मुंबई इंडियंस के खिलाड़ी कार्तिकेय सिंह (Kartikeya Singh) की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। दरअसल, कार्तिकेय अपने परिवार से पूरे 9 साल 3 महीने बाद मिले हैं। उन्होंने अपने माता-पिता की भावुक मुलाकात की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं।
अपनी माँ की गोद में लेटे हुए फोटो शेयर करते हुए कार्तिकेय सिंह ने लिखा, “एक अरसे बाद जब मिला आपसे, लगा दुनिया की भीड़ में जन्नत का रास्ता मिल गया। मानो बचपन में खोया मैं कहीं, फिर आहिस्ता से आपके पल्लू का छोर मिल गया।”
एक अरसे बाद जब मिला आपसे,
— Kartikeya Singh (@Imkartikeya26) August 5, 2022
लगा दुनिया की भीड़ में, जन्नत का रास्ता मिल गया।
मानों बचपन में खोया मैं कहीं, फिर आहिस्ता से आपके पल्लू का छोर मिल गया।#MumbaiIndians #IPL2022 pic.twitter.com/ENG6qh38Nk
कार्तिकेय पहली बार तब सुर्खियों में आए, जब उन्हें इंडियन प्रीमियर लीग 2022 में मुंबई इंडियंस ने मोहम्मद अरशद खान की जगह अपनी टीम में शामिल किया था। बताया जाता है कि आईपीएल के 15वें सीजन के लिए जब नीलामी हुई उस वक्त कार्तिकेय का कोई खरीददार नहीं मिला था।
हालाँकि, वह समय भी आया जब 20 लाख के बेस प्राइज में नीलामी के बाद उन्हें इस लीग में खेलने का मौका मिल गया। कार्तिकेय सिंह का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। बाएँ हाथ के स्पिनर ने क्रिकेट की दुनिया में अपना सिक्का जमाने के लिए जी तोड़ मेहनत की। इस दौरान लगभग नौ वर्षों तक वह अपने घर भी नहीं गए।
My Father ❤️ The best shelter for me in the whole world.#MumbaiIndians #IPL2022 #OneFamily #CricketTwitter @mipaltan pic.twitter.com/rPt2dQvo7t
— Kartikeya Singh (@Imkartikeya26) August 4, 2022
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कार्तिकेय रणजी ट्रॉफी 2021-22 सीजन में दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे हैं। इसमें उन्होंने 11 पारियों में तीन बार पाँच विकेट लेते हुए कुल 32 विकेट चटकाए। इसके पहले उन्हें 2018 में रणजी के लिए चुना गया था।
24 वर्षीय गेंदबाज कार्तिकेय ने कहा, “मेरे पास घर जाने का समय था, लेकिन जब मैंने पापा से आखिरी बार बात की थी तो उन्होंने कहा था कि अब जब तुम चले गए, कुछ हासिल करो और तभी वापस आना। मैंने सिर्फ एक शब्द कहा, हाँ। हाँ मैंने इसीलिए कहा, क्योंकि मैं कुछ हासिल करने के बाद ही घर जाना जाता था।”
बता दें कि क्रिकेट के लिए कार्तिकेय महज 15 साल की उम्र में अपने होमटाउन कानपुर को छोड़ कर दिल्ली आ गए थे। कार्तिकेय ने पैसों की तंगी के बावजूद कभी भी अपने माता-पिता से मदद नहीं माँगी। कार्तिकेय को पैसों की इतनी तंगी थी कि उन्हें गाजियाबाद में मजदूरी करनी पड़ी।
कार्तिकेय सिंह क्रिकेट एकेडमी से लगभग 80 किलोमीटर दूर मजदूरी करने जाते थे। इस दौरान वह कई-कई किलोमीटर पैदल भी चलते थे, ताकि बिस्कुट खाने के लिए वह 10 रुपए बचा सकें। इस बीच फैक्ट्री के पास ही उन्हें रहने की एक जगह मिल गई थी। वह रात में फैक्ट्री में काम करते थे और दिन में क्रिकेट खेलते थे।