देश के सैनिक स्कूल में अब लड़कियाँ भी पढ़ सकेंगी। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2021-22 के शैक्षणिक सत्र से सैनिक स्कूलों में छात्राओं के प्रवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। दो साल पहले मिजोरम में सैनिक स्कूल छिंगछीपी में छात्राओं के प्रवेश के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई पायलट परियोजना की सफलता के बाद यह निर्णय लिया गया है। अब इसे सभी सैनिक स्कूलों में लागू करने का फ़ैसला लिया गया है।
रक्षा मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को इस आदेश के सुचारू कार्यान्वयन के लिए सैनिक स्कूलों में आवश्यक व्यवस्था और पर्याप्त महिला स्टाफ़ की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। रक्षा मंत्री के इस निर्णय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ को मज़बूती मिलेगी। साथ ही सशस्त्र बलों में महिलाओं की अधिक भागीदारी हो सकेगी, जिससे लैंगिक समानता के उद्देश्य की भी पूर्ति होगी। सैनिक स्कूलों में कक्षा 6 से 12वीं तक की पढ़ाई होती है और सैन्य अकादमियों में प्रवेश की तैयारी भी कराई जाती है।
बता दें कि देश भर में 33 सैनिक स्कूल हैं। सैनिक स्कूल ने 2017 में केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत सैनिक स्कूल में 6 लड़कियों प्रवेश देकर इसकी शुरुआत की गई थी। सैनिक स्कूलों को पारंपरिक रूप से एक पुरुष गढ़ के रूप में देखा जाता है। सैनिक स्कूलों में लड़कियों को प्रवेश देना राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिला कैडेटों को शामिल करने की दिशा में यह पहला क़दम है।
ख़बर के अनुसार, पिछले साल दो नए स्कूल झुंझनू (राजस्थान) और सियांग (अरुणाचल प्रदेश) में खुले थे, जो अब चालू हो चुके हैं। इसके अलावा एक दर्जन से अधिक स्कूलों को मंज़ूरी मिल चुकी है, जिनके अगले साल चालू होने की संभावना है। वर्तमान समय में रक्षा अकादमी में प्रवेश पाने वाले एक चौथाई से भी अधिक बच्चे सैनिक स्कूलों के होते हैंं। पिछले साल चुने गए कुल 348 उम्मीदवारों में से 99 बच्चे सैनिक स्कूल के थे, जो 28.45 फ़ीसदी है।
पिछले साल अप्रैल में देश में पहली बार लखनऊ के एक सैनिक स्कूल ने लड़कियों के दाखिले के लिए दरवाज़े खोले थे। विभिन्न पारिवारिक पृष्ठभूमि की 15 लड़कियों को कैप्टन मनोज कुमार पांडेय उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल (यह देश का एकमात्र सैनिक स्कूल है जो रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत नहीं आता) में शैक्षणिक वर्ष 2018-19 के लिए कक्षा-9 में प्रवेश मिला था।