मध्य प्रदेश के जबलपुर से 35 किमी दूर घुघरी गाँव में कल (नवंबर 17, 2020) एक मालवाहक के खाई में गिरने की खबर आई। दुर्घटना के समय इसमें 36 मजदूर सवार थे, जिसमें से 27 बुरी तरह घायल हो गए। मामले की सूचना पाते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुँची और घायलों को अस्पताल पहुँचाने का काम किया। इस दौरान एक ऐसा दृश्य तस्वीरों में कैद हुआ कि सीएम शिवराज सिंह चौहान खुद को प्रदेश पुलिस की तारीफ करने से रोक नहीं पाए।
दरअसल, जिस समय यह दुर्घटना घटी उस दौरान घायलों की संख्या इतनी अधिक थी कि उन्हें अस्पताल तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर कम पड़ गए। ऐसे में 57 साल के एएसआई संतोष सेन ने सारी जिम्मेदारी संभाली और उनके साथ एलआर पटेल, आरक्षक अशोक, राजेश, अंकित ने उनका साथ देते हुए घायलों को कंधे व गोद में लेकर कैजुएलटी तक पहुँचाया। खबर है कि घायलों में 10 की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है। उनका इलाज अस्पताल में चल रहा है।
एएसआई संतोष सेन पर पूरे मध्यप्रदेश को गर्व है!
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 18, 2020
संतोष जी युवा पुलिसकर्मियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके जैसे लोग समाज को दिशा दिखाने का कार्य करते हैं। मैं उनके जज़्बे को प्रणाम करता हूँ, उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ और हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। pic.twitter.com/23eEsAQ9xt
बुधवार (नवंबर 18, 2020) को अखबार में संतोष सेन की इस प्रतिबद्धता को देख उनकी तस्वीर और खबर सोशल मीडिया पर शेयर की जाने लगी। थोड़ी देर पहले प्रदेश सीएम शिवराज सिंह चौहान ने लिखा,
“एएसआई संतोष सेन पर पूरे मध्य प्रदेश को गर्व है! संतोष जी युवा पुलिसकर्मियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके जैसे लोग समाज को दिशा दिखाने का कार्य करते हैं। मैं उनके जज़्बे को प्रणाम करता हूँ, उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ और हार्दिक अभिनंदन करता हूँ।”
गौरतलब हो कि एएसआई संतोष सेन की यह हिम्मत सिर्फ इसलिए सराहनीय नहीं है क्योंकि उन्होंने सरकारी मुलाजिम होने के नाते अपना काम किया बल्कि इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने इंसानियत की नई मिसाल पेश की है।
नई दुनिया की खबर के अनुसार, संतोष सेन का एक हाथ बेजान है तब भी उन्होंने घायलों को मेडिकल कॉलेज तक पहुँचाया। शायद उनकी जगह कोई और अधिकारी होता तो वह ये काम अपने साथियों के जिम्मे छोड़ देता और हाथ का बहाना बना कर सिर्फ ड्यूटी पूरी करता, लेकिन एएसआई संतोष सेन ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने घायलों को कंधे पर उठाकर नए मानक गढ़े।
जानकारी के मुताबिक, साल 2006 में वह नरसिंहपुर में आरक्षक के तौर पर पदस्थ थे, तभी उन्हें एक बदमाश को गिरफ्तार करने का काम सौंपा गया, लेकिन बदमाश के पास पहुँचते ही उसने संतोष सेन को गोली मार दी। इसके बाद उनके सीधे हाथ ने काम करना बंद कर दिया।
कल जब उनकी वीडियो वायरल होनी शुरू हुई तो उन्हें उनके सराहनीय काम के लिए एसपी ने पुरस्कृत करने का ऐलान किया। उनके साथ घटनास्थल पर मौजूद आरक्षकों को भी इनाम देने की घोषणा हुई।