कोरोना की रूसी वैक्सीन स्पूतनिक (Sputnik V) की कीमत पर सस्पेंस खत्म हो गया है। डॉक्टर रेड्डी लेबोरेटरीज ने इसकी कीमत का ऐलान कर दिया है। भारत में रूसी वैक्सीन को बनाने वाली कंपनी के मुताबिक स्पूतनिक V की कीमत 948 रुपए + 5% जीएसटी होगी। इसका मतलब है कि 948 रुपए के अलावा इस पर 5% जीएसटी यानी 47.40 रुपए जीएसटी चार्ज किया जाएगा। इस तरह एक डोज 995.40 रुपए की पड़ेगी। बयान में कहा गया है कि जब स्पूतनिक-V वैक्सीन का निर्माण भारत में शुरू होगा, तब उसकी कीमत कम होगी।
Imported doses of Sputnik V #COVID19 vaccine are presently priced at Rs 948 + 5% GST per dose, with the possibility of a lower price point when local supply begins: Dr. Reddy’s Laboratories pic.twitter.com/bEowM6ZhZY
— ANI (@ANI) May 14, 2021
जुलाई से देश में स्पूतनिक-V का उत्पादन
स्पूतनिक-V वैक्सीन को लेकर सरकार का कहना है कि इस महीने के अंत तक 30 लाख और स्पूतनिक-V टीके की खुराक भारत पहुँचेगी। साथ ही सरकार की देश में इस टीके का उत्पादन शुरू करने के लिए रेड्डी लेबोरेटरी के अलावा पाँच अन्य कंपनियों के साथ बातचीत चल रही है। इनमें हेटेरो बॉयोफॉर्मा, विरचोव बॉयोटैक, स्टेलिस बॉयोफॉर्मा, ग्लैंड बॉयोफॉर्मा तथा पैनाशिया बॉयोटैक शामिल हैं। सरकार की कोशिश है कि जुलाई से देश में निर्मित स्पूतनिक वी वैक्सीन मिलनी शुरू हो जाएगी। Sputnik V की पहली डोज दीपक सपरा को लगी है। वे रेड्डीज लैब में कस्टम फार्मा सर्विसेज के ग्लोबल हेड हैं। उन्हें हैदराबाद में वैक्सीन की पहली डोज दी गई।
देश में भले ही अभी दो वैक्सीन से टीकारण अभियान चल रहा है, मगर सीरम की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के अलावे आने वाले कुछ समय में और भी वैक्सीन उपलब्ध हो जाएँगी, जिस पर फिलहाल काम चल रहा है। सरकार ने 8 वैक्सीन की संभावित लिस्ट पेश की है। हम आपको बताते हैं कि भारत को किन 8 वैक्सीन से उम्मीद है और वे अभी किस स्टेज में हैं और कहाँ बन रही हैं।
1. कोवैक्सीन: इस वैक्सीन को भारत बॉयोटेक ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर तैयार किया है। फॉर्मेलीन जैसे केमिकल्स की मदद से वैक्सीन इम्यून सिस्टम को कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बनाने में मदद करती है। इसमें निष्क्रिय वायरस को बहुत कम मात्रा में एल्युमीनियम आधारित कंपाउंड के साथ मिलाया गया है, जिसे एड्जुवेंट कहते हैं। यह इम्यून सिस्टम को वैक्सीन के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करता है।
2. बायोलॉजिकल ई: हैदराबाद की बायोलॉजिकल ई लिमिटेड को इसकी प्रोटीन सबयूनिट BECOV2A वैक्सीन के लिए आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है। इसमें छोटे शुद्ध टुकड़े होते हैं, जिनका चुनाव असरदार और मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स तैयार करने के लिए खास तौर पर किया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये फ्रेगमेंट्स कोविड-19 नहीं फैला सकते। सबयूनिट वैक्सीन को सुरक्षित माना जाता है। साथ ही इस तरह की वैक्सीन को बनाना सस्ता और आसान होता है। साथ ही ये पूरे वायरस या बैक्टीरिया वाली वैक्सीन की तुलना में ज्यादा स्थिर होती हैं।
3. कोविशील्ड: वायरल वेक्टर आधारित इस वैक्सीन में एंटीजन नहीं होते। ये इनका उत्पादन करने के लिए शरीर के सेल्स का ही इस्तेमाल करती है। इसमें संशोधित वायरस यानी वेक्टर होता है। अगर वायरस की सतह पर स्पाइक प्रोटीन पाया जाता है, तो यह एंटीजन के लिए जेनेटिक कोड लेकर इंसानी सेल में जाता है। एडेनोवायरस समेत कई वायरस को वेक्टर के तौर पर विकसित किया गया है।
4. स्पूतनिक V: नॉन-रेप्लिकेटिंग वायरल वेक्टर वैक्सीन में दो इंसानी एडेनोवायरस- Ad5 और Ad6 का इस्तेमाल किया गया है। एडेनोवायरस कोशिकाओं से टकराते हैं और उनकी सतह पर मौजूद प्रोटीन पर पकड़ बना लेते हैं। एक बार शरीर में इंजेक्ट होने के बाद, ये वैक्सीन वायरस हमारी कोशिकाओं को संक्रमित करना शुरू कर देते हैं। इसके बाद इंसानी सेल एंटीजन ऐसे तैयार करना शुरू कर देता है, जैसे वह उसका अपना ही प्रोटीन है।
5. जायडस कैडिला: अहमदाबाद की कंपनी अपनी प्लासमिड डीएनए वैक्सीन ZyCoV-D के साथ तैयार है। न्यू्क्लिक वैक्सीन किसी बीमारी के खिलाफ इम्यून प्रतिक्रिया को प्रेरित करने के लिए वायरस या बैक्टीरियम के जेनेटिक मटेरियल का इस्तेमाल करती हैं। वैक्सीन का जेनेटिक मटेरियल पैथोजन से खास प्रोटीन बनाने के लिए आदेश जारी करता है। बाद में इस प्रोटीन को इम्यून सिस्टम पहचान लेता है और वायरस के खिलाफ प्रतिक्रिया के लिए तैयार करता है।
6. नोवावैक्स: अमेरिका की कंपनी नोवावैक्स ने भारतीय वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट के साथ साझेदारी की है। यह बायोलॉजिकल ई कैंडिडेट की तरह ही प्रोटीन सबयूनिट कोविड-19 वैक्सीन NVX-CoV2373 है।
7. जीनोवा: पुणे की कंपनी जीनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स की mRNA वैक्सीन को मँजूरी मिल गई है। इस वैक्सीन में mRNA मैसेंजर का इस्तेमाल हुआ है, जो स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिए जेनेटिक सीक्वेंस लेकर जाता है। खास बात है कि शरीर के प्राकृतिक एनजाइम्स mRNA मॉलेक्यूल को तोड़ देंगे। इसके चलते इसे लिपिड नैनोपार्टिकल्स से बने बबल में रखा गया है। यह सेल की झिल्लियों से मिलता-जुलता है और RNA को मेजबान सेल तक पहुँचाता है। यहाँ mRNA ऐसे काम करता है, जैसे वो सेल का ही हिस्सा है। इसके बाद सेल इसके प्रोटीन का इस्तेमाल कर संदेश को पढ़ता है और स्पाइक प्रोटीन बनाता है। बाद में इसे होस्ट सेल से निकाला जाता है और इम्यून सिस्टम इसकी पहचान करता है।
8. इंट्रानेजल: भारत बायोटेक ने एडेनोवायरस वेक्टर्ड इंट्रानेजल वैक्सीन का सुझाव दिया है। सरकार ने मौजूदा वैक्सीन कार्यक्रम के लिए ऐसी 10 करोड़ वैक्सीन डोज का ऑर्डर दिया है।
केंद्र ने जानकारी दी है कि वह फाइजर (Pfizer), मॉडर्ना (Moderna) और जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson & Johnson) जैसे वैश्विक निर्माताओं से वैक्सीन सप्लाई के लिए चर्चा कर रही है। भारत की कोविड-19 टास्क फोर्स के प्रमुख डॉक्टर वीके पॉल ने कहा, “हमने निर्माताओं के साथ संपर्क किया है और अगस्त-दिसंबर के बीच वैक्सीन उपलब्धता को लेकर जानकारी माँगी है।”
Overall, 216 crore doses of vaccines will be manufactured in India between August-December – for India and for Indians. There should be no doubt that vaccine will be available for all as we move forward: Dr VK Paul, Member (Health), NITI Aayog#COVID19 pic.twitter.com/T2ELYt2H4q
— ANI (@ANI) May 13, 2021
उन्होंने कहा, “इस दौरान भारत के लिए 216 करोड़ डोज उपलब्ध हो जाएँगे। हम जैसे आगे बढ़ेंगे सभी के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी।” उन्होंने कहा कि सरकार ने ‘औपचारिक’ रूप से फाइजर, मॉडर्ना और जे एंड जे से संपर्क साधा है। साथ ही भारत ने इनकी अलग-अलग तरीकों से सहयोग करने की भी बात कही है। तीनों फार्मा कंपनियों ने कहा है कि वे साल 2021 की तीसरी तिमाही में ही बातचीत कर सकेंगे। पॉल ने कहा है कि भारत को उम्मीद है कि तीनों निर्माता घरेलू निर्माताओं तक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करेंगे, ताकि टीके की उपलब्धता को बढ़ाया जा सके।