कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण देश में लॉकडाउन लगना निस्संदेह बेहद जरूरी कदम था। मगर उतना ही आवश्यक था कि इससे प्रभावित वर्ग का भरण-पोषण और उनकी जरूरतें पूरी करना। कई जगह सरकार की मदद पहुँच रही थी। लेकिन कई जगह निम्न वर्ग के लोग इससे अछूते भी थे। इस बीच कई संस्थाएँ जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए सामने आईं।
उन्होंने लॉकडाउन के कारण प्रभावित वर्ग को हर संभव मदद पहुँचाने का काम किया। इनमें अधिकांश संस्थाएँ उस वंचित वर्ग की बुनियादी जरूरतों जैसे राशन आदि को पूरा कर रही थीं। इसी दौरान स्वयंसेवकों के समूह वाली एक संस्था ‘केयरिंग इंडियन्स-बेटर टुगेदर (Caring Indians-Better Together)’ नाम से अस्तित्व में आई। इसने न केवल कोरोना प्रभावित समय में लोगों की बुनियादी जरूरतों को समझा बल्कि जरा हटकर उनके बचाव के लिए काम भी किया।
इस संस्था का उद्देश्य समाज के वंचित वर्ग का न केवल पेट भरना था बल्कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना भी था। इसके लिए इन्होंने मास्क से लेकर वेंटिलेटर और पीपीई किट तक डेवलप कर डाले और उसका वितरण भी किया।
Caring Indians की सबसे खास बात यह है कि ये बुद्धिजीवियों के प्रयासों का फलितार्थ है। IIT से कई शिक्षाविद इससे जुड़े हैं। इसके अलावा कई इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक, कृषक, व स्वयंसेवक भी इसका जरूरी हिस्सा हैं। इन्हीं सबके सहयोग से Caring Indians देश के कई कोनों में अपनी सुविधा पहुँचाने में सफल रहा।
ऑपइंडिया ने इन्हीं प्रयासों के मद्देनजर केयरिंग इंडियन्स से जुड़े प्रोफेसर हर्ष चतुर्वेदी से बात की। उन्होंने इस संस्था पर जानकारी देते हुए हमें बताया, “यह एक वॉलिंटियरी ग्रुप है। इसकी शुरुआत राहुल राज और अनुराग दीक्षित ने की थी। फिर अलग-अलग क्षेत्र के लोग इससे जुड़ते गए। कुछ इसमें विनिर्माण क्षेत्र से थे और कुछ डिजाइन एक्सपर्स्ट्स भी थे। हम सब मिल कर केयरिंग इंडियन्स से जुड़े। हमारा काम कोरोना स्थिति से निबटने के लिए उत्पाद तैयार करना था। हमने सबसे अहम काम मास्क पर किया।”
Reusable mask with replaceable filter being tested for Bacterial Filtration efficiency of 99%. Designed and developed by @charumonga01 and @hchaturv from IIT Guwahati in collobaration with G labs.
— Caring Indians (@CaringIndians) April 4, 2020
Will go to trials in the next couple of days. pic.twitter.com/1jFymz8vh0
बतौर मास्क डिजाइन करने वाली टीम का हिस्सा होने के नाते प्रोफेसर हर्ष कहते हैं, “इस मास्क को बहुत यूनिकली डिजाइन किया गया है। इसकी खासियत है कि ये वाटरप्रूफ है। इसमें फिल्ट्रेशन की क्षमता है। साथ ही इसकी कीमत भी बहुत कम है। शायद सिर्फ़ 95 रुपए के आसपास। इन सबके अलावा इसके फिल्टर्स को आसानी से बदला भी जा सकता है।”
प्रोफेसर हर्ष के अनुसार, डिजाइन टीम में उनके अलावा मुख्य रूप से IIT गुवाहटी की चारू मोंगा, राहुल राज और अनुराग शामिल थे। वह बताते हैं कि इन मास्कों का दिल्ली से लेकर यूपी और बिहार तक में वितरण किया गया है।
The mask developed by Prof @hchaturv and @charumonga01 was spotted in Bihar Legislative Council 🙂@CaringIndians @bhootnath @KyaUkhaadLega @nanjeshpatel pic.twitter.com/RkJaqUSf9k
— Rahul Raj (@bhak_sala) August 18, 2020
गौरतलब है कि केयरिंग इंडियन्स द्वारा निर्मित इस मास्क की महत्ता और विश्वसनीयता को इस बात से परखा जा सकता है कि हाल ही में इसे बिहार विधान परिषद में भी देखा गया।
इसकी जानकारी स्वयं राहुल राज ने अपने ट्विटर पर दी थी। उन्होंने अपने ट्वीट में इस बात को मुख्य रूप से उल्लेखित किया था कि प्रोफेसर हर्ष चतुर्वेदी और चारू मोंगा द्वारा बनाया गया मास्क बिहार विधान परिषद में भी पहने देखा गया।
.@CaringIndians has been serving food to underprivileged in Delhi, Mumbai, Pune & Jaipur all these days
— Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) May 2, 2020
They’ve now started ops in B’luru South. Our Task Force is delivering 500+ meals in Nayandahalli daily
Thanks @KyaUkhaadLega & @ManMundra for coming forward to #FeedTheNeedy pic.twitter.com/ZCMoMjG7xq
मई महीने में भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने भी केयरिंग इंडियन्स के प्रयास को ट्विटर पर साझा करते हुए सराहा था। तेजस्वी सूर्या के मई वाले ट्वीट में लिखा था, “केयरिंग इंडियन्स दिल्ली, मुंबई, पुणे, जयपुर जैसे जगहों पर वंचितों को खाना पहुँचा रही है। अब इन्होंने बेंगलुरु में भी अपना काम शुरू कर दिया है। टास्क फोर्स प्रतिदिन नयंदाहल्ली में 500 से ज्यादा लोगों को खाना देती है।”
Here’s another feather in the cap of ‘Humanity’! A group of people came forward as soon as they got to know about the storm our country was about to face. They were not only ready with the necessary euipments but also carried-out their responsibility of being (1/3)@KyaUkhaadLega pic.twitter.com/KfnzHw0xBh
— Rj shruti (@rjshru) April 7, 2020
आरजे श्रुति ने भी इस पहल के संबंध में ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि देश में महामारी का प्रकोप परखते हुए कुछ लोगों का समूह आगे आया। वे केवल जरूरी उपकरणों के साथ नहीं तैयार हैं बल्कि एक जागरूक नागरिक होने के नाते जरूरतमंदों को बड़ी तादाद में मास्क, थर्मामीटर और सस्ते वेंटिलेटर बनाकर मुहैया करवा रहे हैं। श्रुति ने 7 अप्रैल को ट्वीट करते हुए यह लिखा था। अब केयरिंग इंडियन्स के नाम से पहचाने जाने वाले समूह के साथ लोग स्वयंसेवकों (वॉलिंटियर्स) के रूप में जुड़ रहे हैं।
केयरिग इंडियन्स की पहल करने वाले राहुल राज ने ट्विटर से की शुरुआत
राहुल राज C2C नाम के यूट्यूब चैनल को दिए एक इंटरव्यू में इस रचनात्मक पहल की शुरुआत पर बताते हैं। वे कहते हैं कि केयरिंग इंडियन्स की शुरुआत सोशल मीडिया से हआ प्रयास था। जहाँ कोरोना के समय में प्रभावित जनता को मदद पहुँचाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को सोशल मीडिया के जरिए जोड़ा गया।
वह साक्षात्कार में बताते हैं कि उन्हें मालूम था कि वे सब मिलकर लोगों के लिए खाने का प्रबंध आदि करवा सकते थे। मगर उन्हें यह भी एहसास था कि यह आपदा कोई सामान्य आपदा नहीं। यह स्वास्थ्य आपदा (medical disaster) है। इसमें लोगों की जरूरतें भी भिन्न हैं। और, वह उन उपकरणों से लैस नहीं थे। तो, यहीं से एक समूह को तैयार करने का विचार आया।
वो कहते हैं, “हमने इसकी शुरुआत ट्विटर से की थी। इस बारे में मैं और मेरे वरिष्ठ अनुराग दीक्षित बात कर ही रहे थे कि हम इस पर कैसे काम कर सकते हैं। तभी उसी दौरान शिक्षाविदों के समूह से भी हमने इन्हीं सवालों को लेकर बात की। उसके बाद हमें एहसास हुआ कि अगर हम इकट्ठा होकर कुछ ऐसा टेक्निकल बनाएँ, जो वाकई मदद गार साबित हो।”
उनके अनुसार, “शुरुआत में तो हमारा विचार उत्पाद का डिजाइन तैयार करना था कि हम डिजाइन बनाएँगे। उसे रिलीज करेंगे। फिर ऐसे उत्पादक (manufacturers) को ढूँढेंगे, जिन्हें हम मास्क वेंटिलेटर और पीसीआर आदि का डिजाइन देकर कहें कि अगर वो बनाना चाहतें है तो डिजाइन इस्तेमाल करें और इसे बनाएँ।”
राहुल राज कहते हैं कि जब उन्होंने इसकी शुरुआत की थी, उन्हें नहीं पता था कि यह लोगों को इतना आकर्षित करेगा। वे बताते हैं कि प्रोजेक्ट में कई ऐसे लोग उनसे जु़ड़े, जिन्हें वे कभी जानते भी नहीं थे और न मिले थे।
इसके बाद सैंकड़ों लोगों ने हाथ बढ़ाया और उन्होंने भी टीम बनानी शुरू की। उन्हें तय करना था कि वह किन-किन प्रोजेक्ट्स पर कैसे काम करेंगे। जैसे कुछ प्रोजेक्ट डिस्ट्रिब्यूशन को लेकर थे और कुछ उन उत्पादों को बनाने के संबंध में भी थे।
‘टेक्निकल’ प्रोजेक्ट पर पहली बार इतना अधिक सहयोग
राहुल राज की मानें तो केयरिंग इंडियन्स के प्रोजेक्ट से पहले कभी सैंकड़ों की तादाद में लोग टेक्निकल प्रोजेक्ट के लिए इकट्ठा नहीं हुए थे। लोग खाना पहुँचाने या डोनेशन देने के लिए आगे आते थे। मगर, हमने इससे पहले कभी भी ऐसे इंजिनियर्स, डॉक्टर्स को नहीं देखा था कि वह किसी प्रोडक्ट को बनाने में इस तरह बड़ी तादाद में आगे आए हों।
योर स्टोरी से बात करते हुए IIT-BHU के एलुमिनी राहुल राज कहते हैं, “भारत सॉफ्टवेयर और कोडिंग स्टार्टअप का एक केंद्र है, लेकिन इतने महान प्रतिभावान लोगों की भीड़ होने के बाद, जब भौतिक उत्पादों या हाई-एंड मशीनों की बात आती है, तो हम अवसरों, सहायता प्रणाली व इकोसिस्टम की कमी के कारण आगे बढ़ने में विफल रहते हैं।”
राहुल का कहना है कि केयरिंग इंडियन्स का आइडिया शिक्षा, उद्योग व प्रयोगशाला जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों की सहायता लेकर टेक्निकल प्रोडक्ट बनाने का था। मगर, जब ट्विटर पर इसे साझा किया गया तो IIT कानपुर के प्रोफेसर अमिताभ बंदोपाध्याय, IISc के प्रोफेसर आलोक कुमार, JNCASR प्रोफेसर संतोष कुमार का भारी समर्थन मिला। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र से जुड़े अपने नेटवर्क्स को इकट्ठा किया। फिर सैंकड़ों लोग वॉलिंटियर के रूप में आगे आए। प्रोजेक्ट आगे बढ़ता गया।
IIT Kanpur, IIT Guwahati, IIT Delhi, IISc, AIIMS, JNCASR जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के लोग भी साथ आए। इसके बाद केयरिंग इंडियन्स की मुख्य मैनेजिंग कॉर्डिनेशन टीम बनी। इसमें अनुराग दीक्षित, राहुल राज, नंजेश पटेल, अजेन्द्र रेड्डी, मनीष गोयल और समर्थ शामिल हैं।।
बता दें कि केयरिंग इंडियन्स ने शुरुआती समय में इन्वेसिव वेंटिलेटर्स, कीटाणुनाशक, पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) डायगनॉस्टिक पैनल, कॉन्टैक्टलेस थर्मामीटर, IoT डिवाइस और मास्क के डिजाइन आदि पर काम किया था।
केयरिंग इंडियन्स का क्या था उद्देश्य
लॉकडाउन से पहले अस्तित्व में आ चुकी ये संस्था कोरोना से जुड़ी चुनौतियों को परख चुकी थी। 21 मार्च को राहुल राज ने ट्वीट करके संस्था की ओर से बयान जारी किया था और उद्देश्य बताया था।
इसमें उन्होंने कोरोना के साथ जंग वाली स्थिति को आँकते हुए कहा था, “इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह कोई आम जंग नहीं है। चीन, यूएस, फ्रांस, यूके और इटली में यह चरम पर है। हमारे पास अब भी कुछ समय है। भगवान न करे कि इसका प्रकोप कुछ हफ्तों में बढे़। हमारे पास सुविधाओं और संसाधनों की कमी चल रही है। इसलिए जरूरी है कि हम खुद अपना हथियार तैयार करें और इन दानव से लड़ने की तैयारी करें।”
Here’s another feather in the cap of ‘Humanity’! A group of people came forward as soon as they got to know about the storm our country was about to face. They were not only ready with the necessary euipments but also carried-out their responsibility of being (1/3)@KyaUkhaadLega pic.twitter.com/KfnzHw0xBh
— Rj shruti (@rjshru) April 7, 2020
इसमें लिखा था, “Better Together प्रोजेक्ट के साथ हम लोगों तक पहुँचने का प्रयास कर रहे हैं, जो मशीन और जरूरत के सामान बनाने में मदद करें ताकि आवश्यकता पड़ने पर हमें उनका सपोर्ट हो।” अपने इस बयान में केयरिंग इंडियन्स ने बताया कि वह नाम, संपर्क, स्किल सेट्स संग्रहित कर रहे हैं। वह लोग छोटी मशीनों, रोबोट्स, मास्क मेकर्स, वेंटिलेटर्स आदि पर काम करेंगे, और इसे मिलकर विचारों से आखिरी स्टेज तक पहुँचाया जाएगा। अपने बयान में उन्होंने लिखा कि कच्चे माल से लेकर प्रोटोटाइप तक वह निर्णय लेंगे।
आगे संस्था का उद्देश्य बताते हुए इससे जुड़ने के लिए लोगों को उत्साहित किया गया। इसमें लिखा गया, “हमारे पास सैंकड़ो होनहार इंजीनियर्स, डॉक्टर्स, प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। जिन्हें सही मौका मिले तो वह चमत्कार कर सकते हैं। यही वह सही समय है।”
ट्विटर पर केयरिंग इंडियन्स की सक्रियता का सफर
21 मार्च से केयरिंग इंडियन्स पर काम होना शुरू हुआ। राहुल राज ने तभी यह जानकारी दी कि उनके साथ 180 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। इनमें डॉक्टर, इंजीनियर, आईटी प्रोफेशनल, सीए आदि हैं। अब आगे जिनकी इच्छा है, वह इससे जुड़ सकते हैं।
इसके बाद इस प्रोजेक्ट पर काम चलता रहा। अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों ने इसे शेयर किया। धीरे-धीरे समूह बढ़ता गया। कई लोग इससे जुड़े।
Small update from @CaringIndians
— Rahul Raj (@bhak_sala) March 22, 2020
1. IIT K incubation team has done very serious and fruitful web meeting with doctors, professors and scientists on ventilator development
2. IIT D team is working on Mask Manufacturing proto
3. Team is also working on IR thermometer pic.twitter.com/a5Bklv9BQd
22 मार्च को इस प्रोजेक्ट के संबंध में एक मीटिंग हुई। इसकी जानकारी ट्विटर पर दी गई। बताया गया कि IIT कानपुर incubation team ने डॉक्टर, प्रोफेसर, वैज्ञानिकों के साथ वेंटिलेटर बनाने पर बहुत फलदायी बैठक की। IIT दिल्ली भी मास्क बनाने पर काम कर रही है। साथ ही आईआर थर्मोमीटर पर भी काम चल रहा है।
इसी दिन बताया गया कि उन्होंने 15 दिन में 5 लाख वेटिंलेटर की जरूरत का अंदाजा लगाया है। आपदा प्रबंधन की टीम भी महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए नक्शे चिह्नित करने के काम में लगी है। डिसइंफेक्टेंट डिजाइन ग्रुप सॉल्यूशन पर काम कर रही है। इसके अलावा 600 से अधिक मेंबरशिप हो चुकी है।
23 मार्च को केयरिंग इंडियन्स ने अपने ट्विटर पर पूरे प्रोजेक्ट का ब्लूट प्रिंट साझा किया। साथ ही बताया कि थर्मामीटर, वेटिंलेटर, फेस मास्क, थर्मल ड्रोन और हैंड सैनिटाइजर पर काम शुरू हुआ है। इसमें बताया गया कि आम तौर पर इन सबके लिए 6-8 महीने लगते हैं। लेकिन वह इस लक्ष्य को 14 दिन में पूरा करने का प्रयास करेंगे। इसलिए उन्हें स्मार्ट लोग चाहिए पूरे भारत से।
Hello folks.
— Caring Indians (@CaringIndians) March 23, 2020
This is our team’s blueprint. A few projects are ongoing, we want a volunteer group for coordination and backend tasks. Please see the plan of action, and If you feel you can help please DM us – @bhootnath, @bhak_sala, @nanjeshpatel pic.twitter.com/OO02jvjXBo
इसमें बताया गया था कि वह अपने कार्य में एकदम पारदर्शिता रखेंगे। इसके लिए वह वेबसाइट बना रहे हैं (जो अब बन चुकी है) और उस पर प्रोजेक्ट और संसाधनों से जुड़े लाइव अपडेट देंगे। ब्लू प्रिंट में प्रोजेक्ट का उद्देश्य ऐसी चीजों को निर्मित करना बताया गया जो आसानी से उपलब्ध हों और इस्तेमाल हो सकें।
इस ब्लू प्रिंट में काम करने के तरीके को साझा किया गया और समझाया गया कि उनके पास दो ग्रुप्स हैं। एक ग्रुप में वह लोग जो कोरोना से संबंधित प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं। जबकि दूसरे में विभिन्न क्षेत्रों से आए वॉलिंटियर्स हैं। इनमें कुछ हार्डवेयर इंजिनियर हैं, कुछ उद्योगपति हैं, कुछ प्रोजेक्ट मैनेजर, कुछ वैज्ञानिक, कुछ डॉक्टर आदि हैं।
उद्देश्य निर्धारित व प्लान ऑफ एक्शन तैयार करने के बाद, केयरिंग इंडियन्स आगे बढ़ता गया। कई प्रोजेक्ट्स शुरू हुए। कई लोग जुड़े। केयरिंग इंडियन्स के ट्विटर पर हर चीज का जिक्र है। वॉलिंटियर्स जुड़ने की जानकारी से लेकर कब किसने कैसे समूह को संपर्क किया, इसका भी अपडेट है।
इस पहल के बाद 25 मार्च को पुणे प्रशासन ने समूह को संपर्क किया था और कहा था कि सभी प्रकार की अनुमति और सुविधाएँ हो जाएँगी।
मात्र एक हफ्ते में यानी 29 मार्च को पता चला कि वेंटिलेटर प्रोजेक्ट के लिए डिजाइन और प्रोटोटाइप IIT कानपुर के सहयोग से तैयार हो गया है। अब इसके उत्पादन के लिए कोशिशें हो रही हैं, ताकि इसे भारी मात्रा में तैयार किया जा सके। इसके अलावा खबर आई रियल टाइम पीसीआर मशीन भी डॉ हरीश चतुर्वेदी और चारू मोंगा ने डेवलप और डिजाइन कर ली है। उसके लिए भी उत्पादक चाहिए।
Hi everyone, just a quick update from @CaringIndians team. The design and prototype is ready in collab with IIT-Kanpur for the ventilator project. We are now looking for manufacturers to produce this in scale. Any leads would be appreciated. Please share. 🙏🏻 cc @anandmahindra pic.twitter.com/CIT6EB3WyY
— The-Lying-Lama 2.0 (@KyaUkhaadLega) March 29, 2020
धीरे धीरे केयरिंग इंडियन्स फाउंडेशन के प्रयास मीडिया तक पहुँचे। हिंदुस्तान टाइम्स, बीबीसी और इकोनॉमिक्स टाइम्स ने भी इसे कवर करना जरूरी समझा। फिर अन्य प्रोजेक्ट की जानकारी आई। 3 अप्रैल को केयरिंग इंडियन्स ने 100 से अधिक डॉक्टरों और अनुभवी मनोवैज्ञैनिकों की मदद से लोगों को फ्री काउंसलिंग देने का काम शुरू किया। 4 अप्रैल को IIT गुवाहटी टीम के सहयोग से रियूजेबल मास्क तैयार हो गया। जिसकी बैक्टेरिया फिल्टरेशन की क्षमता 99% है।
So here’s another update from @CaringIndians & this time it’s for our doctors’ safety.
— The-Lying-Lama 2.0 (@KyaUkhaadLega) April 6, 2020
We’ve made a low-cost, using Indian components, contactless thermometer. Now improving design & will soon be ready for mass production. Thanks for ur support as always 🙏🏻 #MakeInIndia 🤟🏻(1/2) pic.twitter.com/XcQqn3nnx9
4 अप्रैल को ही इस संस्था ने 3000 लोगों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर खाने का प्रबंध किया। शुरुआत मुंबई-पुणे से हुई। आगे खाने से लेकर शहरों तक में वृद्धि होती रही। कई नए प्रोजेक्ट शुरू हुए। वॉलिंटियर बढ़े। धीरे-धीरे ये समूह डॉक्टरों के लिए भी पीपीई किट लेकर आ चुका था। इतना ही नहीं, इसके इस्तेमाल के लिए बाकायदा वीडियो जारी करके अपडेट दिया गया था। उसके बाद कुछ ही समय में सभी मशीनों के डेमो केयरिंग इंडियन्स के अंतर्गत काम कर रही अलग-अलग टीमों के पास तैयार थे।
21 अप्रैल को यह कारवाँ मुंबई पुणे से निकल कर दिल्ली आ चुका था। संस्था जरूरत मंदों को खाना दे रही थी और मनीष मुंद्रा जैसे लोग टीम को आर्थिक सहयोग करने के लिए जुड़ चुके थे।
Sharing with you what some of our less fortunate friends had for lunch today thanks to your support & love.
— The-Lying-Lama 2.0 (@KyaUkhaadLega) April 25, 2020
Will be closing in on 50k+ people served in Delhi/Mumbai/Pune so far. Also, adding at least 1 if not 2 cities in next week. Will keep you all posted. 🙏🏻 🤗 #LetsDoMore pic.twitter.com/wk1lJJZcuL
वहीं, रॉबिनहुड आर्मी और स्विगी भी संस्था के सहयोगी हो गए थे। 25 अप्रैल की जानकारी के मुताबिक खाना वितरण का कार्य 50 हजार की संख्या तक पहुँच गया था। साथ ही खुशखबरी ये दी गई कि कुछ समय में इनमें कुछ शहर और जुड़ेगे।
Bharat Dynamics Ltd (BDL), a defence public sector undertaking (PSU), has signed a memorandum of understanding (MoU) for the large scale manufacturing of the ventilators developed by Nocca Robotics, an incubated start-up of Indian Institute of Technology (IIT), Kanpur. #COVID19 pic.twitter.com/UY1OoYVDYy
— ANI (@ANI) May 5, 2020
5 मई को एएनआई ने बताया कि आईआईटी कानपुर के नोका रोबोटिक्स द्वारा निर्मित वेटिंलेटर की माँग भरत डायनामिक्स लिमेटिड द्वारा की गई है। इसके लिए उन्होंने ज्ञापन हस्ताक्षर भी किए हैं। ये केयरिंग इंडियन्स के लिए बड़ी सफलता थी।
गौरतलब है कि लॉकडाउन में शुरू हुआ ये सराहनीय प्रयास अपना असर अब तक दिखा रहा है। जगह जगह इनकी टीम द्वारा बने मास्क पहुँचाए जा रहे हैं। बिहार के विधानसभा में जो मास्क देखा गया, वह हाल में ट्विटर पर शेयर हुई थी।
वहीं राहुल राज ने पिछले महीने ट्विटर पर मनीष मुंद्रा, अंकित जैन को इस पूरे प्रोजेक्ट में फंड रेज करने के लिए धन्यवाद दिया था। उन्होंने सबका आभार व्यक्त करते हुए कहा था कि ऐसे अच्छे लोगों के बिना यह संभव नहीं हो पाता।
इसके अलावा उन्होंने अभिमन्यु सिंह राणा और सहयोग एनजीओ का भी धन्यवाद दिया था। साथ ही अगले ट्वीट में मास्क की खासियत पर जानकारी देते हुए कहा था कि वह करीब 2500 मास्क सफाईकर्मियों को बाँटेंगे।
These are 100% Make In India masks conceptualized by Prof @hchaturv & Prof @charumonga01. The filters are replacable, hence it can be used multiple times. The masks passed all rigorous tests. We will distribute 2500 samples to sanitation workers across India. Rest will be sold. pic.twitter.com/Eir5As7ZUT
— Rahul Raj (@bhak_sala) August 1, 2020