आमिर खान के बेटे जुनैद खान की आने वाली फिल्म ‘महाराज’ की रिलीज रोकने को लेकर उठ रही माँग पर गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने इस दौरान कहा कि वो पहले ये फिल्म देखेंगे उसके बाद निर्णय लेंगे कि फिल्म पर रोक लगाई जानी चाहिए या फिर नहीं।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार संगीता विशेन की एकल पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करने के बाद कहा कि उन्होंने कोई भी निर्णय लेने से पहले फिल्म देखनी होगी, ताकि पता चले कि फिल्म में कहीं कोई धार्मिक भावनाएँ आहत तो नहीं की गईं, जैसा कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है।
उल्लेखनीय है कि जुनैद खान की यह फिल्म ‘महाराज’ 14 जून को रिलीज होने वाली थी, लेकिन मामला अदालत जाने के बाद फिल्म पर अस्थायी रोक लगा दी गई। बाद में यशराज फिल्म्स और नेटफ्लिक्स ने भी ‘महाराज’ की स्ट्रीमिंग रोकने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी जहाँ सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील शालीन मेहता और जल उनवल्ला ने जज को इस केस पर कोई फैसला देने से पहले फिल्म देखने को कहा था। वहीं अदालत ने पिछली सुनवाई में कहा था कि वे कि वे यशराज फिल्म्स और नेटफ्लिक्स के सुझावों के बाद फिल्म देखेंगे। आज न्यायाधीश ने इस सुझाव को स्वीकार कर लिया और कहा कि वह फिल्म देखकर ही निर्णय लेंगी।
बता दें कि ये फिल्म ‘महाराज लिबेल केस’ पर बन रही है। ये मामला धर्मगुरु जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने सन् 1862 में गुजराती अख़बार ‘सत्यप्रकाश’ नामक अख़बार में करसंदास मूलजी द्वारा लिखे गए एक लेख को लेकर मानहानि का मामला दर्ज करवाया था। इस लेख में वैष्णव पंथ के ‘पुष्टिमार्ग’ (वल्लभ संप्रदाय) के साधुओं के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए थे। आरोप लगाया गया था कि जदुनाथजी के कई महिलाओं से यौन संबंध हैं और लोगों को अपनी भक्ति साबित करने के लिए अपनी पत्नी साधुओं को सौंपनी पड़ती है।
जहाँ जुनैद खान इस फिल्म में उक्त पत्रकार का रोल करेंगे और हीरो होंगे, वहीं विलेन के रूप में एक हिन्दू साधु को दिखाया जाएगा जिसका रोल जयदीप अहलावत अदा करेंगे। फिल्म का पोस्टर रिलीज करते हुए बताया गया है कि आखिरकार 162 वर्षों बाद दिखाया जाएगा कि कैसे एक व्यक्ति ने अपने संकल्प की शक्ति से यथास्थिति को चुनौती दी। 1994 में जन्मे जुनैद खान आमिर खान और उनकी पहली पत्नी रीना दत्ता के बेटे हैं। आमिर खान अपने बेटे और साई पल्लवी को लेकर एक और फिल्म बना रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं का इस विषय पर कहना है कि 1862 के मामले में, जिसका निर्णय बॉम्बे सुप्रीम कोर्ट के अंग्रेज न्यायाधीशों द्वारा किया गया था, हिंदू धर्म, भगवान कृष्ण और भक्ति गीतों और भजनों के बारे में गंभीर रूप से ईशनिंदा वाली टिप्पणियाँ की गई थीं। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं ने ये भी कहा कि फिल्म को बिन किसी ट्रेलर या प्रमोशन कार्यक्रम के रिलीज किया जा रहा है ताकि इसकी कहानी लोगों से छिपी रहे। अगर फिल्म रिलीज हुई तो उनकी धार्मिक भावनाएँ आहत होंगी। फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से तत्काल अपील करने के बावजूद उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली