Sunday, December 22, 2024
Homeविविध विषयअन्य'जिया हो बिहार के लाला, पुलिस की 22 बंदूक में से एक भी गोली...

‘जिया हो बिहार के लाला, पुलिस की 22 बंदूक में से एक भी गोली नहीं चली’- ट्विटर पर लोगों ने लिए मजे

“जिया हो बिहार के लाला,पुलिस की 22 बंदूक में से एक भी गोली नहीं चल पाई। मौका था पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को अंत्येष्टि से पहले गार्ड ऑफ ऑनर देने का।”

तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे डॉ जगन्नाथ मिश्रा का 19 अगस्त को निधन हो गया। बुधवार (21 अगस्त) को सुपौर ज़िले के अंतर्गत आने वाले पैतृक गाँव बलुआ में उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन इस दौरान जब जवानों ने उन्हें 21 बंदूकों की सलामी देनी चाही तो ऐन मौक़े पर पुलिस का यह हथियार धोखा दे गया। हुआ यूँ कि इस दौरान एक भी बंदूक से गोली नहीं चल सकी। इस क्रम में पुलिस ने काफ़ी कोशिश की लेकिन किसी की कोशिश सफल न हो सकी।

ख़बर के अनुसार, जिस समय अंतिम संस्कार की प्रक्रिया हो रही थी उस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी समेत कई विपक्षी दल के नेता भी मौजूद थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अधिकारियों ने भी पुलिस की समस्या जानने की कोशिश की कि फॉयरिंग क्यों नहीं हो पा रही है, लेकिन जब कोई उपाय नहीं सूझ सका तो बिना सलामी के ही अंत्येष्टि प्रक्रिया सम्पन्न की गई। फॉयरिंग न हो पाने का वीडियो वाायरल होने पर ज़िला पुलिस ने इसकी जाँच के आदेश दे दिए है।

इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कुछ नही कहा है, लेकिन सुपौल के पुलिस अधीक्षक मृत्युंजय चौधरी ने कहा कि पूरे मामले की जाँच की जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

इसके आगे उन्होंने कहा,

“उसमें ऐम्पटी कार्ट्रिज फायर किया जाता है, जिसमें सिर्फ़ आवाज़ होती है। लाइव कार्ट्रिज नहीं होता है। लाइव कार्ट्रिज ड्यूटी के दौरान इस्तेमाल करते हैं। यह ब्लैंक कार्ट्रिज होती है, इसमें पेंदे पर जब चोट पड़ती है तो स्पार्क के साथ महज़ आवाज़ उत्पन्न होती है। अब जाँच करके पता करा रहे हैं कि इस कार्ट्रिज में क्या दिक्कत थी, किस बैच की कार्ट्रिज थी, कब आई थी, कब से इसका इस्तेमाल नहीं हुआ था। हम इस मामले की जाँच कराने के बाद ही कुछ स्पष्ट कर पाएँगे।”

सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने इस वीडियो पर चुटकी ली है। एक यूजर ने लिखा, “ये देखिए कैसे अपने मुखिया नीतीश कुमार के सामने बिहार पुलिस के जवानो के राइफ़ल से एक गोली फ़ायर नहीं हुआ। ये मौक़ा था पूर्व मुख्य मंत्री डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा की अंत्येष्टि का जहाँ इन्हें सलामी देना था।”

एक अन्य यूजर ने ट्वीट किया, “जिया हो बिहार के लाला,पुलिस की 22 बंदूक में से एक भी गोली नहीं चल पाई। मौका था पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को अंत्येष्टि से पहले गार्ड ऑफ ऑनर देने का।”  

ग़ौरतलब है कि डॉ जगन्नाथ मिश्रा 1975 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे और 1977 अप्रैल तक इस पद पर आसीन रहे। उसके बाद 1980 में उन्होंने फिर तीन साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहे। तीसरी बार उन्होंने 1989 में तीन महीने के लिए बिहार के सीएम पद की कमान संभाली। उनके कार्यकाल के दौरान कॉन्ग्रेस की बिहार में मज़बूत पकड़ थी। बाद में वह जेडीयू में शामिल हो गए। 1996 में सामने आए चारा घोटाले में उनका भी नाम सामने आया था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -