केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को देश भर में लाागू करने से पहले उसका आधार तैयार करने के लिए सितंबर, 2020 तक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) तैयार करने का निर्णय लिया है।
भारत के प्रत्येक निवासी को NPR में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। इसका उद्देश्य देश में रहने वाले हर सामान्य निवासी की पहचान का व्यापक डाटाबेस तैयार करना है। इस डाटाबेस में जनसांख्यिकी के साथ-साथ बायोमेट्रिक जानकारियाँ भी होंगी।
इसके अंतर्गत हर उस व्यक्ति को शामिल किया जाएगा जो पिछले छ: महीने से किसी स्थानीय जगह पर रह रहा हो या वह व्यक्ति उस इलाक़े में अगले छ: महीने या उससे अधिक के लिए बसना चाहता है।
महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त विवेक जोशी ने कहा, ‘‘नागरिकता (नागरिकों के पंजीयन एवं राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने संबंधी) नियमावली, 2003 के नियम तीन के उप नियम (4) के अनुपालन में केंद्र सरकार ने जनसंख्या पंजी तैयार करने और उसे अद्यतन करने का फैसला किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘…और असम को छोड़ कर देश भर में घर – घर जाकर गणना करने के लिए सभी लोगों की सूचना एकत्र करने के वास्ते फील्ड वर्क एक अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक किया जाएगा।’’
ख़बर के अनुसार, NPR देश के नागरिकों की पंजी होगी, जिसे स्थानीय (ग्राम/ कस्बा), अनुमंडल, ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाएगा। इसे सिटिजनशिप एक्ट 1955 और नागरिकता नियमावली, 2003 के तहत तैयार किया जा रहा है।
ग़ौरतलब है कि नई लोकसभा (17वीं) के गठन के बाद 20 जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण में नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की प्राथमिकताओं का उल्लेख किए जाने के लगभग एक महीने बाद यह कदम उठाया गया है। राष्ट्रपति ने कहा था, “मेरी सरकार ने घुसपैठ प्रभावित इलाक़ो में प्राथमिकता के आधार पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की प्रक्रिया को लागू करने का फैसला किया है।”
बता दें कि असम में पिछले साल 30 जुलाई को जब NRC का मसौदा प्रकाशित किया गया था जब 40.7 लाख लोगों को इससे (पंजी से) बाहर किए जाने को लेकर एक विवाद पैदा हो गया था।