2003 में ज़िन्दगी ने भोपाल निवासी योगिता रघुवंशी को कहीं का नहीं छोड़ा जब उनके पति राजबहादुर रघुवंशी और भाई की बहुत छोटे अन्तराल पर सड़क हादसे में मौत हो गई। उनके भाई की मौत तो उनके पति की अंत्येष्टि क्रिया में भाग लेने जाते समय हुई।
वाणिज्य व कानून की डिग्री और ब्यूटीशियन का हुनर भी योगिता की 8 साल की बेटी और 4 साल के बेटे को पढ़ाने के लिए नाकाफ़ी साबित होने लगे। एक महीने तक एक वकील की जूनियर और कुछ दिनों तक एक बुटीक में असिस्टेंट के तौर पर कम करने के बाद योगिता की समझ में आ गया कि इन पेशों की शुरुआती आय से उनके परिवार की ज़रूरतें पूरी नहीं होने वाली।
ऐसे में योगिता ने अपने वकील रहे पति के ‘साइड’ व्यवसाय यानी ट्रक और मालवहन बिज़नेस को अपना पेशा बनाने की ठान ली। क्योंकि इसमें शुरू में ही अच्छी कमाई का अवसर उन्हें दिखा।
ट्रक तो दूर, गाड़ी चलाना भी नहीं आता था
2003 में योगिता के पास न ही ड्राइविंग का अनुभव था न ही लाइसेंस। पति के बिज़नेस में चूँकि कुल तीन ट्रक थे, अतः योगिता ने एक ड्राइवर और एक सहायक को काम पर रख शुरू में केवल बिजनेस चलाने की कोशिश की। पर छह महीने बाद ही उनका ड्राइवर एक ट्रक को हैदराबाद के पास खेत में घुसा देने के पश्चात भाग खड़ा हुआ।
ट्रक की मरम्मत करा कर भोपाल वापिस लाने के लिए योगिता को एक मैकेनिक और अपने सहायक को साथ लेकर हैदराबाद जाना पड़ा।
योगिता याद करतीं हैं कि उनके बच्चों को उन 4 दिनों तक अकेले रहना पड़ा था। वापिस आते-आते उन्होंने निर्णय ले लिया कि उन्हें ट्रक चलाना सीखना होगा।
2004 में उन्होंने लाइसेंस बनवाया और अपनी यात्रा की शुरुआत की। शुरू में वह सहायक को साथ लेकर चलतीं थीं पर जल्दी ही उन्होंने अकेले यात्रा करने का आत्मविश्वास भी पा लिया।
महाराष्ट्र के नंदूरबार में चार भाई-बहनों में पली-बढ़ी योगिता शुरू में ट्रक में सोने के अलावा खाना भी ट्रक के अंदर ही पकातीं थीं। बाद में जब दूसरे ट्रक-चालकों ने उनका हौसला बढ़ाया, ढाबों में गर्मजोशी के साथ स्वागत होने लगा तो उन्होंने ढाबों में खाना शुरू किया।
रात भर चलाना पड़ा है ट्रक, लोगों ने ‘हाथ साफ करने’ की भी की है कोशिश
योगिता बतातीं हैं कि अन्य ट्रक-चालकों की तरह उन्हें भी कई बार रात-रात भर ड्राइविंग करनी पड़ती है- खासकर तब, जब वह शराब या फलों जैसी जल्दी खराब हो जाने वाली चीजों की ढुलाई कर रहीं हों। ऐसे में जब कभी नींद हावी होने लगती है तो वे किसी पेट्रोल पम्प के आस-पास ट्रक खड़ा कर के एक झपकी ले लेतीं हैं।
एक बार जब वह खाना बना रहीं थीं तो उन पर तीन आदमियों ने हमला भी कर दिया था। योगिता ने भी पलट कर उन पर हमला किया। इस दौरान उन्होंने हमलावरों को तो सबक सिखा दिया पर जब तक और लोग मदद के लिए आते, तब तक उन्हें भी बहुत चोटें आ चुकीं थीं।
वह यह भी साफ़ कर देतीं हैं कि वह इस पेशे में किसी ‘स्टीरियोटाइप को तोड़ने’ या ‘पितृसत्ता को चुनौती देने’ के लिए नहीं हैं– यह उनकी आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने का सबसे बेहतर तरीका भर है।