प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (24 दिसंबर, 2020) को विश्वभारती यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। उन्होंने पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन स्थित विश्व भारती को गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के विजन और आत्मनिर्भर भारत का सार बताया। उन्होंने इसे गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का साकार अवतार बताया।
Speaking at #VisvaBharati University. Here is my speech. https://t.co/YH17s5BAll
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2020
1921 में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्वभारती देश की सबसे पुरानी सेंट्रल यूनिवर्सिटी है। मई 1951 में इसे एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूशन ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस घोषित किया गया था। प्रधानमंत्री इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारत के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए बंगाल की पीढ़ियों ने खुद को खपा दिया।
Today we must remember the circumstances which led to the establishment of this university. It wasn’t just British rule but in the background, were our rich ideas & history of hundreds of years of movement: PM Modi at centenary celebrations of Visva-Bharati University https://t.co/C428q8qot8
— ANI (@ANI) December 24, 2020
पीएम मोदी ने कहा, “विश्वभारती विश्वविद्यालय का 100 साल होना हर भारतवासी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। मेरी लिए भी ये सुखद है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है। भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है।”
उन्होंने बताया, “भारत आज इंटरनेशनल सोलर अलायंस के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहा है। भारत पूरी दुनिया मे इकलौता देश है जो पेरिस एकॉर्ड के तहत पर्यावरण के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सही मार्ग पर आगे बढ़ रहा है।”
आत्मनिर्भर भारत को मजबूती देने की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “पौष मेले के साथ वोकल फॉर लोकल का मंत्र हमेशा से जुड़ा रहा है। जब हम आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता की बात कर रहे हैं तो विश्वभारती के छात्र-छात्राएँ पौष मेले में आने वाले कलाकारों की कलाकृतियाँ ऑनलाइन बेचने की व्यवस्था करें।
जब हम आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता की बात कर रहे हैं तो विश्वभारती के छात्र-छात्राएं पौष मेले में आने वाले कलाकारों की कलाकृतियां ऑनलाइन बेचने की व्यवस्था करें: पीएम मोदी https://t.co/44YRdy6ahc pic.twitter.com/3RE62Lb9Mz
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 24, 2020
विश्वविद्यालय के नाम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “विश्व-भारती। माँ भारती और विश्व के साथ समन्वय। विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है। आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है। ये अभियान, भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान है।”
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम के दौर को याद करते हुए कहा, “जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हमारे मन में सीधे 19-20वीं सदी का विचार आता है। लेकिन इन आंदोलनों की नींव बहुत पहले ही रखी जा चुकी थी। भारत की आजादी के आंदोलन को सदियों पहले से चले आ रहे अनेक आंदोलनों से ऊर्जा मिली थी। भक्ति युग में भारत के हर क्षेत्र में संतों, महंतों ने देश की चेतना के लिए अविराम प्रयास किया।”
PM मोदी ने बताया कि किस तरह भक्ति आंदोलन से हम एकजुट हुए, ज्ञान आंदोलन बौद्धिक मजबूती दी और कर्म आंदोलन ने हमें अपनी लड़ाई का हौसला और साहस दिया। इन्हीं सब वजह से सैकड़ों सालों के कालखंड में चले ये आंदोलन त्याग, तपस्या और तर्पण की अनूठी मिसाल बन गए थे।
गुरुदेव के विज़न को याद करते हुए मोदी ने कहा, “वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद के चिंतन में भी मुखर थी और ये धारा अंतर्मुखी नहीं थी। वो भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग रखने वाली नहीं थी। उनका विजन था कि जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे विश्व को लाभ हो और जो दुनिया में अच्छा है, भारत उससे भी सीखे।”