कॉन्ग्रेस नेता और राजस्थान सरकार में खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने प्रदेश में लिथियम भंडार मिलने का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि राजस्थान में लिथियम का जो भंडार मिला है वह जम्मू-कश्मीर में मिले भंडार से कई गुना अधिक बड़ा है। हालाँकि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने इस दावे को पूरी तरह से निराधार बताया है।
प्रमोद जैन भाया ने ANI से हुई बातचीत में कहा था, “राजस्थान में जो खनिज संपदा मिली है, वह प्रदेश की जनता का सौभाग्य है। राजस्थान के सीएम का खनिज भंडारों के अधिक से अधिक सर्वे और इसका जनता के लिए इस्तेमाल पर फोकस रहा है। नए लोगों को रोजगार मिले इस भावना को ध्यान में रखते हुए और माइनिंग सेक्टर को बढ़ाने के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया गया। इसी का परिणाम रहा कि नागौर जिले के डेगाना तहसील में जीएसआई का सर्वे। इस सर्वे में लिथियम के जो भंडार मिले हैं, वह जम्मू-कश्मीर में मिले भंडार से कई गुना अधिक हैं।”
इस दावे के बाद अखबारों से लेकर मीडिया तक में राजस्थान में लीथियम का भंडार मिलने की खबरें छाई हुई थीं। अब इस पर जीएसआई का बयान आया है। इस बयान में कहा गया है कि जीएसआई द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना क्षेत्र में लीथियम के बड़े भंडार की खोज को लेकर विभिन्न अखबारों में प्रकाशित खबरें पूरी तरह निराधार और भ्रामक हैं। लिथियम के भंडार की खोज की ऐसी कोई सूचना न तो क्षेत्रीय मुख्यालय की ओर से और न ही जीएसआई के केंद्रीय मुख्यालय की ओर से जारी की गई थी।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना क्षेत्र में टंगस्टन, लिथियम समेत अन्य दुर्लभ धातुओं की खोज में जुटा हुआ है। धातुओं की खोज का यह अभियान साल 2019 से जारी है। इसके अंतर्गत क्षेत्र में खुदाई भी की जा रही है। इस क्षेत्र में मौजूद धातुओं की मात्रा खुदाई का काम पूरा होने और अंतिम रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही स्पष्ट होगी।
गौरतलब है कि इस साल फरवरी में जीएसआई ने जम्मू-कश्मीर के में लिथियम के भंडार की खोज की थी। यह भंडार रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में है। लिथियम का यह भंडार करीब 59 लाख टन का है। इस भंडार से चीन जैसे देशों पर भारत की निर्भरता खत्म होने की बात कही जा रही है।
क्या है लिथियम
आप जिस मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं उसमें लगी बैटरी बनाने में लिथियम का उपयोग किया जाता है। वास्तव में, लिथियम दुनिया की सबसे मुलायम और सबसे हल्की धातु है। इसे चाकू से काटा जा सकता है और यह आसानी से पानी में तैरती भी है। लेकिन इसका महत्व इसके मुलायम होने या पानी में तैरने से नहीं, बल्कि बैटरी में उपयोग होने के चलते बहुत अधिक बढ़ गया है। लिथियम रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल देता है।
आज घर के सभी चार्जेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और बैटरी से चलने वाले हर गैजेट में लगी बैटरी में लिथियम का उपयोग होता है। दुनिया अब ग्रीन एनर्जी की तरफ बढ़ रही है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर अन्य सभी उपकरणों में लगने वाली बैटरी की माँग लगातार बढ़ती जा रही है। पूरी दुनिया में हो रही माँग में वृद्धि के चलते ही इसे ‘व्हाइट गोल्ड’ भी कहा जाता है। एक टन लिथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपए है।