बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई मेट्रो कार शेड के लिए रास्ता बनाने के लिए आरे कॉलोनी में 2,700 पेड़ों को काटने के बॉम्बे नगर निगम के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सभी याचिकाओं को आज ख़ारिज कर दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी आरे को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील और बाढ़ क्षेत्र घोषित करने की याचिका को ख़ारिज कर दिया।
Maharashtra: Bombay High Court has dismissed all petitions against BMC decision which allowed felling of more than 2700 trees in Mumbai’s Aarey forest for metro car shed. pic.twitter.com/doCrwddxKQ
— ANI (@ANI) October 4, 2019
मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने गोरेगाँव की आरे कॉलोनी के संबंध में एनजीओ और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की ओर से दायर चार याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया। बता दें कि गोरेगांव मुंबई महानगर का प्रमुख हरित क्षेत्र है। खंड पीठ ने आरे कॉलोनी को हरित क्षेत्र घोषित करने के संबंध में शहर के एनजीओ वनशक्ति की याचिका को भी ख़ारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा, “यह मामला सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष लंबित है। इसलिए हम याचिका को एक जैसा मामला होने के कारण खारिज कर रहे हैं, न कि गुण-दोष के आधार पर।”
इसके अलावा अदालत ने कार्यकर्ता जोरु बथेना की याचिका को भी ख़ारिज कर दिया जिसमें आरे कॉलोनी को बाढ़ क्षेत्र घोषित करने का अनुरोध किया गया था और मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को कार शेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी में 2,656 पेड़ काटने की बीएमसी की मंजूरी को भी चुनौती दी गई थी।
वहीं, पीठ ने शिवसेना पार्षद यशवंत जाधव पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया जिन्होंने बीएमसी के वन प्राधिकरण की मंजूरी के ख़िलाफ़ याचिका दायर की थी। बता दें कि यशवंत जाधव वृक्ष प्राधिकरण के सदस्य हैं।
जानकारी के अनुसार, आरे कॉलोनी 1278 हेक्टेयर भूमि पर फैली हुई है, जिसमें से, मेट्रो कार शेड केवल 30 हेक्टेयर आरे की भूमि पर बनाया जाएगा और यहाँ तक कि 5 हेक्टेयर भूमि को हरियाली के लिए बरकरार रखा गया है। इसलिए संक्षेप में, पूरी आरे कॉलोनी का केवल 2% क्षेत्र प्रस्तावित मेट्रो कार शेड के लिए उपयोग किया जाएगा।
हाल ही में, मारोल की एक महिला को मुंबई मेट्रो निर्माण परियोजना का समर्थन करने वाले फेसबुक पोस्ट लिखने के लिए एनजीओ वनशक्ति से एक आरे ‘कार्यकर्ता’ द्वारा धमकी दी गई थी।
प्रस्तावित मेट्रो शेड के कारण व्यापक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे, इसमें विभिन्न एनजीओ और फ़िल्मी सितारे शेड का विरोध करने के लिए एकजुट हुए थे। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि वर्तमान सरकार शहर को तबाह कर रही है, जंगलों को नष्ट कर रही है और सरकार का यह क़दम पर्यावरण विरोधी है।