Sunday, November 17, 2024
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78 साल में पहुॅंचेंगे 5 ट्रिलियन डॉलर पर, 200 साल में अंग्रेज लूट कर ले गए $45 ट्रिलियन

"अंग्रेजों ने भारत में जो लूट मचाई, उसके कारण देश अब तक ग़रीबी से जूझ रहा है। अगर यह धन देश में ही रहता तो भारत आज विकसित होता। ब्रिटिश राज के दौरान भारत में 'प्रति व्यक्ति आय' बढ़ ही नहीं पाया।"

भारत 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। यदि कामयाब रहे तो आजाद भारत को यहॉं तक पहुॅंचने में 78 साल लगेंगे। लेकिन, आप जानकर हैरत में रह जाएँगे कि इसका 9 गुना यानी 45 ट्रिलियन डॉलर तो हमारे देश से अंग्रेज 200 सालों में लूट कर ले गए।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान हैरान करने वाले इस आँकड़े को सामने रखा। ब्रिटिश राज में भारत को पहुँचाए गए भारी नुकसान की चर्चा करते हुए याद दिलाया कि किस तरह देश को हर क्षेत्र को अंग्रेजों के अत्याचार का सामना करना पड़ा। इनसे उबरते-उबरते कई पीढ़ियाँ बीत गईं। उन्होंने वाशिंगटन में आयोजित ‘अटलांटिक काउन्सिल’ के कार्यक्रम के दौरान ये बातें कही

जयशंकर ने भारत में 200 सालों तक चले ब्रिटिश राज से देश को हुए अन्य नुकसानों के साथ-साथ वित्तीय घाटे को भी हाइलाइट किया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश ‘लुटेरे’ 18वीं सदी के मध्य में भारत में घुसे थे। एक अर्थशास्त्री द्वारा कैलकुलेट किए गए आँकड़ों के मुताबिक़, ब्रिटिश भारत से 45 ट्रिलियन (45 लाख करोड़ ) डॉलर लूट कर ले गए।

विदेश मंत्री जयशंकर ने जिस अर्थशास्त्री का उल्लेख किया, उनका नाम उत्सा पटनायक है। जेएनयू में पढ़ा कर रिटायर हो चुकीं मार्क्सवादी अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक ने कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में प्रकाशित एक लेख में इस आँकड़े का उल्लेख किया था। उन्होंने लिखा था कि अंग्रेजों ने भारत में जो लूट मचाई, उसके कारण देश अब तक ग़रीबी से जूझ रहा है। उन्होंने बताया था कि अगर यह धन देश में ही रहता तो भारत आज विकसित होता। उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश राज के दौरान भारत में ‘प्रति व्यक्ति आय’ बढ़ ही नहीं पाया।

इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर भी इस तरफ लोगों का ध्यान आकृष्ट करा चुके हैं। थरूर ने अपनी पुस्तक ‘इनग्लोरियस एम्पायर’ में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल को ‘नरसंहारक तानाशाह’ करार दिया था। एबीसी न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश भले ही चर्चिल को आज़ादी और लोकतंत्र के मसीहा के रूप में देखते हों लेकिन वह 20वीं सदी के किसी अन्य क्रूर तानाशाह से अलग नहीं थे।

थरूर ने ‘ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन’ में दिए गए भाषण में बताया था कि ब्रिटिश राज के शुरुआत के समय भारत की अर्थव्यवस्था सम्पूर्ण वैश्विक इकॉनमी का 23% थी और जब अंग्रेजों से आज़ादी मिली तो यह मात्र 4% रह गई थी। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन का औद्योगीकरण भारत के डी-इंडस्ट्रियलाइजेशन पर आधारित था। ब्रिटिश भारत से कच्चा माल ले जाते थे और अपने देश में कपड़े बना कर पूरी दुनिया में उसको बेच कर माल कमाते थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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