फेसबुक ने भारत के अभिन्न अंग जम्मू कश्मीर को अलग देश बताने के बाद अपनी इस हरकत पर माफ़ी माँग ली है। सोशल नेटवर्किंग साइट के सिक्योरिटी पॉलिसी प्रमुख नैथनियल ग्लेचर ने बुधवार (मार्च 27, 2019) को एक ब्लॉग के माध्यम से कश्मीर को अलग देश बताया था। उन्होंने कश्मीर को भारत से स्वतंत्र एक अलग राष्ट्र बताया था। लोगों द्वारा आपत्ति जताने के बाद फेसबुक ने इस ब्लॉग को हटा दिया। इस पर सफाई देते हुए कम्पनी ने कहा:
“दरअसल, हम ऐसे देश और क्षेत्रों को सूचीबद्ध कर रहे थे, जिन पर ईरानी नेटवर्क का प्रभाव था। ऐसे में हमने गलती से कश्मीर को भी इस सूची में शामिल कर लिया। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था। हमने ब्लॉग में सुधार कर लिया है। हम किसी भी तरह की ग़लतफ़हमी को लेकर माफ़ी माँगना चाहते हैं।”
गलेचार ने अपने ब्लॉग में कश्मीर को भारत से अलग सत्ता बताते हुए उसे एक अलग देश की तरह सम्बोधित किया था। उन्होंने बताया कि ऐसे हज़ारों फ़र्ज़ी पेजेज व एकाउंट्स को हटाया गया है, जिनके द्वारा आपत्तिनजक सामग्रियाँ पोस्ट की जा रही थी। इनमें ऐसे 513 पेजेज व एकाउंट्स शामिल हैं जो अलग-अलग देशों में चल रहे थे। ये मिस्त्र, भारत, इंडोनेशिया, इजरायल, इटली, कश्मीर, कजाकिस्तान, मिडिल ईस्ट और कुछ अफ़्रीकी देशों से ऑपरेट किए जा रहे थे।
आपत्ति जताने के बाद फिलहाल फेसबुक ने कश्मीर का नाम इस सूची से हटा दिया है। फेसबुक ने बताया कि ईरानी नेटवर्क के प्रभाव से ऐसा हुआ। बकौल फेसबुक, इसके लिए जिम्मेदार लोगों ने छिपने की कोशिश की लेकिन उसने इसका सिरा ईरान में ढूँढ निकाला है। बता दें कि कश्मीर को भारत से अलग दिखाना भारतीय अखंडता और सम्प्रभुता का अपमान तो है ही, साथ ही लोकतंत्र के भी विरुद्ध है। पाकिस्तान कुछ ऐसा ही दावा करता रहा है लेकिन विश्व समुदाय भी कश्मीर को भारत के अंग के रूप में स्वीकार करता आया है।
दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक ख़बर के अनुसार, फेसबुक के भारत में 30 करोड़ यूजर्स हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। फेसबुक के मुताबिक उसके द्वारा 2632 पेज, समूह और अकाउंट्सपर कार्रवाई की है, जिनमें ईरान, रूस, मेसेडोनिया, कोसोवो जैसे देशों से आपत्तिजनक पोस्ट्स की जा रही थी। ये अकाउंट्स इंस्टाग्राम पर भी सक्रिय थे। ज्ञात हो कि फेक न्यूज़ और आपत्तिजनक सामग्रियों के दुष्प्रभाव को लेकर भारत सरकार पहले ही फेसबुक को फटकार लगा चुकी है।
बता दें कि चुनाव आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सोशल मीडिया के प्रयोग को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस दौरान चुनाव आयोग फेसबुक, ट्विटर सहित तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पैनी नज़र रखेगा। राजनीतिक पार्टियों व उम्मीदवारों द्वारा सोशल मीडिया पर किए जा रहे विज्ञापन भी अब उनके चुनावी ख़र्च में शामिल होंगे। नेता व राजनीतिक दलों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर विज्ञापन जारी करने से पहले चुनाव आयोग से उसका सत्यापन कराना होगा। अर्थात, अब सोशल मीडिया पर असत्यापित विज्ञापन पोस्ट करने पर आयोग कार्रवाई करेगा।