यकर्त्ता एक लक्ष्य के लिए काम करता है। हमारा लक्ष्य एक है, भारत को सबसे आगे पहुँचाना।