Sunday, December 22, 2024
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बैंक लोन नहीं चुकाने वाली कंपनियों से वसूलेगी नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी: 2,75,000 करोड़ रुपयों पर होगा फोकस

पहले से ही 28 एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी काम कर रही है। फिर नई क्यों? क्योंकि पहले की कंपनियों का ध्यान-क्षमता छोटे NPA के प्रबंधन पर है। जबकि नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी का फोकस होगा - 70 बड़े खातों में पैदा हुए लगभग 275000 करोड़ के NPA के प्रबंधन पर।

पिछले कई वर्षों से बैंकों के लगातार बढ़ते जा रहे NPA को मैनेज करने और उन्हें आय देने वाली संपत्ति के रूप में परिवर्तित करने के लिए सरकार द्वारा स्थापित एक एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी की माँग लंबे समय से चल रही थी। वर्ष 2021-22 के बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि केंद्र सरकार इस तरह की एक एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी बनाने के लिए तैयार है।

बजट घोषणा के प्रस्ताव के अनुसार ऐसी कंपनी के प्रमोटर के रूप में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक आगे आएँगे और केंद्र सरकार की ओर से इसमें इक्विटी का योगदान नहीं रहेगा और सरकार की भूमिका केवल उस सिक्यूरिटी रेसिट्स की गारंटी तक सीमित रहेगी, जिसका इस्तेमाल बैंकों के NPA की खरीद के लिए किया जाएगा। 

अब जबकि नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड की स्थापना हो गई है, अपनी तय भूमिका के अनुसार केंद्र सरकार की कैबिनेट समिति ने इसके लिए 31000 करोड़ रुपए निर्धारित कर दिया है।

क्या होती है एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी

एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई कंपनी होती है, जो बैंकों के NPA (बैंकों द्वारा दिए गए वे कर्ज, जिनका मूलधन और ब्याज कर्जदार से बैंक को वापस नहीं मिल रहे हैं) एक तय कीमत पर खरीद लेती है और फिर अलग-अलग तरीके से उस NPA की रिकवरी का प्रयास करती है। एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक और SARFAESI Act 2002 के नियमों के तहत होती है।

एक एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा NPA की ऐसी खरीद के परिणामस्वरुप उस NPA को लेकर बैंक के सारे अधिकार इस कंपनी के पास चले आते हैं और फिर कंपनी अपनी सहूलियत के अनुसार उन NPA की रिकवरी करती है। उदाहरण के रूप में यदि NPA बैंकों द्वारा किसी कंपनी को दिए गए कर्ज का परिणाम है तो एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी उस कंपनी (जिसे बैंक ने कर्ज दिया लेकिन कंपनी लौटा नहीं पाई) और उसके बिजनेस के लिए नया मैनेजमेंट खोज सकती है, उसे किसी और कंपनी को बेच सकती है, कंपनी की संपत्ति बेच सकती है, उन्हें लीज पर दे सकती है या फिर उसके लिए नए बॉन्ड या अन्य सिक्यूरिटी जारी कर उसे निवेशकों को भी बेच सकती है। 

नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी की आवश्यकता क्यों?

ऐसा नहीं कि इस तरह की कंपनी की स्थापना देश में पहली बार हो रही है। वर्ष 2002 में SARFAESI Act आने के बाद निजी क्षेत्र द्वारा ऐसी कई कंपनियों की स्थापना हुई है। आज देश में ऐसी कुल 28 ARC काम कर रही हैं।

नई कंपनी बनाने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि पहले से स्थापित और काम कर रही कंपनियों का ध्यान और क्षमता छोटे NPA के प्रबंधन पर रहा है। नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी का फोकस करीब 70 बड़े खातों में पैदा हुए लगभग 275000 करोड़ के NPA के प्रबंधन, उनकी रिकवरी और उन्हें अच्छे लोन में बदलने पर होगा। इसके अलावा COVID के कारण भविष्य में पैदा होने वाले संभावित NPA को लेकर भी विचार और उनके प्रबंधन की आवश्यकता थी।

एक अनुमान के अनुसार वर्तमान COVID संकट के कारण बैंकों के NPA तेजी से बढ़ने की उम्मीद है और यह समय की माँग है कि इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार, बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएँ पहले से तैयार रहें। 

केंद्र सरकार की भूमिका 

नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी की स्थापना सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर रहे हैं। उनमें कैनरा बैंक इस कंपनी का एक प्रमुख शेयरधारक होगा। वित्त मंत्री द्वारा बजट में की गई घोषणा के अनुसार केंद्र सरकार इस कंपनी में शेयर-होल्डर नहीं रहेगी पर वह इस कंपनी द्वारा जारी की जाने वाली सिक्यूरिटी रसीदों के लिए एक गारंटर की भूमिका निभाएगी।

केंद्र की कैबिनेट समिति द्वारा 31000 करोड़ रुपए NARCL द्वारा भविष्य में बैंकों से उनके NPA की खरीद के लिए जारी की जानेवाली सिक्यूरिटी रसीदों पर गारंटी देने के लिए निर्धारित किया गया है।   

ऐसे कदम का क्या असर होगा?

इस तरह की एक बड़ी एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। पहले से काम कर रही ARC सीमित वित्तीय संसाधनों और अन्य कारणों से बड़े NPA के लिए प्रभावशाली ढंग से काम करने में सक्षम साबित नहीं हो सकी हैं।

पिछले करीब 20 वर्षों में भारत सहित अन्य देशों में आए वित्तीय संकटों और उसके परिणामस्वरूप बैंकों के बढ़े NPA के प्रबंधन संबंधी अनुभव ऐसे रहे हैं, जिनके अनुसार ऐसी कंपनियों की आवश्यकता हर बड़े देश की अर्थव्यवस्था को पड़ती है। हाल में आए COVID संकट की वजह से भविष्य में आने वाले वित्तीय संकट को लेकर पहले से की गई तैयारी हमें बेहतर प्रबंधन की दिशा की ओर ले जाएगी।

पिछले कई वर्षों से NPA की वजह से बैंकों की लगातार बिगड़ रही बैलेंस शीट से यदि इस तरह के NPA को कम किया जा सके तो उनके लिए नए लोन देने और नए डिपॉजिट्स लेने के रास्ते आसान हो जाएँगे। वैसे भी भारत की लगातार उभरती अर्थव्यवस्था की माँग है कि वित्तीय संसाधनों के उपयोग, प्रबंधन और उनके बचाव के लिए आवश्यक प्रक्रिया यदि समय रहते स्थापित हो जाए तो हम गलतियों को दोहराने से बच सकते हैं।

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