आज (26 नवंबर 2019) संविधान दिवस की 70वीं वर्षगाँठ है। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान अंगीकार किया था। इसे लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया था। 26 नवंबर को हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह पहला मौका है जब जम्मू-कश्मीर में भी संविधान दिवस मनाया जा रहा है। इसी साल अगस्त में केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था। साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था।
मीडिया रिपोर्टों में जम्मू-कश्मीर सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त सचिव सुभाष सी छिब्बर के हवाले से बताया गया है कि संविधान निर्माताओं के योगदान के प्रति आभार प्रकट करने और इसमें शामिल उत्कृष्ट मूल्यों और नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
बता दें कि भारतीय संसद ने संविधान में 70 साल के दौरान 103 बार संशोधन किए हैं। इनमें से केवल एक संशोधन को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया। पहला और अंतिम, दोनों संविधान संशोधन सामाजिक न्याय से संबंधित थे। राज्यसभा सचिवालय की तरफ से जारी ब्यौरे के मुताबिक संविधान में पहला संशोधन 1951 में अस्थायी संसद ने पारित किया था। उस समय राज्यसभा नहीं थी।
राज्यसभा सचिवालय ने बताया कि पहले संशोधन के तहत ‘राज्यों’ को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के उत्थान के लिए सकारात्मक कदम उठाने का अधिकार दिया गया था। वहीं संविधान में किया गया अंतिम 103वाँ संशोधन 2019 में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को शैक्षणिक संस्थानों और नियुक्तियों में 10 फीसदी आरक्षण देने से संबंधित था।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल 99वें संविधान संशोधन को असंवैधानिक करार दिया था। यह संशोधन राष्ट्रीय न्यायिक आयोग के गठन के संबंध में था। 1952 में गठन होने के बाद से राज्यसभा ने 107 संविधान संशोधन विधेयक पारित किए हैं। इनमें से एक को लोकसभा ने अस्वीकार कर दिया था। चार संविधान संशोधन विधेयक निचले सदन के भंग होने की वजह से निष्प्रभावी हो गए।
राज्यसभा ने 1990 में पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी विधेयक पारित किया था जो लोकसभा में पास नहीं हो सका। लोकसभा से अब तक 106 संविधान संशोधन विधेयक पारित हुए हैं, जिसमें से तीन को राज्यसभा ने अमान्य कर दिया था। इनमें 1970 में तत्कालीन देसी रियासतों के पूर्व शासकों के प्रिवी पर्स और विशेषाधिकार को खत्म करने वाला विधेयक और 1989 में पंचायतों और नगर निकायों तथा नगर पंचायतों में सीधा चुनाव कराने के लिए लाए गए दो विधेयक शामिल हैं।