क्रिसमस और अंग्रेजी नववर्ष से पहले लोग छुट्टियाँ मना रहे हैं। इस बीच इंडोनेशिया के एक मौलवी ने कहा है कि मुस्लिमों को ‘मेरी क्रिसमस’ कहते हुए क्रिसमस की शुभकामनाएँ देने से बचना चाहिए। मौलवी मारूफ अमीन ने बुधवार (21 दिसंबर 2022) को कहा, “यह अभी भी बहस का विषय है कि दूसरों को शुभकामनाएँ देना हलाल है या हराम। इसलिए, बेहतर है कि मुस्लिम इससे दूर रहें और मेरी क्रिसमस न कहें।”
रिपोर्ट्स के अनुसार, मौलवी मारूफ अमीन इंडोनेशिया में इस्लामिक संस्था का अध्यक्ष है। मौलवी ने कहा है कि मुस्लिम ‘हैप्पी न्यू ईयर’ विश कर सकते हैं, लेकिन उन्हें दूसरों को ‘मेरी क्रिसमस’ कहने से बचना चाहिए। उसने यह भी कहा कि मुस्लिमों के लिए क्रिसमस पार्टियों या समारोहों में शामिल होना ‘हराम’ है।
मौलवी ने कहा है, “MUI ने मुस्लिमों को इस तरह के कार्यक्रमों में भाग लेने से मना करने का आदेश जारी किया है, क्योंकि ऐसे कार्यक्रम धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। इसलिए किसी भी मुस्लिम के लिए इसमें हिस्सा लेना हराम होगा।”
मौलवियों ने कुरान का हवाला देकर ‘मेरी क्रिसमस’ कहना बताया हराम
क्रिसमस से पहले ‘द इस्लामिक इंफॉर्मेशन’ द्वारा प्रकाशित की गई एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लाम में क्रिसमस सहित किसी भी गैर-मुस्लिम त्योहार को मनाना ‘हराम’ है। ईसाई यीशु (ईश्वर के पुत्र) के जन्म को मनाते हैं। क्रिसमस का जश्न शिर्क (पाप) के दायरे में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह इस्लाम में सबसे दंडनीय अपराधों में से एक है।
रिपोर्ट में कुरान की उन आयतों का भी हवाला दिया गया है, जो क्रिसमस मनाने पर रोक लगाती हैं। कुरान की आयत को कोट करते हुए कहा गया है, “ऐ किताब के मानने वालों! अपने विश्वास के संबंध में अति न करें; सत्य के सिवा अल्लाह के बारे में कुछ मत कहो। मरियम के पुत्र यीशु मसीह अल्लाह के दूत से अधिक नहीं थे और मरियम के माध्यम से उनके शब्दों की पूर्ति से ज्यादा कुछ नहीं था। केवल एक ईश्वर है और वह अल्लाह है। उसकी जय हो। वह एक बेटा होने से बहुत ऊपर है।”
‘मेरी क्रिसमस’ के जवाब में ‘वा अलैकुम अस-सलाम’ कहें मुसलमान
इससे पहले, जिम्बाब्वे के इस्लामी विद्वान मुफ्ती मेंक ने कहा था कि मुस्लिमों को जबरदस्ती मेरी क्रिसमस की शुभकामनाएँ देने की जरूरत नहीं है। लेकिन, अगर कोई उन्हें मेरी क्रिसमस कहता है तो उन्हें ‘वा अलैकुम अस-सलाम’ कहना चाहिए।
5 साल पहले शेयर किए गए इस वीडियो में मुफ़्ती मेंक को इस्लाम को ‘गलत’ तरीके से चित्रित करने के लिए मीडियाकर्मियों की खिंचाई करते हुए भी देखा जा सकता है। वीडियो में कहा है, “मेरी क्रिसमस की बधाई नहीं देने का मतलब यह नहीं है कि मुस्लिम ईसाइयों का अपमान करते हैं।”
सऊदी के मौलाना आसिम अलहकीम ने बताया है हराम
इससे पहले ऐसे कई वाकये सामने आए हैं, जब दुनिया भर के कई इस्लामी मौलवियों और विद्वानों ने मुस्लिम समुदाय को क्रिसमस नहीं मनाने और ‘मेरी क्रिसमस’ कहने से बचने का निर्देश दिया था। साल 2018 में असिम अलहकीम नामक एक सऊदी मौलवी ने ट्विटर पर कहा था कि किसी को ‘मेरी क्रिसमस’ की बधाई देना इस्लाम में हराम है। अलहकीम ने ट्वीट किया था, “मेरी क्रिसमस कहने का मतलब है कि आप स्वीकार करते हैं कि अल्लाह का एक बेटा है। कोई मुस्लिम ऐसा नहीं करेगा।”
This is totally prohibited.
— Assim Alhakeem (@Assimalhakeem) December 23, 2018
Saying Merry Christmas means that you acknowledge that Allah has a begotten son! No Muslim would do that. https://t.co/yoUOYcfxTO
एक अन्य ट्वीट में मौलवी ने स्पष्ट करते हुए कहा था कि इस मुद्दे पर उनके दृष्टिकोण का उद्देश्य दुश्मनी को बढ़ावा देना या साथ में रहने पर रोक लगाना नहीं था। मौलवी ने ट्वीट कर कहा था, “बधाई नहीं देने का मतलब यह नहीं है कि हम उनसे (ईसाइयों से) नफरत करते हैं या वे हमारे दुश्मन हैं या फिर उनके (यीशु के) होने से इनकार कर रहे हैं। हम अपने धर्म का पालन कर रहे हैं और वे अपने धर्म का पालन कर रहे हैं। हम उनके अधिकार का सम्मान करते हैं और उन्हें भी हमारे अधिकार का सम्मान करना चाहिए।”
‘क्रिसमस की बधाई देना हत्या से बड़ा पाप’: इस्लामी मौलवी
एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटिश कोलंबिया के एक इस्लामिक मौलवी शेख यूनुस कथराडा ने कहा था कि जो मुस्लिम ईसाइयों को ‘मेरी क्रिसमस’ की बधाई देते हैं, वे हत्या से भी गंभीर पापों के दोषी हैं। साल 2018 में कथराडा ने ब्रिटिश कोलंबिया में एक भाषण देते हुए कहा था, “ऐसे लोग हैं जो उन्हें (ईसाइयों को) ‘मेरी क्रिसमस’ कहेंगे। आप उन्हें किस बात की बधाई दे रहे हैं? क्या ये आपके भगवान के जन्म पर बधाई है? क्या यह एक मुस्लिम को मंजूर होगा? क्या अब आप उनकी मान्यताओं का स्वीकृति दे रहे हैं?”
Canadian Cleric Younus Kathrada: Congratulating Christians for Christmas is Worse than Murder pic.twitter.com/1S73XPjfRk
— MEMRI (@MEMRIReports) December 24, 2018
मौलवी ने कहा था, “यदि कोई व्यक्ति बहुत बड़ा पाप कर रहा है, जैसे कि व्यभिचार, ब्याज लेना, झूठ बोलना या हत्या। कोई अन्य व्यक्ति गैर-मुस्लिमों को उनके त्योहारों पर बधाई दे रहा है तो वह इनसे कहीं अधिक बड़ा पाप कर रहा है।”
केरल के इस्लामी स्कॉलर शम्सुद्दीन फरीद ने क्रिसमस को बताया ‘गैर-इस्लामी’
केरल के एक इस्लामी मौलवी शम्सुद्दीन फरीद ने साल 2016 में क्रिसमस और ओणम को गैर-इस्लामिक त्यौहार कहकर विवाद खड़ा कर दिया था। उसने मुस्लिमों को क्रिसमस के दौरान होने वाले समारोहों से दूर रहने का भी आदेश दिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, फरीद केरल में एक ऐसे इस्लामी संगठन का अनौपचारिक प्रवक्ता है, जो केरल के युवाओं के बीच कट्टरता फैलाने के लिए भी जिम्मेदार है।
‘मेरी क्रिसमस’ विश करना 100% गलत: इस्लामी कट्टरपंथी जाकिर नाइक
फरार कट्टरपंथी जाकिर नाइक ने अप्रैल 2019 में एक वीडियो में कहा था कि मुस्लिमों द्वारा मेरी क्रिसमस की शुभकामना देना 100% गलत है। उसने कहा था, “अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आप गलत साधनों का उपयोग नहीं कर सकते। जो उनके लिए हराम है, वह आपके लिए भी हराम है। जब आप उन्हें मेरी क्रिसमस की शुभकामनाएँ दे रहे हैं तो आप मान रहे हैं कि वह ईश्वर का पुत्र है और वह शिर्क (पाप) है।”
भगोड़े जाकिर नाइक ने यह भी कहा था, “यदि आप नहीं जानते कि क्रिसमस क्या है और किसको बधाई दे रहे हैं तो अल्लाह आपको क्षमा कर सकता है। अगर आप गलती से पेप्सी समझकर शराब पीते हैं तो अल्लाह आपको माफ कर सकता है, लेकिन अगर आप यह जानने के बाद भी कि क्रिसमस क्या है, सिर्फ संबंध बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं तो आप जहन्नम (नरक) में अपनी जगह बना रहे हैं।”
बीते कई वर्षों से इस्लामी मौलवियों और विद्वानों ने ईसाई त्योहार क्रिसमस को ‘हराम’ कहा है। मौलवियों ने मुस्लिमों को निर्देश दिया है कि वे दूसरों को ‘मेरी क्रिसमस’ की शुभकामनाएँ न दें। क्रिसमस का पेड़ भी मुस्लिमों के लिए हराम है, क्योंकि क्रिसमस मनाना इस्लाम में हराम है।