फिजिक्स की दुनिया से ताल्लुक रखने वाले हर शख्स के लिए पूर्व प्रोफेसर हरिश्चंद्र वर्मा (एचसी वर्मा) जाना-माना नाम हैं। उन्होंने आईआईटी कानपुर में रहते हुए सैंकड़ों इंजीनियर-डॉक्टर बनाए और जब सेवानिवृत्ति हुए तो भी पार्ट टाइम क्लास देकर बच्चों का भविष्य संवारने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। आज उनकी किताबें और उनके आसान कॉन्सेप्ट विश्व भर में पढ़ाए जाते हैं। नासा तक में उनके चर्चे हैं। लेकिन, ये उनकी सादगी है कि उन्होंने कभी देश छोड़कर बाहर करियर निर्माण पर विचार नहीं किया। उनकी इसी प्रतिबद्धता और दिए गए योगदान के लिए कल उन्हें राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
इस पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद पूर्व प्रोफेसर एचसी वर्मा की एक वीडियो क्लिप शेयर हो रही है। इस वीडियो में वह बता रहे हैं कि आखिर उनके भीतर कैसे पढ़ाई का जज्बा छठ पूजा के प्रसाद ठेकुए के कारण जगा था। कॉम्पिटिशन वल्लाह नाम के यूट्यूब चैनल पर अपलोड की गई एसची वर्मा की वीडियो में वह 14 मिनट के स्लॉट के आसपास बताते हैं कि जब वो दसवीं में थे तो उस समय उनकी माँ ने उनके साथ खेल खेला और उन्हें ठेकुए का लालच देकर पढ़ाई करने के लिए अपने कमरे में बैठाया।
बकौल एचसी वर्मा, “मेरी माँ कभी छठ नहीं करती थीं, लेकिन घर में प्रसाद बनाकर दूसरों को देती थीं और कहती थीं कि ‘मेरी पूजा कर देना।’ उस साल उन्होंने ठेकुए ज्यादा बनाए और शीशे के बरतन में बंद करके अपने कमरे में रख दिए ताकि वो बाहर से दिखें। उन्होंने मुझसे डील की कि अगर तुम कॉपी-किताब-कलम लेकर के मेरे कमरे में मेरे सामने एक घंटे लगातार बैठे तो तुम्हें दो ठेकुए मिलेंगे। मैंने सोचा कि सिर्फ कॉपी किताब लेकर बैठना है, पढ़ने को नहीं बोला। मैंने सोचा ये तो बढ़िया है एक घंटे बैठो दो ठेकुए…फिर बैठो तो दो और ठेकुए…।”
आगे वह कहते हैं, “मैंने बैठना शुरू किया, तब मुझे समझ आया कि वही चार दीवारें, वही छत, वही फर्श और दीवार पर वही कैलेंडर… आदमी कितनी देर देखेगा। तब मैं 5-10 मिनट के अंदर बोर हो गया। लेकिन वहाँ से जा नहीं सकता था क्योंकि ठेकुए नहीं मिलते। लिहाजा किताब पलटनी शुरू हुई और वो समय था जब मैंने पहली बार पूरा-पूरा पेज पढ़ा। जब किताब पढ़ी तो बात समझ आ गई। मुझे लगा ये खराब चीज नहीं है। मैंने पढ़ना शुरू किया और महीने भर ठेकुए चले। उसके बाद मेरी परीक्षा हुई। किसी सब्जेक्ट में मैं फेल नहीं हुआ। ढेर सारे नंबर आए और फिर गाड़ी पलट गई।”
बता दें कि फिजिक्स के छात्रों के लिए हर मुश्किल टॉपिक को अपने कॉन्सेप्ट के चलते आसान बना देने वाले एचसी वर्मा बिहार के दरभंगा से हैं। उन्होंने आईआईटी कानपुर से एमएससी की और वहीं पर आगे चलकर बच्चों को पढ़ाया भी। उन्होंने कई फिजिक्स एक्सपेरिमेंट बनाए हैं। सन् 2000 के आसपास लोग इन्हें फिजिक्स की दुनिया का भगवान मानते थे। इन्होंने 8 साल के कड़े परिश्रम के बाद कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स को पूरा किया। आज आईआईटी-जेईई में करियर सोचने वाला हर छात्र इनकी किताब पढ़ता है। कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि एचसी वर्मा के पास अमेरिका में भी पढ़ाने का मौका आया, लेकिन इन्होंने मना कर दिया। बाद में एचसी वर्मा आईआईटी कानपुर से जुड़े और 38 साल की फॉर्मल टीचिंग औ रिसर्च के बाद इन्होंने 2017 में रिटायरमेंट ली। फिजिक्स जगत में ऐसी उपलब्धि हासिल करने के बाद पद्मश्री पाने वाले एचसी वर्मा को हर छात्र, हर शैक्षणिक संस्थान शुभकामनाएँ दे रहा है।
Man behind ‘Concepts of Physics’ gets Padma Shri
— Shiksha.com (@ShikshaDotCom) November 9, 2021
HC Verma has simplified physics to the extent that any student can prepare the biggest definition and formula in the way given by him.https://t.co/rJzy7n2fug pic.twitter.com/wXx7tQGjvm