दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) रिकॉर्ड स्तर को भी पार कर गया है। आसमान में छाए काले धुएँ के चलते सुबह से ही लोगों को आँखों में जलन, भयंकर सिर दर्द और साँस लेने में तकलीफ हो रही है। ऐसे में प्रदूषण रोधी मास्क ही गैस चेंबर बने दिल्ली-एनसीआर में लोगों की सुरक्षा के लिए सबसे उपयुक्त चीज है।
मगर प्रदूषित हवा में साँस लेने से बचने के लिए अच्छे क्वालिटी का मास्क लेना बेहद जरूरी है, ताकि आप ‘विषपान’ की स्थिति वाले दिल्ली-एनसीआर में अपनी सेहत का ख्याल रख सकें। इसके बारे में क्लीनिकऐप की सीईओ सतकाम दिव्य ने इंडियन एक्सप्रेस पर विस्तार से बताया है।
उनका कहना है कि हवा में इतने जहरीले कण हैं कि वो सीधे साँस के जरिए आपके भीतर जाकर फेफड़ों को प्रभावित कर रहे हैं। धूल के कणों में मौजूद खतरनाक रसायन सीधे श्वास प्रणाली को नुकसान पहुँचा रहे हैं। जिसकी वजह से साँस लेने में समस्या होती है। वायु प्रदूषण के प्रभाव के सामान्य लक्षणों में उल्टी, मतली, चक्कर आना और खाँसी शामिल है।
उन्होंने कहा, “प्रदूषित हवा के संपर्क में लंबे समय तक रहने वाले लोग ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, घुटन और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्शन एयरवे के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसके अलावा, ऐसे लोगों में हृदय संबंधी समस्याओं के जोखिम भी बढ़ जाते हैं। लोगों में त्वचा संक्रमण और बालों के झड़ने की समस्या भी बढ़ जाती है। इससे फेफड़े का कैंसर और किडनी खराब होने जैसे खतरे बढ़ जाते हैं।”
ऐसा देखा जा रहा है कि बहुत से लोग अनजाने में सर्जिकल मास्क पहनकर घर से निकल रहे हैं जो कि ठीक नहीं है क्योंकि ऐसे मास्क सिंगल यूज यानी एक ही बार इस्तेमाल के लिए होते हैं। N95 और N99 सबसे अधिक माँग वाले मास्क हैं। इसके अलावा भी कुछ अन्य मास्क हैं, जिनके बारे में आपको अवश्य पता होना चाहिए।
N95 मास्क
यह बेसिक प्रदूषण प्रतिरोधी मास्क है जो कि 95 फीसदी तक प्रदूषण को फिल्टर करता है। यह मास्क धूल के कणों में सूक्ष्म तौर पर मौजूद पीएम 2.5 तक के कणों को फिल्टर करता है। इस मास्क में तीन लेयर होते हैं जो धूल के कणों को फिल्टर करते हैं। पहला फिल्टर धूल के कणों को रोकता है। दूसरा फिल्टर धूल के सूक्ष्म कणों और रोगाणुओं को रोकता है। इसमें तीसरा सैन्य ग्रेड कार्बन फिल्टर होता है। यह मास्कर 0.3 से 2.5 तक के सूक्ष्म धूल कणों को फिल्टर करता है और वायरस और बैक्टीरिया से आपको बचाता है। इसे 2 से 3 दिन इस्तेमाल किया जा सकता है।
N99 और N100 मास्क
ये मास्क पीएम 2.5 तक प्रदूषण को फिल्टर करते हैं। यानी की अगर आप ये वाले प्रदूषण रोधी मास्क खरीदते हैं तो 99 से 99.97 फीसदी तक प्रदूषण फिल्टर हो सकता है। लेकिन ये मास्क तेल आधारित धूल के कणों को फिल्टर नहीं कर पाते हैं। इसका इस्तेमाल 5 से 6 महीने के लिए किया जा सकता है।
P95 and R95 मास्क
इन मास्क का उपयोग प्राय: औद्योगिक क्षेत्रों में उच्च स्तर के प्रदूषकों को फिल्टर करने के लिए किया जाता है। पी-रेटेड मास्क तेल-आधारित प्रदूषकों के लिए प्रतिरोधी है, जबकि आर-रेटेड मास्क तेल-आधारित दूषित पदार्थों को फिल्टर करने में असमर्थ हैं। पी मास्क, एन मास्क की तुलना में महँगा है और इसे अक्सर बदलने की आवश्यकता होती है। इसका इस्तेमाल 8 घंटे के लिए किया जा सकता है।
टोटोबोबो मास्क
वायु प्रदूषण के बढ़ते महामारी से निपटने के लिए बनाया गया यह एक उच्च तकनीक वाला प्रदूषण रोधी मास्क है। हालाँकि यह आमतौर पर उपलब्ध नहीं है। यह अनेक साइजों में उपलब्ध है और इसका इस्तेमाल बार-बार किया जा सकता है।
रेस्प्रो मास्क
रेस्प्रो मास्क PM 10 पर कुशलतापूर्वक प्रदूषित कणों को फिल्टर करता है। यह मास्क एथलीटों या खिलाड़ियों के लिए अनुकूल हैं। यह मुख्यतया तीन साइजों में उपलब्ध है और इसका इस्तेमाल 69 घंटों के लिए किया जा सकता है।
वहीं, यदि आपको साँस लेने में समस्या हो रही है या फिर घुटन महसूस कर रहे हैं तो आपको गीले कपड़े का मास्क का उपयोग करना चाहिए। ये प्रदूषित हवा को आपके साँस में जाने से रोकेगा।