देश में बुलेट ट्रेन दौड़ाने की मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में महाराष्ट्र सरकार की उदासीनता आड़े आ रही है। यूँ तो बुलेट ट्रेन अहमदाबाद-मुंबई के 508 किलोमीटर के कॉरिडोर पर चलनी है। लेकिन महाराष्ट्र में महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण में आ रही समस्याएँ हल नहीं हुईं तो फ़िलहाल गुजरात में ही इसका परिचालन होगा।
बुलेट ट्रेन को दो फेज में चलाया जाना है। लेकिन भारतीय रेल ने कहा है कि अगर महाराष्ट्र सरकार भूमि अधिग्रहण में साथ नहीं देती है तो फिर इसे एक फेज में ही चलाया जाएगा। पहले फेज में बुलेट ट्रेन अहमदाबाद से वापी के बीच 350 किलोमीटर के ट्रैक पर फर्राटे भरेगी। भूमि अधिग्रहण के लिए जब महाराष्ट्र में मँजूरी मिलेगी, तब दूसरे फेज में इसे वापी से लेकर मुंबई तक चलाया जाएगा। फ़िलहाल उद्धव ठाकरे सरकार का रुख नकारात्मक ही है।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने कहा कि भारतीय रेलवे चाहता है कि दोनों फेज में साथ ही काम हो, ताकि बुलेट ट्रेन अहमदाबाद से मुंबई तक सरपट दौड़े। हालाँकि, उन्होंने ये भी बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि अगले 4 महीनों में 80% के आसपास का भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक बार ये कार्य पूरा हो जाए तो प्रोजेक्ट महाराष्ट्र और गुजरात में साथ ही चलेगी।
साथ ही इसकी भी तैयारी की जा रही है कि अगर महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण नहीं हो पाता है तो अहमदाबाद से वापी तक ही इसे चलाया जाए। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए जमीन का 67% हिस्सा प्राप्त हो गया है। इसमें गुजरात में 956 हेक्टेयर में से 825 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है। गुजरात में करीब 90% भूमि का अधिग्रहण का कार्य पूरा होने के कारण टेंडर जारी कर जमीनी काम शुरू कर दिया गया है।
If we get the land then the project can be commissioned in both Gujarat & Maharashtra. We are also preparing whether we can run bullet train till Vapi (Gujarat) in the first phase if there is a delay in land acquisition in Maharashtra: Chairman, Railway Board (26.12) https://t.co/sxvZNNm3Jo
— ANI (@ANI) December 26, 2020
जहाँ तक महाराष्ट्र की बात है, वहाँ 432 हेक्टेयर भूमि में से 97 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण ही किया जा सका है। जितनी भूमि की जरूरत है, उसका ये मात्र 22% हिस्सा ही है। कोरोना काल में भारतीय रेलवे अपने व्यय में कटौती कर के बचत भी कर रहा है, जिससे पिछले वर्ष की तुलना में खर्च 12% कम हुआ है। ईंधन व अन्य मदों में बचत के बाद खाद्यान्न और उर्वरकों जैसी वस्तुओं की ढुलाई से आमदनी बढ़ने की उम्मीद है।
फरवरी 2019 में ही केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री का सपना साझा करते हुए बताया था, “आने वाले दौर में जल्द ही ऐसे 30 सेमी हाई स्पीड ट्रेनों को चलाने की तैयारी है। ट्रेन-18 सीरीज के स्लीपर ट्रेन भी आएँगे, फिर 2020 तक ट्रेन-20 और साथ ही भारत के विस्तृत क्षेत्र को बुलेट ट्रेन से जोड़ देने का भी प्रधानमंत्री का सपना है।” कोरोना काल में भी भारतीय रेलवे ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर कार्यों को रुकने नहीं दिया है।