प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार (2 जून, 2021) को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मॉडल किराएदारी अधिनियम या मॉडल टेनेंसी ऐक्ट (MTA) के मसौदे को मंजूरी दे दी गई है। सरकार ने कहा कि इस कानून की सहायता से देश भर में मकानों को किराए पर देने और इससे संबंधित प्रक्रियाओं के कानूनी ढाँचे को दुरुस्त करने में आसानी होगी।
मॉडल टेनेंसी ऐक्ट का उद्देश्य 2022 तक सभी को मकान देने के लक्ष्य में सहायता करना है। साथ ही MTA देश में मकान मालिकों और किराएदारों के विवादों को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा सकता है। मॉडल टेनेंसी ऐक्ट का खाका सबसे पहले 2019 में बजट के दौरान रखा गया था।
क्या है मॉडल टेनेंसी ऐक्ट और क्यों हुई इसकी आवश्यकता
- मॉडल किराएदारी अधिनियम या मॉडल टेनेंसी ऐक्ट एक मॉडल कानून है, जिसकी अधिसूचना आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई थी और इसे राज्यों के पास फीडबैक के लिए भेजा गया था। यह मॉडल कानून राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक गाइडिंग कानून का काम करेगा। चूँकि संविधान के अनुसार भूमि तथा उससे संबंधित अधिकार राज्य सूची के विषय हैं, अतः राज्यों को इस पर कानून बनाने का अधिकार प्रदान किया गया है।
- भारत में साल 2022 तक सभी को आवास की सुविधा देने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें किराए पर घर लेने की सुविधा भी शामिल है क्योंकि देश की बड़ी जनसंख्या अपने घर को छोड़ कर दूसरे राज्यों में काम की तलाश में जाती है। उन राज्यों में ये लोग अपना खुद का घर बनाने या खरीदने की तुलना में किराए पर रहना पसंद करते हैं। हालाँकि किराए की इस व्यवस्था में न तो किराएदार का शोषण हो और न ही मकान मालिक का नुकसान हो, इसके लिए इस मॉडल टेनेंसी कानून की आवश्यकता पड़ी।
- किराएदारी व्यवस्था में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के निर्धारण के लिए इस मॉडल कानून का मसौदा जारी किया गया।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (अर्बन) के अंतर्गत राज्यों के द्वारा एक मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैन्डिंग (MoU) साइन किया गया, जिसमें कहा गया कि राज्य या केंद्र शासित प्रदेश मॉडल टेनेंसी ऐक्ट के अनुसार या तो नया कानून बनाएँगे या पहले से जो कानून बने हुए हैं, उनमें संशोधन करेंगे।
क्या हैं कानून के प्रमुख बिन्दु
मॉडल टेनेंसी ऐक्ट के अंतर्गत मकान मालिकों और किराएदारों से संबंधित कई मुद्दों पर स्पष्ट रूप से विवादों के निपटान, जिम्मेदारियों और किराए के निर्धारण के विषय में बताया गया है। इन्हें किराएदारी व्यवस्था के प्रत्येक पहलू के आधार पर समझा जा सकता है।
कानून का कार्यक्षेत्र: यहा ध्यान देने योग्य बात यह है कि मॉडल टेनेंसी ऐक्ट ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों के लिए समान रूप से कार्य करेगा। इसके अलावा कानून के कार्यक्षेत्र को वृहद और सर्वमान्य बनाने के लिए इसके अंतर्गत एक ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के निर्माण की बात की गई है, जो स्थानीय भाषाओं या राज्य की भाषाओं में कार्य करेगा। इससे देश के किसी भी कोने में एग्रीमेंट या अन्य दस्तावेजों को लेकर किसी प्रकार की कोई समस्या उत्पन्न नहीं होगी। इसके साथ ही यह घरेलू एवं व्यवसायिक, दोनों ही परिस्थितियों में लागू होगा।
MTA will be applicable prospectively and will not affect existing tenancies & will cover both urban and rural areas.
— Ministry of Housing and Urban Affairs (@MoHUA_India) June 2, 2021
A digital platform will be set up in the local vernacular language or the language of the State/UT for submitting tenancy agreement and other documents.
एग्रीमेंट सबसे पहली आवश्यकता: किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में मॉडल टेनेंसी ऐक्ट के लागू होने या पहले से उपस्थित कानूनों में संशोधन होने के बाद बिना एग्रीमेंट के किसी भी संपत्ति को किराए पर लेना या देना असंभव हो जाएगा। इसके अलावा यदि मकान मालिक एग्रीमेंट के मुताबिक किराएदार को पूर्व नोटिस देता है तो किराएदार को घर या व्यवसायिक संपत्ति को खाली करना पड़ सकता है।
मकान मालिक और किराएदार की जिम्मेदारी: संपत्ति में किसी भी प्रकार के निर्माण, पेंट-पुताई, बाहरी इलेक्ट्रिकल सुधार और संबंधित रख-रखाव की जिम्मेदारी मकान मालिक की होगी जबकि नाली, दरवाजे और खिड़कियाँ, घर के अंदर के स्विच और सॉकेट, गार्डन और रसोई (किराएदार द्वारा उपयोग की जा रही) के रख-रखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी किराएदार की होगी। इसके अलावा मकान मालिक को किराए में दी गई अपनी संपत्ति का जायजा लेने के लिए 24 घंटे का पूर्व नोटिस देना होगा।
सुरक्षा जमा निधि: मकान मालिक किराए पर दी गई अपनी संपत्ति के एवज में अधिकतम दो महीने का किराया ही सुरक्षा निधि (Security Deposit) के रूप में ले सकेंगे। इसके अलावा व्यवसायिक संपत्तियों के मामले में किराएदारों को 6 महीने की अवधि के लिए सुरक्षा निधि जमा करनी होगी।
Time bound and robust grievance redressal mechanism comprising of Rent Authority, Rent Court and Rent Tribunal to provide fast-track resolution of disputes.
— Ministry of Housing and Urban Affairs (@MoHUA_India) June 2, 2021
Disposal of complaint/appeal by Rent Court and Rent Tribunal within 60 days.
विवादों का निपटारा: मॉडल टेनेंसी ऐक्ट के तहत एक तय समय-सीमा में विवादों के निपटारे के लिए शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना पर जोर दिया गया है। साथ ही ऐक्ट में विवादों के त्वरित निपटान के लिए रेंट अथॉरिटी, रेंट कोर्ट और रेंट ट्रिब्यूनल की स्थापना के प्रावधान भी किए गए हैं। मॉडल टेनेंसी ऐक्ट में रेंट कोर्ट और रेंट ट्रिब्यूनल द्वारा विवादों के निपटारे के लिए 60 दिनों की समय सीमा तय की गई है। इस ऐक्ट की धारा-30 में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि कोर्ट या ट्रिब्यूनल बनने के बाद यह मामले दीवानी अदालतों में नहीं जाएँगे। इससे इनके त्वरित निपटान में सहायता मिलेगी।
मॉडल टेनेंसी ऐक्ट के फायदे
- केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 2011 की जनसंख्या के आँकड़ों के अनुसार बताया कि देश में लगभग 1 करोड़ घर खाली पड़े हैं, जो किराएदारी व्यवस्था में शामिल किए जा सकते हैं।
- मॉडल टेनेंसी ऐक्ट के राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होने के पश्चात किराएदारों और मकान मालिकों के परस्पर हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। अर्थात न तो किराएदारों का उत्पीड़न किया जा सकेगा और न ही मकान मालिकों को नुकसान होगा।
- इस ऐक्ट के तहत मकान मालिकों को किराएदारों द्वारा अपनी संपत्ति पर कब्जा जमाने के भय से मुक्ति मिलेगी और अधिकांश मकान मालिक अपने खाली पड़े घरों को किराए पर देने के लिए आगे आएँगे।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म और एग्रीमेंट की अनिवार्यता से इस ऐक्ट में पारदर्शिता की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
- चूँकि यह एक मॉडल कनून है, ऐसे में राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश अपनी परिस्थितियों एवं जरूरतों के हिसाब से कानून बना सकते हैं।
- इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद देश में कई हाउसिंग सोसायटी में भी किराएदारी व्यवस्था के लागू करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
- चूँकि यह कानून पुराने किराएदारी कानूनों को समाप्त करने के लिए नहीं कहता है, इसलिए राज्य मॉडल टेनेंसी ऐक्ट की तर्ज पर ही पुराने कानूनों में संशोधन के लिए स्वतंत्र हैं।
साल 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) की शुरुआत की गई थी, जिसका लक्ष्य है 31 मार्च 2022 तक सभी गरीबों को आवास उपलब्ध कराना। इसके तहत 20 मिलियन किफायती आवास के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के दो अंग हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना (अर्बन) और प्रधानमंत्री आवास योजना (रुरल)।
मॉडल टेनेंसी ऐक्ट के अस्तित्व में आने के बाद इस लक्ष्य को पूरा करने में सहायता मिलेगी। क्योंकि जैसा कि पहले ही बताया गया है कि अधिकांश प्रवासी कामगार अपना निजी घर बनाने के स्थान पर किराए पर घर लेना ज्यादा पसंद करते हैं और यदि मॉडल टेनेंसी ऐक्ट उचित सुरक्षा और बेहतर जवाबदेही सुनिश्चित कर पाया तो न केवल लाखों प्रवासी कामगारों को रहने का ठिकाना मिलेगा बल्कि मकान मालिकों की आय के स्रोत के भी खुलेंगे।