क्रिकेट की दुनिया के दिग्गज बल्लेबाज़ सचिन तेंदुलकर का कहना है कि गेंदबाजी करने वाली टीम की तरह बल्लेबाजी करने वाली टीम पर भी मैच के दौरान खेल के नियमों का उल्लंघन करने पर सात रन का जुर्माना लगाया जाना चाहिए। तेंदुलकर की यह टिप्पणी मुंबई टी-20 लीग के सेमीफाइनल मैच (शनिवार, 25 मई) में सोबो सुपरसोनिक और आकाश टाइगर्स मुंबई वेस्टर्न सबर्ब के बीच हुए एक विवाद के बाद सामने आई।
ख़बर के अनुसार, तेंदुलकर ने कहा, “जो भी मैंने देखा, वो मैंने पहली बार देखा है और फिर मैंने सोचना शुरू किया कि क्या किया जा सकता है? यह एक डेड बॉल नहीं हो सकती। लेकिन नियम इस तरह के हैं कि जो कुछ भी हुआ, वो उस समय सही चीज थी।” उन्होंने कहा, “लेकिन मैं सोच रहा था कि बदलाव के लिए क्या किया जा सकता है जो आने वाले समय में लागू किया जा सकता है।”
सचिन तेंदुलकर ने कहा, “मुझे लगता है कि अगर सर्कल के अंदर तीन फील्डर हैं तो अंपायर उन्हें कभी नहीं कहता कि आपको चौथा फील्डर रिंग में लगाने की ज़रूरत है और अगर नो बॉल होती है और इसके लिए फ्री हिट है। इसलिए, क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम को इसके लिए जुर्माना लगाया जाता है। लेकिन जब बल्लेबाज अपने छोर पर नहीं पहुँचते तो बल्लेबाजी करने वाली टीम पर जुर्माना क्यों नहीं लगता? मुझे लगता है कि बल्लेबाजी करने वाली टीम को भी सजा मिलनी चाहिए और एक गेंद पर अधिकतम कितने रन बना सकता है, जो 7 रन हैं (जिसमें एक पिछली नो बॉल और फ्री हिट पर रन हैं)। इसलिए, शायद यहाँ पर बल्लेबाजी करने वाली टीम पर 7 रन का जुर्माना लगना चाहिए।”
शनिवार को इस मैच में 15वें ओवर की समाप्ति पर सोबो सुपरसॉनिक 158 रन बिना विकेट गँवाए खेल रही थी, जब हर्ष टैंक को ऐंठन (क्रैंप) की वजह से चिकित्सा लेनी पड़ी। 15वें ओवर की आख़िरी गेंद पर जय बिस्टा ने सिंगल रन लिया, लेकिन अगले ओवर की शुरुआत में किसी भी खिलाड़ी या अंपायर को यह महसूस नहीं हुआ कि जो टैंक स्ट्राइक छोर पर थे न कि बिस्टा।
ग़लत तरीके से स्ट्राइक लेने के बाद पहली गेंद पर टैंक आउट हो गए। यह देखते हुए कि बल्लेबाजों ने बदलाव नहीं किया, अंपायरों ने इसे डेड बॉल करार दिया जिससे आकाश टाइगर्स को विकेट नहीं मिला जबकि ग़लती पूरी तरह से बल्लेबाजों की थी। तेंदुलकर ने कहा कि ऑन-फील्ड अंपायरों की ग़लती को इंगित करना ऑफ-फील्ड मैच अधिकारियों का कर्तव्य था। उन्होंने कहा, “अंपायरों ने बल्लेबाजों को नहीं बताया। आज की तकनीक के साथ तीसरा या चौथा अंपायर लेग-अंपायर के साथ संवाद करने की स्थिति में होना चाहिए और उसे बताना चाहिए कि स्ट्राइकर को गैर-स्ट्राइकर के अंत में होना चाहिए।”
तेंदुलकर ने कहा, “बल्लेबाजी पक्ष को इसके लिए दंडित किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नियमानुसार छोर बदल दिए जाएँ।”