आगामी वित्त वर्ष की शुरुआत से ही आयकर विभाग की निगाह आप पर और कड़ी होने वाली है। अब आयकर विभाग केवल आपके बैंक खातों और आपके द्वारा दाखिल किए गए रिटर्न तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उसकी नज़र आपकी ज़िन्दगी के हर उस पहलू पर होगी जिससे आपके टैक्स चुराने का सुराग मिल सके।
इसके लिए आयकर विभाग ‘प्रोजेक्ट इनसाइट’ नामक एक टैक्स-ट्रैकर का इस्तेमाल करेगा, जिसे कई सालों की मेहनत और ₹1,000 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है। ‘बिग डेटा’ तकनीकी पर आधारित यह ट्रैकर कर-दाताओं के बारे में जानकारी निकालने के कई अपारंपरिक स्रोतों का भी इस्तेमाल करेगा। इसमें आपकी रिलेशनशिप और सोशल मीडिया अकाउंटों की जानकारी भी शामिल हैं।
15 मार्च को ही मिल गई थी हरी झण्डी
मीडिया में आ रही विभिन्न ख़बरों के अनुसार आयकर विभाग ने अधिकारियों को 15 मार्च को ही इसके प्रयोग के लिए जरूरी अनुमति दे दी है।
इस सॉफ्टवेयर के डेटाबेस में टैक्स देने वालों के साथ-साथ न देने वालों को भी शामिल किया जाएगा ताकि टैक्स दायरे में आने से ही बच रहे लोगों को भी लपेटे में लिया जा सके। सॉफ्टवेयर में हर व्यक्ति की प्रोफाइल को कई हिस्सों में बाँटा जाएगा- एक हिस्सा, मसलन पूरी तरह केवल जानकारियों का होगा जैसे कि नाम, पैन संख्या, पता, हस्ताक्षर, टैक्स रिटर्न्स इत्यादि। इसे मास्टर प्रोफाइल कहा जाएगा। एक दूसरा हिस्सा बिज़नेस इंटेलिजेंस हब का होगा, जहाँ उनकी सभी जानकारियों का विश्लेषण कर यह पता लगाने का प्रयास किया जाएगा कि कहीं वे टैक्स तो नहीं चुरा रहे हैं।
यानि यदि आप अपनी आय नून-रोटी खाने वाली दिखाते हैं और आपका इन्स्टाग्राम ताज होटल में खाते हुए सेल्फियों से भरा पड़ा है तो संभव है कि इनकम टैक्स वाले आपके घर का एक-आध चक्कर मारने में रुचि दिखाने लगें।
नोटबंदी वाले घपलेबाजों पर भी कसेगा शिकंजा
सरकार इस डेटाबेस और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल उन लोगों पर भी नकेल कसने में करेगी जिन्होंने नोटबंदी के समय अपने पैसे किसी और के खाते में जमा कराए थे। किसी के भी खाते में, किसी भी समय एकाएक संदेहास्पद जमा या निकासी का भी पता कर लिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने प्रोजेक्ट इनसाइट को मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भी युक्त करने का प्रबंध किया है।
विशिष्ट क्लब में शामिल होगा भारत
इस कदम से भारत ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा जैसे उन चुनिन्दा देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा जो आयकर चोरों को पकड़ने के लिए बिग डेटा तकनीकी का प्रयोग कर रहे हैं। इससे ऐसे कई केसों के पकड़ में आने की उम्मीद है जो बिना उत्कृष्ट तकनीकी के कर चोरी कर बच निकलने में सफल होते थे।