सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) ने वित्तीय वर्ष 2015 के बाद से ₹6.42 लाख करोड़ के गैर-निष्पादित ऋण (NPA) और बट्टे खाते में डाले गए ऋण अर्थात डूब गए कर्जों की वसूली की है। इसके साथ ही 98.5% विलफुल डिफॉल्टरों पर मुकदमा दायर किया है। यह जानकारी सरकार के पास उपलब्ध आँकड़ों से सामने आई है।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2011 से वित्त वर्ष 2016 तक, सरकार ने पीएसबी में 3.36 लाख करोड़ रुपए की पूँजी डाली है, जबकि बैंकों ने खुद से अतिरिक्त 2.99 लाख करोड़ रुपए जुटाए हैं। वहीं पीएसबी का प्रोविजन कवरेज अनुपात, एक ऐसा उपाय है जो खराब ऋणों को कवर करने के लिए अलग रखी गई राशि को कैप्चर करता है। जो मार्च 2022 के अंत में मार्च 2015 के अंत 46% से बढ़कर 86.9% हो गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2015 से सरकारी बैंकों ने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में ₹ 5.17 लाख करोड़ और बट्टे खाते में डाले गए खातों में ₹ 1.24 लाख करोड़ की वसूली की है।
बता दें कि पीएसबी का सकल एनपीए अनुपात 31 मार्च, 2018 को 14.6% से गिरकर 31 मार्च, 2022 को 7.4% हो गया, जबकि इस अवधि में शुद्ध एनपीए अनुपात 8% से घटकर 2% हो गया। स्ट्रेस्ड एसेट 15.3% से घटकर 8.7% हो गया है।
वहीं इस मामले में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, “बैंक विभिन्न उपलब्ध वसूली तंत्रों के माध्यम से बट्टे खाते में डाले गए खातों में शुरू की गई वसूली कार्रवाई को जारी रखे हुए हैं।”
इनमें दीवानी और दिवालियापन संहिता, 2016 के तहत नागरिक अदालतों या ऋण वसूली न्यायाधिकरण में वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा ब्याज अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 के तहत या बातचीत के जरिए निपटान/समझौता और एनपीए की बिक्री के जरिए शामिल हैं।
पीएसबी के सकल अग्रिम के अनुपात के रूप में धोखाधड़ी की घटना वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान 1.32% से गिरकर वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 0.05% हो गई है।
वहीं ऐसे मामलों में पीएसबी का प्रोवीजन कवरेज अनुपात, एक ऐसा उपाय है जो खराब ऋणों को कवर करने के लिए निर्धारित राशि को कैप्चर करता है, मार्च 2022 के अंत में 46% से बढ़कर मार्च 2015 के अंत में 86.9% हो गया है।
उपरोक्त अधिकारी ने कहा, “इस तरह की धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आई है क्योंकि बेहतर पहचान और रिपोर्टिंग के साथ धोखाधड़ी की जाँच के लिए व्यापक कदम उठाए गए हैं।”
गौरतलब है कि 31 मार्च, 2022 तक 12,265 नामित विलफुल डिफॉल्टरों में से 12,076 (98.5%) के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, 40.2% के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और 75.5% के खिलाफ सरफेसी की कार्यवाही शुरू की गई है।
अधिकारी ने बताया, “सरकार ने एक अनुकूल कारोबारी माहौल और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा प्रदान की है, जिसने निजी क्षेत्र के बैंकों को 2021-22% में देश में फलने-फूलने के लिए प्रोत्साहित किया है।”