शेयर बाजार (Stock Market) नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शुक्रवार (11 फरवरी) को खुलासा किया कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) चित्रा रामकृष्ण ‘हिमालय में रहने वाले एक योगी’ के कहने पर काम करती थीं। उनसे कंपनी की डिविडेंड, पॉलिसी सहित तमाम सूचनाएँ साझा करती थीं। इतना ही नहीं, इस योगी के कहने पर उन्होंने एक व्यक्ति को अपना सलाहकार और ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (GOO) भी नियुक्त किया और उसे मनमाने ढंग से वेतन वृद्धि दी।
चित्रा रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक NSE की MD एवं CEO थीं। इसी दौरान उन्होंने इससे जुड़ी कई अनियमितताएँ कीं। चित्रा ने न सिर्फ आनंद सुब्रह्मण्यम को लीक से हटकर नियुक्ति दी, बल्कि NSE के फाइनेंशियल एवं बिजनेस प्लान, डिविडेंड से जुड़ी बातें, फाइनेंशियल रिजल्ट एवं अन्य गोपनीय सूचनाएँ योगी के साथ साझा कीं। एक्सचेंज के कर्मचारियों की वेतन और उनकी अप्रेजल से संबंधित बातें भी योगी से विचार-विमर्श के बाद ही लेती थीं।
बाजार नियामक ने 190 पेज के अपने फैसले में कहा कि वह 20 सालों से अपना हर व्यक्तिगत और पेशेवर काम योगी के सलाह के बाद ही लेती थीं। योगी के कहने पर ही चित्रा ने आनंद सुब्रह्मण्यम को नौकरी दी। उन्हें उच्च प्रबंधन में जगह दी और मनमाना वेतन दिया। इसके साथ ही उन्हें असीमित अधिकार भी दिए गए। वह अपने हर काम के लिए सुब्रह्मण्यम पर निर्भर थीं। इसको देखते हुए सेबी ने चित्रा और उनके सहयोगियों पर जुर्माना लगाया है।
एल्गोरिदम (एल्गो) घोटाले और सुब्रह्मण्यम की नियुक्ति का मामला सामने आने के बाद चित्रा ने साल 2016 में इस्तीफा दे दिया था। सुब्रह्मण्यम की नियुक्ति से संबंधित SEBI को तीन शिकायत मिली थी। उसके बाद SEBI के आदेश पर एर्स्ट एंड यंग (Ernst & Young) द्वारा की गई फोरेंसिक ऑडिट में इन सारी कहानियों का खुलासा हुआ है।
चित्रा और सहयोगियों पर भारी जुर्माना
इस तरह की गतिविधियों के कारण NSE ने चित्रा पर 3 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। SEBI ने NSE को चित्रा के अतिरिक्त अवकाश के बदले भुगतान किये गये 1.54 करोड़ रुपए और 2.83 करोड़ रुपए के बोनस (डेफर्ड बोनस) को जब्त करने का भी निर्देश दिया।
इसके साथ ही एनएसई के पूर्व एमडी और सीईओ रवि नारायण और आनंद सुब्रह्मण्यम पर 2-2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा एक्सचेंज के पूर्व चीफ रेगुलेटरी एवं कंप्लांस ऑफिसर वीआर नरसिम्हन पर 6 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
इसके साथ ही सेबी ने इन पर नियुक्ति संबंधी प्रतिबंध भी लगाए हैं। चित्रा और सुब्रह्मण्यम मार्केट इंफ्रास्ट्रक्टर संस्थानों और सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी इंटरमीडिटियरी संस्थान के साथ अगले तीन सालों तक जुड़ नहीं सकती हैं। यही प्रतिबंध नारायण पर दो साल का लगाया गया है। इसके साथ ही SEBI ने NSE को कोई भी नया प्रोडक्ट पेश करने से छह महीने के लिये रोक दिया है।
कौन हैं आनंद सुब्रह्मण्यम
साल 2013 में NSE ज्वॉइन करने से पहले सुब्रह्मण्यम Balmer and Lawrie कंपनी में मिडिल मैनेजमेंट के तौर पर काम करते थे। उनका सालाना वेतन 15 लाख रुपए से भी कम था। इसके साथ ही शेयर मार्केट से संबंधित कैपिटल मार्केट का उन्हें कोई भी अनुभव नहीं था। मार्च 2013 में उन्हें NSE में उन्हें एक्सचेंज में चीफ स्ट्रेटेजी ऑफिसर के तौर ज्वॉइनिंग दी गई। एक्सचेंज के हर काम में उनका हस्तक्षेप होता था।
ज्वॉइनिंग के समय उन्हें 1.68 करोड़ रुपए का सालाना पैकेज दिया गया। अप्रैल 2014 में उनका सालाना पैकेज बढ़ाकर 2.01 करोड़ रुपए कर दिया गया। अप्रैल 2015 में उनका सालाना पैकेज बढ़ाकर 3.33 करोड़ रुपए कर दिया गया। इसी साल उन्हें एक्सचेंज के MD और CEO का सलाहकार और ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (GOO) भी नियुक्त कर दिया गया। फिर अप्रैल 2016 में उनका सालाना पैकेज बढ़ाकर 4.21 करोड़ रुपए सालना कर दिया गया। मामला सामने आने के बाद अक्टूबर 2016 में उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया था।
कौन है हिमालय में रहने वाला योगी
योगी को चित्रा सिरोमणि कहकर पुकारती थीं। वह बताती थीं कि योगी एक अज्ञात व्यक्ति और आध्यात्मिक शक्ति हैं, जो हिमालय पर रहते हैं और अपनी इच्छा के अनुसार कहीं भी प्रकट हो सकते हैं। वह पिछले 20 वर्षों से उनके संपर्क में थीं। वह अपना हर फैसला उनसे विचार-विमर्श करने के बाद ही लेती थीं।
इस व्यक्ति को आनंद सुब्रह्मण्यम कंचन के नाम से जानता था। यह व्यक्ति सुब्रह्मण्यम का बहुत खास था। इसी व्यक्ति (योगी) के कहने पर चित्रा ने उन्हें पहले एक्सचेंज की सहायक कंपनी में नौकरी दी और उसके बाद एक्सचेंज के बोर्ड में शामिल कर लिया। E&Y के फोरेंसिक रिपोर्ट में कहा गया है कि सुब्रह्मण्यम को NSE में लाने के लिए यह साजिश रची गई थी।
क्या है NSE
भारत में शेयरों की खरीद-ब्रिकी अब इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होती है। इसके लिए NSE और BSE दो स्टॉक एक्सचेंज भारत में काम करते हैं। BSE यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। वहीं, NSE भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। डेरिवेटिव (F&O और Option Trading) के मामले में यह विश्व का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। इन दोनों स्टॉक एक्सचेंजों का कुल बाजार पूंजीकरण करीब 4 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 3,014 खरब रुपए) है।
कोई भी कंपनी जब बाजार से IPO के रूप में पूंजी जुटाती है तो इन्हीं स्टॉक एक्सचेंजों पर पंजीकृत होती है। पंजीकृत होने के बाद इन कंपनियों की शेयरों की खरीद और बिक्री यहीं होती है। साथ ही हर कंपनी वित्तीय स्थिति का पूरा विवरण इन एक्सचेंजों को देती हैं। इनमें उनका बैलेेंस शीट, लाभ-हानि विवरण, बाजार पूँजीकरण, लाभांश की स्थिति आदि शामिल हैं।